Seoni. अस्यपृश्यता यानि छुआछूत जिसके निवारण के लिए सरकार आजादी के बाद से ही कानून बना चुकी है और उसे लगातार कड़ा किया जाता रहा है। सिवनी में अस्पृश्यता निवारण शिविर का जहां समाज को छुआछूत के कुचक्र से दूर करने जागरूकता तो फैलाई गई लेकिन इस जागरूकता के बीच परंपराओं को भुला दिया जाए तो यह कितना मुनासिब होगा। हम बात कर रहे हैं सिवनी जिले के लखनादौन पाटन की जहां अस्पृश्यता निवारण शिविर में भोजन की पंगत में एडीएम सुनीता खंडायत जूते पहनकर बैठ गईं। वह भी किसी ऐरे गैरे के सामने नहीं, बल्कि देश के केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के सामने।
सत्ता ओर सरकार के बावजूद नौकरशाही कितनी हावी है इसका उदाहरण सिवनी जिले के लखनादौन पाटन मे अस्पृश्यता निवारण शिविर में देखने को मिला जहां केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ओर ग्रामीणों की भोजन पंगत के बीच सिवनी की एडीएम मैडम जूते पहनकर पहुंच गई ओर केंद्रीय मंत्री से काफी देर तक बातें करती रहीं जिसका वीडियो सोशल मीडिया मे तेजी से वायरल हो रहा है। हम आपको बता दे की 2 अक्टूबर गांधी जयंती के उपलक्ष्य में लखनादौन में यह अस्पृश्यता निवारण शिविर लगाया गया था। जिसमें समाज को छुआछूत के दंश से बचाने लोगों के बीच जनजागरण अभियान चलाया गया।
केंद्रीय इस्पात एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते अस्पृश्यता निवारण सद्भावना शिविर मैं लखनादौन ब्लॉक के पाटन मैं भोजन करने बैठे थे उसी वक्त सुनीता खंडायत एडीएम सिवनी जूते पहन कर उनकी थाली के सामने बैठ कर बात करते रहीं। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि मंत्री जी जमीन में पालथी मार कर बैठे है और उनकी थाली के सामने अतिरिक्त कलेक्टर सुनीता खंडायत जूते पहन कर बात कर रही है। हम आपको बता दें कि सामाजिक हो या धार्मिक सभी स्थानों में यहां तक कि अपने घरों में भी भोजन पंगत के दौरान जूते उतारकर बैठते हैं लेकिन जिस तरीके से एडीएम मैडम जूते पहनकर पंगत में बैठी है उसको लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।
हालांकि मंत्री जी की ओर से अभी तक इस मामले में कोई आपत्ति नहीं आई है, शायद उन्होंने अधिकारी के जूतों के तरफ ध्यान ही न दिया हो। लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद न सिर्फ बीजेपी के कार्यकर्ता बल्कि आम जनता भी एडीएम के इस आचरण पर तरह-तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं। हालांकि वीडियो को गौर से देखा जाए तो एडीएम साहिबा के अलावा पंगत के सामने खड़े बाकी सभी लोग भी जूते पहने हुए हैं। हालांकि इन पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा और न ही इन लोगों पर कोई प्रतिक्रिया दे रहा है।