BHOPAL.देश की पहली भोज वेटलैंड रामसर साइट (Bhoj Wetland Ramsar Site) में बायोडायवर्सिटी (biodiversity) के लिए तितलियों (butterfly) की गणना की जाएगी। ये गणना 15 अगस्त से दिसंबर तक चलेगी। ये गणना वैज्ञानिक तरीके से होगी। इसके लिए 45 से भी ज्यादा ट्रेल (trail) बनाई जाएगी।
बायोडायवर्सिटी इंडेक्स में भोपाल को लाना चाहते हैं फर्स्ट
इसमें वाइल्ड लाइफ मुख्यालय (Wildlife Headquarters), बायोडायवर्सिटी बोर्ड (biodiversity board), क्षेत्रीय विज्ञान संग्रहालय (Regional Science Museum), भोपाल बर्ड्स और व्हीएनएस नेचर सेवियर (Bhopal Birds and VNS Nature Savior) की मीटिंग में डिसीजन लिया गया कि इस कांउटिंग में तितली पर रिसर्च करने वाले ही शामिल रहेंगे। बायोडायवर्सिटी बोर्ड (biodiversity board) के मेम्बर सेक्रेट्री अतुल श्रीवास्तव (Atul Srivastava) ने बताया कि देश में 64 रामसर साइट्स हैं। लेकिन गणना सिर्फ भोज वेट लैंड रामसर साइट (Bhoj Wetland Ramsar Site) में ही की जा रही है। इसका उद्देश्य है कि बायोडायवर्सिटी इंडेक्स (Biodiversity Index) में भोपाल पहले नंबर पर आए।
तितलियां, ईको सिस्टम के लिए हैं जरूरी
बर्ड संस्था के मोहम्मद खालिक के मुताबिक ईको सिस्टम में तितलियों होना बहुत ही महत्वपूर्ण है। यदि ईको सिस्टम (eco system) की कोई भी कड़ी टूटती है तो पूरे सिस्टम पर इसका असर पड़ेगा। तितलियां पॉलिनेशन (pollination) की प्रोसेस को पूरा करने में खास रोल निभाती हैं। यदि तितलियां नहीं रहीं तो कई प्रजातियों (species) की वनस्पतियां (flora) पूरी तरह से खत्म हो जाएंगी।
pollution free environment में रहती हैं तितलियां
वन विहार (वन विहार) के डिप्टी डायरेक्टर सुनील सिन्हा (Deputy Director Sunil Sinha) का कहना है कि तितली की गणना से भोज वेटलैंड की रामसर साइट में बायोडायवर्सिटी और यहां के पॉल्यूशन लेवल का पता चलेगा। दरअसल, तितलियां पॉल्यूशन से काफी सेंसिटिव होती हैं। जिस एरिया में तितलियां नहीं होतीं वहां पॉल्यूशन ज्यादा होता है। तितलियों की मौजूदगी पॉल्यूशन फ्री एनवायरंमेंट (pollution free environment) का संकेत है।
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में तितलियों की 174 प्रजातियां
फरवरी में हुई गणना में वन विहार में 43, रातापानी सेंचुरी में 103, कलियासोत नगर वन में 46 प्रजाति (species) की तितलियां रिकॉर्ड की गई थीं। वहीं मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में तितलियों की कुल 174 प्रजातियां मौजूद हैं।
रिसर्चर्स आएंगे भोपाल
दिल्ली से फैयाज खुदसर (Fayaz Khudsar), मुंबई की नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (Natural History Society) से डॉ. राजू कसम्बे (Dr. Raju Kasambe), जूलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया (Zoology Survey of India) से डॉ. प्रत्युषा महापात्र (Dr. Pratyusha Mohapatra), आय बटरफ्लाई (i butterfly) से डॉ. शुभ लक्ष्मी (Dr. Shubh Laxmi), पीसीसीएफ असीम श्रीवास्तव (PCCF Aseem Srivastava), वाइल्ड लाइफ मुख्यालय (Wildlife Headquarters) से एपीसीसीएफ शुभरंजन सेन (APCCF Shubh Ranjan Sen), सारंग महात्र (Sarang Mahatra) भोपाल पहुंचकर तितलियों पर रिसर्च करेंगे।