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भोपाल. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित चर्चा के एक विशेष सत्र में मध्यप्रदेश की किशोरियों ने समाज में बदलाव की वाहक रहीं महिलाओं से अपने जीवन में आ रही चुनौतियों और समस्याओं पर चर्चा की और उनसे उनके प्रेरणास्पद जीवन यात्रा के विषय में सुना और जाना। बच्चों के लिए काम करने वाली संस्थाओं यूनिसेफ और चाइल्ड राइट्स ऑब्जर्वेटरी मध्यप्रदेश ने मिलकर इस विशेष सत्र का आयोजन किया।
चर्चा के इस विशेष सत्र में झाबुआ से रिया, शिवपुरी से राधिका, दतिया से वृजकुंवर पांचाल, खण्डवा से सिमरन पाटीदार, होशंगाबाद से विधि सामले, रीवा से आस्था शर्मा, रायसेन से हर्षिता सेन और भोपाल से आंचल सेन ने शिक्षा में आ रहीं चुनौतियों, लड़कियों पर बढ़ती हिंसा और पालकों द्वारा लड़कियों पर अपनी इच्छा प्रभावी करने की चुनौतियों पर अपने विचार व प्रश्न रखे और उनके निराकरण करने का आग्रह किया।
चाइल्ड राइट्स ऑब्जर्वेटरी की अध्यक्ष निर्मला बुच ने कहा कि महिला दिवस, महिलाओं की प्रगति और उनकी उपलब्धियों का उत्सव मनाने और साथ ही दुनिया भर में महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव और दूसरी चुनौतियों से निपटने के आव्हान करने का दिन है। उन्होंने अपने आईएएस केरियर के बारे में बताते हुए कहा कि वे हमेशा लड़कियों और महिलाओं के अधिकारों और उनकी जिन्दगी में बेहतरी के बदलावों के लिए काम करती रही हैं। वे उस समय मध्यप्रदेश की पहली महिला मुख्य सचिव बनीं जब महिलाओं की भागीदारी इन सेवाओं में कम होती थी।
ओमेगा बियरिंग्स प्रायवेट लिमिटेड भोपाल की डायरेक्टर श्रीमती सीमा प्रकाश ने अपने केरियर के विषय में बोलते हुए कहा कि उन्होंने अपनी शुरूआत इंजीनियर के तौर पर एक सरकारी संस्था में की थी। महिलाओं से होने वाले भेदभाव के कारण निर्णय लिया कि मैं स्वयं का उद्योग स्थापित करूंगी और मैंने बियरिंग्स बनाने का उद्योग दो लोगों के साथ शुरू किया। आज इस उद्योग में 140 लोग काम करते हैं और उनका उत्पाद कई देशों में निर्यात होता है। प्रकाश ने उन चुनौतियों का जिक्र भी किया जिनका सामना 35 साल पहले उन्होंने किया था।