अरुण सिंह, Panna. उत्तर प्रदेश का राज्य पक्षी सारस (Crane) पन्ना टाइगर रिजर्व से प्रवाहित होने वाली केन नदी के किनारे नजर आ रहा है। सारस पक्षी का एक जोड़ा पिछले कई दिनों से इस इलाके में डेरा डाले हुए है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि केन किनारे की आबोहवा और जलवायु इस विशालकाय पक्षी को भा रही है। मालूम हो कि सारस को उत्तर प्रदेश के राज्य पक्षी का दर्जा प्राप्त है। पन्ना टाइगर रिजर्व और इसके आसपास पाए जाने वाले पक्षियों के अद्भुत संसार में विशालकाय पक्षी सारस जो जोड़े में रहता है, वो भी शामिल है। पन्ना टाइगर रिजर्व ने ट्वीट कर बताया कि केन नदी का किनारा सारस पक्षी को खूब रास आ रहा है।
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The Sarus Crane (Antigone antigone) is the Tallest bird in the world that can fly. It is found in parts of the Indian subcontinent, Southeast Asia, and Australia. Its overall body is grey except for the red head and upper neck. pic.twitter.com/3rFrmYNNrV
— Panna Tiger Reserve (@PannaTigerResrv) May 8, 2022
दाम्पत्य प्रेम का प्रतीक है Crane
सारस पक्षी के जोड़े को दाम्पत्य प्रेम का प्रतीत माना जाता है। सारस पक्षी की सबसे बड़ी खूबी यह है कि अपने जीवन काल में यह सिर्फ एक बार जोड़ा बनाता है और जोड़ा बनाने के बाद जीवन भर साथ रहता है। यदि किसी कारण से एक साथी मर या बिछड़ जाता है तो दूसरा भी उसके वियोग में अपने प्राण त्याग देता है।
सारस किसानों का मित्र
सारस को किसानों का मित्र पक्षी भी कहा जाता है, क्योंकि ये फसलों में लगने वाले कीड़ों को खाकर फसलों को नष्ट होने से बचाता है। दलदली और नमी वाले स्थान इसे प्रिय हैं, इसकी आवाज काफी दूर तक सुनाई देती है। जानकारों के मुताबिक विश्व में सबसे अधिक सारस पक्षी भारत में ही पाए जाते हैं।
लाल सिर और ग्रे रंग का शरीर
सारस भारतीय उपमहाद्वीप, दक्षिण पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में पाया जाता है। लाल सिर और ऊपरी गर्दन को छोड़कर इसका पूरा शरीर ग्रे रंग का है। यह उनके सुंदर क्षेत्रीय और प्रेमालाप प्रदर्शनों के लिए प्रसिद्ध है जिसमें जोरदार तुरही कॉल, छलांग और नृत्य जैसी गतिविधियां शामिल हैं। इसे IUCN रेड लिस्ट में वल्नरेबल के रूप में वर्गीकृत किया गया है। पन्ना टाइगर रिजर्व के किनारे के क्षेत्रों में सारस क्रेन देखी जा सकती है।
सारस में मनुष्य की तरह ही प्रेम भाव
सारस पक्षियों में मनुष्य की ही तरह प्रेम भाव होता है, ये ज्यादातर दलदली भूमि, बाढ़ वाले स्थान, तालाब, झील और खेतों में देखे जा सकते हैं। अपना घोंसला ये छिछले पानी के आसपास ही बनाना पसंद करते हैं। जहां हरे-भरे खेत, पेड़-पौधे, झाड़ियां और घास हो। नर और मादा देखने में एक जैसे ही लगते हैं, दोनों में बहुत ही कम अंतर समझ आता है। लेकिन जब दोनों एक साथ हों तो छोटे शरीर के कारण मादा सारस को आसानी से पहचाना जा सकता है।
पूरे विश्व में सारस की 8 प्रजातियां, भारत में 4 प्रजाति
मादा सारस एक बार में दो से तीन अण्डे देती है। अण्डों से बच्चों को बाहर निकलने में 25 से 30 दिन का समय लगता है। सारस पक्षी का औसत वजन 7.3 किलोग्राम और लम्बाई 173 सेंटीमीटर होती है। पूरे विश्व में सारस पक्षी की 8 प्रजातियां पाई जाती हैं जिनमें से 4 प्रजातियां भारत में मिलती हैं। अब इन पक्षियों की संख्या तेजी से घट रही है, जिससे पक्षी प्रेमी और पर्यावरण के हिमायती काफी चिन्तित हैं।
आधुनिक खेती से सारस के आवास को खतरा
फसल उत्पादन के तरीके में हुए बदलाव यानि परम्परागत अनाज के बदले नगदी फसल उगाने के कारण सारस के भरण पोषण पर भी असर पड़ा है। औद्योगीकरण और आधुनिक कृषि से सारस के आवास को खतरा है। पन्ना टाइगर रिजर्व के आसपास केन नदी के किनारे सारस के जोड़े की मौजूदगी से इन पक्षियों की ओर पर्यटकों का भी आकर्षण बढ़ रहा है। पन्ना टाइगर रिजर्व में आने वाले पर्यटक सारस पक्षी के जोड़े को भी बड़े कौतूहल से निहारते हैं और उनकी तस्वीरें अपने कैमरे में कैद करते हैं।
पन्ना टाइगर रिजर्व में पाए जाते हैं गिद्ध
मध्यप्रदेश का पन्ना टाइगर रिजर्व वनराज और जंगल का शहजादा कहे जाने वाले तेंदुओं का घर तो है ही, यहां पर रंग-बिरंगे 247 प्रजातियों के पक्षी भी पाए जाते हैं। पर्यावरण के सबसे बेहतरीन सफाईकर्मी कहे जाने वाले गिद्धों का अनोखा संसार भी यहां पर बसा हुआ है। यहां पर गिद्धों की 7 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें 4 प्रजातियां पन्ना टाइगर रिजर्व की निवासी प्रजातियां हैं। जबकि शेष 3 प्रजातियां प्रवासी हैं।