SHAHDOL: मां के शव को 80 किमी ले जाने के लिए एम्बुलेंस ने मांगे 5K, गरीबी से मजबूर बेटों ने BIKE में बांध कर ले गए गांव

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Rahul Tiwari
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SHAHDOL:  मां के शव को 80 किमी ले जाने के लिए एम्बुलेंस ने मांगे 5K, गरीबी से मजबूर बेटों ने BIKE में बांध कर ले गए गांव

SHAHDOL. इसे सिस्टम की नाकामी कहें या फिर गरीबी को कोसे क्योंकि शहडोल से जो तस्वीरें आई हैं। इन तस्वीरों में दो बेटे अपनी मां की लाश को मजबूरी में मोटर साइकिल में गाँव तक ले जाने को मजबूर दिखे। वजह थी कि गांव तक के लिए एम्बुलेंस मालिक 5000 रुपये मांग रहा था। यह रकम चुका पाने में बेटे सक्षम नहीं थे। मजबूरी में मां की लाश को मोटरसाइकिल में बांध कर गांव ले गए। अनूपपुर जिले के गोडारू गांव की रहने वाली महिला जयमंत्री यादव को सीने में तकलीफ होने के कारण परिजनों ने जिला अस्पताल शहडोल में भर्ती कराया था। जहां जयमंत्री की हालत में सुधार न होने के कारण शनिवार की रात 11 बजे मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया। उपचार के दौरान रात 2.40 बजे उसकी मौत हो गई। इसके बाद बेटों ने मां के शव को गांव ले जाने के लिए प्राइवेट एम्बुलेंस करने की सोची लेकिन 5000 किराया नहीं दे पाने के कारण मोटर साइकिल में ले जाने को मजबूर हो गए। इस पर शहडोल मेडिकल कॉलेज के रजिस्ट्रार डॉ. नागेंद्र सिंह ने बताया कि कॉलेज में शव वाहन नहीं है। सीएसआर मद से दो मिली हैं लेकिन पंजीयन की प्रक्रिया में हैं। इस घटना की जानकारी नहीं दी गई थी। ऐसा नहीं है कि व्यवस्था नहीं की जाती। बोला जाता तो सब संभव होता।





100 रुपए की पटिया खरीदी, उसी में बांधा शव





मृतका के बेटे सुंदर ने बताया कि मां की मौत के बाद उन्होंने शव वाहन के बारे में पता किया लेकिन अस्पताल में शव वाहन ही नहीं था। प्राइवेट शव वाहन वालों से बात की तो शव ले जाने के लिए 5 हजार रुपए मांगे लेकिन इतने पैसे उनके पास नहीं थे। काफी मन्नतें की लेकिन फिर भी किसी का दिल नहीं पसीजा। लिहाजा मां के शव को बाइक से ही घर ले जाने का फैसला लिया। एक 100 रुपए का पटिया खरीदा और शव को बांधकर बाइक से 80 किलोमीटर दूर अपने गांव अनूपपुर के कोतमा गोडारू के लिए रवाना हो गए।





नर्सों पर बेटे ने लगाया आरोप





मृतका के बेटे सुंदर यादव ने जिला अस्पताल की नर्सों पर आरोप लगाते हुए बताया कि अस्पताल में लापरवाही पूर्वक इलाज किया जा रहा था। जिससे स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो रहा था। जब नर्स से मरीज को देखने की बात कही गई तो एक इंजेक्शन व एक बॉटल लगाया तबसे स्वास्थ्य और बिगड़ने लगा था। जिसके बाद मेडिकल कॉलेज लेकर आए, जहां दो घंटे बाद मां की मौत हो गई। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आर एस पांडेय ने बताया कि सूचना ही नहीं दी गई। मेडिकल कॉलेज भी बताया तो हम व्यवस्था करते।



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