DAMOH:दमोह का एक गांव, जहां घरों में घूमते हैं सांप, गांव में नागपंचमी पर नहीं चढ़ती चूल्हे में कढ़ाई

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Rajeev Upadhyay
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DAMOH:दमोह का एक गांव, जहां घरों में घूमते हैं सांप, गांव में नागपंचमी पर नहीं चढ़ती चूल्हे में कढ़ाई

Damoh. हिंदू धर्म के शास्त्रों के इतर भी सरिसृपों के राजा नाग देवता के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं। जमीन पर रेंगने और प्रकृति के पर्यावरण को संतुलित करने वाले इस जीव को कहीं तिलस्मी, कहीं मणिधारी, कहीं खजाने का पता बताने वाला और न जाने क्या-क्या माना जाता रहा है। यूं तो हिंदू धर्म में नागदेवता काफी पूजनीय हैं लेकिन दमोह जिले में एक ऐसा गांव भी है जहां के ग्रामीण नागदेवता के प्रति काफी समर्पित हैं। पटेरा ब्लॉक में बसा नागमणि गांव ऐसा गांव है जहां सैकड़ों की तादाद में काले नाग घूमते मिल जाते हैं। मान्यता यह भी है कि गांव में कभी किसी सर्प ने किसी व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है। सैंकड़ों सालों से गांव में लोग अपने पूर्वजों की परंपरा को निभाते हुए हर्षोल्लास के साथ नाग पंचमी मनाते हैं। 





हर घर में घूमते मिल जाते हैं काले नाग



पटेरा के नागमणि गांव के घरों में सांपों का घूमना एकदम आम है। बड़े-बुजुर्ग भी बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवनकाल में कभी यह बात नहीं सुनी कि गांव में किसी को सर्प ने डंस लिया हो। अलबत्ता उनका यह मानना है कि नागदेवता ही पूरे गांव की रक्षा करते हैं। यही कारण है कि गांव का कोई शख्स सांप को देखकर हैरान ही नहीं होता। 





गांव में विराजमान है नाग जोड़े की प्रतिमा



गांव में पूजनीय नाग देव के जोड़े की प्रतिमा भी स्थापित है। जहां ग्रामीण श्रद्धा से शीश नवाते हैं। गांव में नागपंचमी के त्यौहार का विशेष महत्व है। हर साल नागपंचमी पर गांव के घरों में नागदेवता की विधिविधान से पूजा होती है जिसके बाद हर घर में दाल बाटी या ऐसे व्यंजन बनते हैं जिनमें कढ़ाई का इस्तेमाल न होता हो। मान्यता यह है कि कई साल पहले नागपंचमी के दिन किसी घर में पकवान बनाने कढ़ाई चढ़ाई गई थी, तभी उस कढ़ाई में सांप गिर गया था। जिसके बाद से गांव में कढ़ाई भी चढ़ना बंद हो गई। 


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