Jabalpur में Diwali के दिन हुई सुनवाई के बाद याचिका खारिज, क्रिश्चियन मिशनरी ने लीज renew आवेदन को निरस्त करने को दी थी चुनौती
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जबलपुर में दीपावली के दिन हुई सुनवाई के बाद याचिका खारिज, क्रिश्चियन मिशनरी ने लीज नवीनीकरण आवेदन को निरस्त करने को दी थी चुनौती

Rajeev Upadhyay
25,अक्तूबर 2022, (अपडेटेड 25,अक्तूबर 2022 09:25 PM IST)

JABALPUR. पूर्व बिशप डॉ. पीसी सिंह के भ्रष्टाचार उजागर होने के क्रिश्चियन मिशनरी की करीब एक लाख 70 हजार वर्गफुट जमीन की लीज नवीनीकरण के आवेदन को निरस्त करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। दीपावली के दिन लगी विशेष कोर्ट ने द यूनाइटेड क्रिश्चियन मिशनरी सोसायटी और द यूनाइटेड चर्च ऑफ नॉथर्न इंडिया ट्रस्ट एसोसिएशन की याचिका पोषणीय नहीं पाया, इसलिए कोई राहत नहीं दी जा सकती। जस्टिस एसए धर्माधिकारी की एकलपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के पास अपील करने के लिए विकल्प उपलब्ध है और वो चाहें तो उसका लाभ उठा सकते हैं।


गौरतलब है कि अपर कलेक्टर न्यायालय द्वारा 23 सितम्बर को जारी आदेश में यूनाईटेड क्रिश्चियन मिशनरी सोसायटी मार्फत पी.सी सिंह की नेपियर टाउन सिविल स्टेशन नजूल ब्लॉक नम्बर 4 के प्लाट नम्बर 15/1, 15/8, 15/9, 15/10, 15/15, 15/16, 15/17, 15/30, 15/31 और 15/42 की कुल 1 लाख 70 हजार 328.7 वर्गफुट भूमि का लीज प्रकरण खारिज कर मध्यप्रदेश शासन राजस्व विभाग के नाम दर्ज करने के आदेश तहसीलदार रांझी दिये गये थे। अपर कलेक्टर की कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं द्वारा लीज नवीनीकरण के आवेदन को भी निरस्त कर दिया था। इसके बाद द यूनाइटेड क्रिश्चियन मिशनरी सोसायटी के प्रभारी बिशप ब्रूस ली थंगादुराई व द यूनाइटेड चर्च ऑफ नॉथर्न इंडिया ट्रस्ट एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि मप्र भू-राजस्व अधिनियम की धारा 122 के तहत सुनवाई का मौका दिए बिना ही लीज निरस्त कर दी गई और नवीनीकरण का आवेदन भी खारिज कर दिया गया, जो कि चुनौती योग्य है।

शासन की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कहा कि मूलतः द यूनाइटेड क्रिश्चियन मिशनरी सोसायटी के नाम लीज जारी की गई थी। यह संस्था यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका में रजिस्टर्ड है। सोसायटी ने सीएनआई ट्रस्ट एसोसिएशन को ऐसा कोई अधिकार प्रदान नहीं किया जिसके जरिए वो भारत की संपत्ति का प्रबंधन कर सके। ऐसी स्थिति में सीएनआई ट्रस्ट एसोसिएशन ऐसा कोई पत्र जारी नहीं कर सकती जिसके जरिए याचिकाकर्ता क्रमांक एक हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सके। इसलिए यह याचिका सारहीन होने के कारण खारिज करने योग्य है।

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