जबलपुर. राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा (Vivek tankha defamation case) ने BJP नेताओं के खिलाफ 10 करोड़ रुपए की मानहानि का दावा किया है। इस मामले में 10 जनवरी को ADJ कोर्ट ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और मंत्री भूपेंद्र सिंह को नोटिस (court notice for cm shivraj, vd sharma and bhupendra singh) जारी किए हैं। मामले में 25 फरवरी तक जवाब-तलब किया गया है, इसी दिन अगली सुनवाई होगी।
तन्खा के वकील शशांक शेखर (Shashank shekhar on defamation case) ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि मेरे पक्षकार पर OBC मामले में गलतबयानी की गई। पहले भी नोटिस जारी कर तीन दिन में मांफी मांगने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने माफी नहीं मांगी।
विवेक तन्खा ने कहा कि न्याय के हाथ धीमे जरूर है, मगर लम्बे हैं।
मुझे मेरे वकीलों ( वाजिद हेडर जी ) से सूचना प्राप्त हुई है की आज हमारे १० CR के मान हानि के दावा में जबलपुर कोर्ट ने सीएम और अन्य प्रतिवादी पक्षकार को जवाब प्रस्तुत करने के लिए नोटिस आदेशित किया है। अगली पेशी २५ feb। न्याय के हाथ धीमे ज़रूर है , मगर लम्बे है। #न्याय
— Vivek Tankha (@VTankha) January 10, 2022
सुनवाई में ये तर्क रखे गए: शशांक शेखर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में कोई टिप्पणी तन्खा जी ने नहीं की। इसके बावजूद भी इन्होंने गलत बयानबाजी की। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। इन तीनों व्यक्ति ने राजनैतिक लाभ के लिए समय-समय पर बयानबाजी की। इससे तन्खा जी की छवि छूमिल हुई है। इस मामले में तन्खा ने एक सिविल केस और क्रिमिनल केस दायर किया है। तीनों व्यक्तियों के खिलाफ 10 करोड़ की मानहानि (10 crore defamation case) का केस है। कोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई में पाया कि इन तीनों व्यक्तियों ने मानहानि की है। इसके कारण कोर्ट ने तीनों के खिलाफ नोटिस जारी किया है।
सरकार नहीं चाहती ओबीसी को आरक्षण मिले: 24 दिसंबर को तन्खा ने आरोप लगाया कि सरकार नहीं चाहती है कि ओबीसी को आरक्षण (panchayat election obc reservation) मिले कांग्रेस ने 1994 में ही पंचायत और निकाय चुनावों में ओबीसी को 25 प्रतिशत आरक्षण दिया था। इसी फरवरी में हाईकोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया पर सरकार की ओर से इस स्टे को हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट में हम रोटेशन और परिसीमन के मामले को लेकर गए थे। सुनवाई के दौरान मेरी बात समाप्त हो चुकी थी, सरकार के वकीलों को अपना पक्ष मजबूती से रखना चाहिए था।