भोपाल. बजट में सरकारी कर्मचारियों के लिए कई ऐलान किए गए हैं। मध्यप्रदेश सरकार ने कर्मचारियों को मिलने वाला महंगाई भत्ता यानी डीए 20 फीसदी से बढ़ाकर 31 प्रतिशत कर दिया है। यानी इसमें 11 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई है। हालांकि, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने जन्मदिन के मौके पर इसकी घोषणा कर चुके है। इसके अलावा कोरोना में जान गंवाने वाले 694 कर्मचारियों के परिजनों को 50-50 लाख रुपए मिलेंगे। इसके लिए 22 करोड़ 35 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है। वहीं, पुरानी पेंशन स्कीम (old pension scheme) बहाल होने की उम्मीद कर रहे कर्मचारियों (Govt employees) को निराशा मिली है। सरकार ने पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल नहीं किया है। इधर छत्तीसगढ़ सरकार ने बजट (Budget) भाषण में पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने का ऐलान कर दिया है। इससे सीधा-सीधा मध्यप्रदेश सरकार पर दवाब पड़ेगा। वहीं, 13 फरवरी को पूरे प्रदेश से कर्मचारी भोपाल में जुटेंगे। यहां कर्मचारी धरना देकर पुरानी पेंशन बहाली की मांग करेंगे। इससे शिवराज सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ सकती है।
कर्मचारियों के लिए बजट में ऐलान
- सरकार ने महंगाई भत्ते को 20 से बढ़ाकर 31 प्रतिशत कर दिया है।
राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ऐलान से एमपी में टेंशन: राजस्थान के बाद छत्तीसगढ़ दूसरा राज्य बन गया है, जिसने पुरानी पेंशन योजना लागू करने का ऐलान किया है। इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 23 फरवरी को पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करने का ऐलान किया था। इसके बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 9 मार्च को अपने बजट भाषण में स्कीम को बहाल करने का ऐलान कर दिया है। राज्य की कांग्रेस सरकार NPS को छोड़कर अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू कर देगी।
ये है पेंशन की सियासत का समीकरण: छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश की सीमा से सटा हुआ राज्य है। यहां के मुद्दे सीधे-सीधे मध्यप्रदेश को भी प्रभावित करते हैं। मध्यप्रदेश का कर्मचारी वर्ग लंबे समय से पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली की मांग कर रहा है। छत्तीसगढ़ में बहाली का ऐलान होने के बाद मध्यप्रदेश के कर्मचारी संगठनों को मांग और ज्यादा मजबूत हो गई है। 13 मार्च को मध्यप्रदेश के कर्मचारी संगठन पेंशन की बहाली को लेकर बड़ा आंदोलन करेंगे। इस आंदोलन में पूरे प्रदेश के कर्मचारी शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है। इधर पूर्व सीएम कमलनाथ ने भी पुरानी पेंशन स्कीम पर अपना एजेंडा क्लियर कर दिया है। कमलनाथ ने राजस्थान की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी स्कीम लागू करने की मांग की है। इससे शिवराज सरकार पर चौतरफा दवाब पड़ेगा।
MP में ये है गणित: कर्मचारी संघ के मुताबिक, मध्यप्रदेश में 3.35 लाख सरकारी कर्मचारी और अधिकारी 1 जनवरी 2005 के बाद नौकरी में आए हैं। इसमें सबसे ज्यादा टीचर की संख्या 2.87 लाख हैं। इसके अलावा 48 हजार बाकी कर्मचारी हैं। ये नई पेंशन स्कीम के दायरे में आते हैं। इसलिए सरकार हर महीने इनके मूल वेतन की 14 फीसदी अंशदान राशि जमा करती है। ये सालाना करीब 344 करोड़ रुपए हैं। अगर शिवराज सरकार पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करती है। ऐसे स्थिति में सरकार को इन 344 करोड़ रुपए की सालाना बचत होगी। सरकार पर 14 साल बाद यानी 2035-36 से वित्तीय बोझ आना शुरू होगा। अगर सरकार इसे लागू करती है तो उसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायपेयी की योजना बदलनी होगा।