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Jabalpur. कहावत है सुबह-सबेरे की हवा, सौ पैसे की दवा, कहावत का लब्बोलुबाब यही है कि शुद्ध हवा की कीमत अनमोल है। इसी कहावत पर अमल करते हुए जबलपुर प्रशासन सघन पौधारोपण के बल पर न केवल जनता को शुद्ध हवा मुहैया करा रहा है बल्कि इस वृक्षारोपण के बूते कार्बन क्रेडिट स्कोर के जरिए अब कमाई भी करेगा। जबलपुर की मदन महल पहाड़ी को अतिक्रमणमुक्त कराकर लगाए गए हजारों पौधों ने पूरी पहाड़ी को हरियाली चूनर उढ़ा दी है। इसके अलावा अन्य स्थानों पर भारी तादाद में किया गया पौधारोपण भी अब असर दिखाने लगा है। करीब 3 साल पहले की गई इस कवायद के चलते जबलपुर की अब कार्बन क्रेडिट में स्कोर कर पाने की प्रत्याशा बढ़ गई है।
स्मार्ट सिटी के तहत कार्बन क्रेडिट पर निविदा जारी की जा रही है। जिसके तहत वातावरण में कार्बन को कम करने के लिए किए गए समेकित प्रयासों पर क्रेडिट हासिल किया जा सकेगा। बता दें कि मदन महल पहाड़ी पर चौहानी क्षेत्र की 25 एकड़ जमीन पर 3 साल पहले 25 हजार पौधे लगाए गए थे जो अब वृक्षों में तब्दील हो चुके हैं। इनकी ऊंचाई अब 7 से 8 फिट हो चुकी है। जिसके साथ ही यह कार्बनडाय ऑक्साइड को सोखने में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो चुके हैं। यदि अनावश्यक कटाई न हो तो केवल जानवर, हाल ही में वयस्क हुए इन वृक्षों का ज्यादा कुछ बिगाड़ भी नहीं सकते।
इसी तरह मदन महल स्टेशन लिंक रोड के किनारे तेयार किए गए ग्रीन कॉरिडोर और लम्हेटा घुघवा जल प्रपात की साइट पर भी 25 हजार पौधों के उद्यान को भी कार्बन क्रेडिट स्कोर के लिए नगर की बड़ी संपत्ति माना जा रहा है। प्रोजेक्ट पर काम कर रहे निगम के सहायक आयुक्त संभव अयाची ने बताया कि वातावरण में कार्बन कम करने के लिए बीते वर्षों में किए गए प्रयासों के आधार पर कार्बन क्रेडिट प्राप्त करने में आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
ऐसे मिलती है कार्बन क्रेडिट की 1 यूनिट
एक कार्बन क्रेडिट का तात्पर्य यह है कि एक टन कार्बनडाय ऑक्साइड या ग्रीन हाउस गैसों को पर्यावरण में जाने से बचाया गया है। जीवश्म ईंधन के इस्तेमाल और उद्योगों से ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन होता है। एक अनुमान के मुताबिक यदि नया जंगल तैयार किया जाए तो एक हेक्टेयर जंगल पर 30 कार्बन क्रेडिट स्कोर प्राप्त होते हैं, घरों में एलईडी बल्ब का यूज बढ़ाने पर भी कार्बन क्रेडिट स्कोर बढ़ाया जा सकता है।
कार्बन क्रेडिट बेचकर इंदौर हर साल कमाता है 69 लाख रुपए
इंदौर नगर निगम की बात की जाए तो प्रत्येक साल इंदौर अपनी कार्बन क्रेडिट बेचकर 69 लाख रूपए कमाता है। साथ ही इंदौर हर साल अपनी कार्बन क्रेडिट स्कोर में इजाफा भी कर रहा है।
अन्य साइट पर भी देना होगा ध्यान
नगर में 3 साइट पर जिस प्रकार पौधारोपण कर उन्हें वृक्षों में परिवर्तित किया गया है उसी तरह अन्य साइटों पर भी ध्यान दिया जाना होगा। लेकिन देखा यही जा रहा है कि विभिन्न विभाग हर साल पौधारोपण तो करते हैं लेकिन देखरेख के अभाव में ये पौधे जल्द सूख जाते हैं।
शुरूआती 180 दिन होते हैं अहम
बता दें कि सामान्य प्रजाति के पौधों को वृक्षों में बदलने के लिए करीब ढाई साल का वक्त लगता है जिसमें से शुरूआती 180 दिन बेहद क्रिटिकल होते हैं। इस समयावधि में पौधे पनप जाएं तो एक साल में ही वे अच्छी बढ़वार प्राप्त कर लेते हैं। कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी ने बताया कि वातावरण में कार्बन कम करने वैज्ञानिक तरीके से खाली भूखंडों पर पौधारोपण और वृक्ष स्वरूप लेने तक लगातार देखभाल और सुरक्षा के लिए पिछले सालों में जो प्रयास किए गए हैं, उनके आधार पर कार्बन क्रेडिट प्राप्त करने प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। जिससे इस दिश में बेहतर काम करने फंड भी प्राप्त हो।
क्या है कार्बन क्रेडिट स्कोर?
जिस देश को कार्बन उत्सर्जन को घटाना हैख् वे कार्बन क्रेडिट खरीदते हैं। मान लीजिए किसी देश का कार्बन उत्सर्जन कम है, तो वह किसी कंपनी या देश को कार्बन क्रेडिट बेच सकते हैं, जिसका कार्बन उत्सर्जन ज्यादा है। कार्बन क्रेडिट एक तरह का सर्टिफिकेट है। कार्बन उत्सर्जन करने का सर्टिफिकेट ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन घटाने के लिए तैयार किया गया है। आप जितना कार्बन उत्सर्जन करेंगे, उतना ज्यादा आपको ऐसे प्रोजेक्ट के लिए कार्बन क्रेडिट खरीदना पड़ेगा।