सुप्रीम कोर्ट से ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर और फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर को मिली बेल, कोर्ट ने कहा- जुबैर को तुरंत रिहा करें

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Shivasheesh Tiwari
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सुप्रीम कोर्ट से ऑल्ट न्यूज के को-फाउंडर और फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर को मिली बेल, कोर्ट ने कहा- जुबैर को तुरंत रिहा करें

DELHI. ऑल्ट न्यूज (Alt News) के को-फाउंडर और फैक्ट चेकर पत्रकार मोहम्मद जुबैर (Mohammad Zubair) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 20 जुलाई को बड़ी राहत दी। कोर्ट ने उनकी अंतरिम जमानत याचिका (bail plea) को स्वीकार कर लिया और उन्हें उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में दर्ज सभी छह मामलों में जमानत दे दी। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने ये फैसला दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि उन पर दर्ज सभी FIR मर्ज करके उनकी एक साथ जांच की जाए। सभी FIR दिल्ली पुलिस को ट्रांसफर की जाएं। मोहम्मद जुबैर को 20,000 रुपए के जमानत बांड के साथ जमानत पर रिहा किया जाएगा। जुबैर पर कुल 7 FIR दर्ज की गई हैं, जिनमें से 6 उत्तर प्रदेश में दर्ज हैं। 





बहस के दौरान योगी सरकार की दलील





यूपी सरकार की वकील गरिमा प्रसाद ने एफआईआर रद्द करने की ज़ुबैर की मांग का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि जुबैर पत्रकार नहीं है। खुद को फैक्ट चेकर बताता है। जान-बूझकर नफरत फैलाने वाली सामग्री ट्वीट करता है। उसे जहरीले ट्वीट के लिए पैसे मिलते थे। उसने खुद माना है कि 2 करोड़ रुपए तक मिले हैं। उसने गाजियाबाद के लोनी में आपसी विवाद में बुजुर्ग की पिटाई को सांप्रदायिक रंग दिया। सीतापुर में बजरंग मुनि पर पुलिस कार्रवाई के बावजूद उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया।





सुप्रीम कोर्ट ने ये बात कही





सुनवाई के अंत में जजों ने कहा कि एक मामले में 8 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट से जुबैर को बेल मिली। एक और मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट से जमानत मिली। फिर भी वह कई मामलों के चलते जेल में है। अंतहीन समय तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता। दिल्ली में दर्ज केस यूपी में दर्ज मामलों से मिलता-जुलता है। हम अपनी तरफ से किसी एफआईआर को रद्द नहीं कर रहे। याचिकाकर्ता चाहे तो दिल्ली हाई कोर्ट में एफआईआर रद्द करने की याचिका दाखिल कर सकता है।





दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल करेगी जांच





सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को एक साथ क्लब किया। इस मामले में अब एक ही जांच एजेंसी जांच करेगी। उत्तर प्रदेश में दर्ज 6 FIR को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को ट्रांसफर किया। इस मामले में जांच के लिए गठित यूपी की SIT को भी भंग कर दिया गया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमा रद्द करने से इंकार कर दिया।



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