Jabalpur. अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी स्तर के एक अधिकारी जिला अदालत में पेश हुए। एडीएम पर काफी गंभीर आरोप हैं। आरोप है कि एडीएम विवेक सिंह ने अपना निजी कर्ज चुकाने के लिए सरकारी खजाने से 10 लाख रुपए का चेक जारी किया और वो भी बाउंस हो गया। जेएमएफसी समीर कुमार मिश्र की कोर्ट ने उन्हें मुचलके पर जमानत देते हुए 19 जुलाई को फिर हाजिर होने के निर्देश दिए हैं।
संपदा संचालनालय भोपाल के डिप्टी डायरेक्टर विवेक सिंह और जबलपुर निवासी मनीष कुमार तिवारी की आपस में पहचान थी। विवेक सिंह ने मनीष से जमीन जायदाद की खरीददारी के लिए 10 लाख रुपए कर्ज लिया था। बाद में वे इसे लौटाने में आनाकानी कर रहे थे। बार-बार कहने पर विवेक सिंह ने 10 लाख रुपए का चेक मनीष को दिया था। लेकिन जब वह बैंक में क्लीयर होने के लिए लगाया गया तो रकम न होने के चलते बाउंस हो गया।
जमानत के लिए फर्जी जमानतदार लाने का भी आरोप
मामले में पेश होने के दौरान उन्होंने जमानत अर्जी दाखिल की। इस पर अभियोजन पक्ष के वकील सतीश शर्मा की दलील थी कि मामले में फर्जी जमानतदार पेश किया जा रहा है। कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए नकद रकम जमा करने पर ही जमानत का लाभ देने की शर्त रख दी। जिसके चलते विवेक सिंह बड़ी मुश्किल में रकम जुटा पाए और बाद में उन्हें जमानत दी गई।
30 दिन में जमा करने होंगे 2 लाख
अदालत ने इस मामले में क्षतिपूर्ति के तौर पर परिवादी को 30 दिन के अंदर 2 लाख रुपए अदा करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने यह भी कहा है कि तय समय सीमा में ऐसा नहीं किया गया तो जिला प्रशासन को पत्र लिखकर वेतन से कटौती कर क्षतिपूर्ति दिलाने के निर्देश दिए जाऐंगे।