भोपाल। सरकार की नाक के नीचे राजधानी में लोक निर्माण विभाग (PWD) में चहेते ठेकेदारों (contractors) को लाभ पहुंचाने के लिए ई-टेंडरिंग (e-tender) व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। विभाग की विद्युत यांत्रिकी (E&M) डिवीजन ने करीब डेढ़ करोड़ के काम टेंडर बुलाए बिना ही बांट दिए। ठेकेदारों को मनमाफिक वर्कऑर्डर (work order) जारी कर काम कराने के बाद बिलों का भुगतान भी कर दिया गया। इस मामले में पीडब्ल्यूडी मंत्री (PWD minister) गोपाल भार्गव (Gopal bhargava) और प्रमुख सचिव (Principal secretory pwd mp) नीरज मंडलोई (neeraj mandloi) से शिकायत के बाद जांच शुरु हुई है। लेकिन जांच की कछुआ रफ्तार बताती है कि मामले को दबाने के भरसक प्रयास किेए जा रहे हैं।
EE ने चहेते कांट्रैक्टर को लाभ पहुंचाने बदली प्रक्रिया
गवर्मेंट इलेक्ट्रिकल कॉन्ट्रेक्टर एसोसिएशन ने लोक निर्माण विभाग के विद्युत यांत्रिकी डिविजन-1, भोपाल के कार्यपालन यंत्री (executive engineer) राजेश दुबे (rajesh dubey) पर चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए कामों की बंदरबांट करने का आरोप लगाया है। दुबे ने ई-टेंडर प्रोसेस को दरकिनार कर लाखों रुपयों के स्वीकृत कार्यों को टुकड़ों में बांट दिया और जोनल टेंडर पॉलिसी (zonal tender policy) के अंतर्गत चहेते ठेकेदारों को वर्कऑर्डर जारी कर दिए। बता दें कि जोनल टेंडर के अंतर्गत सिर्फ 20 लाख रुपये तक के मेंटेनेंस से जुड़े कार्य मंजूर किए जाते हैं। जोनल टेंडर भी साल में सिर्फ एक बार मंजूर करने का नियम है। मेंटेनेंस के अलावा 2 रुपये के ऊपर की राशि के अन्य सभी कार्यों के लिए अलग से टेंडर जारी करना अनिवार्य है।
सीधे वर्क ऑर्डर के इन मामलों से खुली पोल
- दिसंबर 2019 में टीबी हॉस्पिटल (TB hospital), ईदगाह हिल्स भोपाल में करीब 24 लाख रुपए के बिजली संबंधी कार्य की स्वीकृत किए गए। लेकिन इस काम के लिए ई- टेंडर बुलाने के बजाए जोनल टेंडर के तहत चहेते ठेकेदारों से काम करा लिए गए।
टेंडर जारी न कर सरकार को पहुंचाया आर्थिक नुकसान
कार्यपालन यंत्री राजेश दुबे के कार्यालय से सीधे वर्कऑर्डर के जरिए कराए गए कामों का पेमेंट निर्धारित दर से 5 फीसदी ज्यादा (above) किया गया। यदि इन सभी कामों को नियमानुसार टेंडर प्रक्रिया के जरिए कराया जाता तो संबंधित सभी काम निर्धारित एसओआर (SOR) से 19 फीसदी तक कम दर पर कराए जा सकते थे। डिवीजन ऑफिस में की जा रही मनमानी की शिकायत होने पर प्रशासन अकादमी के बचे हुए 29 लाख रुपए के काम के लिए टेंडर बुलाए गए जिन्हें संबंधित ठेकेदार ने 19 फीसदी कम (below) दर पर किया है। इससे जाहिर है कि यह सब चहेते ठेकेदारों के साथ सांठगांठ कर उन्हें फायदा पहुंचाने के लिए किया गया।
जांच शुरू होने के बाद भी पद पर बने हुए हैं आरोपी ईई
डिवीजन-1 में पिछले करीब तीन साल से लगातार टेंडर प्रोसेस को दरकिनार किए जाने की शिकायतों के बाद पीडब्ल्यूडी विभाग ने जांच शुरु कराई है। विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई के निर्देश पर सचिव पीसी बारस्कर के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच दल बनाया गया है। 28 अक्टूबर को जांच कमेटी ने भोपाल के 12 दफ्तर जवाहर चौक स्थित विद्युत यांत्रिकी शाखा से वर्क ऑर्डर और टेंडर से जुड़े दस्तावेज जब्त किए। अनियमितता के इस मामले में कार्यपालन यंत्री राजेश दुबे पर गंभीर आरोप हैं। लेकिन जांच शुरु होने के बावजूद वे पद पर बने हुए है। ऐसे में जांच प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है।
जांच के नाम पर टालमटोल कर रहे हैं अधिकारी
मामले की जांच सचिव पीसी बारस्कर कर रहे हैं। शिकायतों की जांच के बारे में जानकारी लेने के लिए द सूत्र के संवाददाता ने उनसे बात की। शुरुआत में बारस्कर मामले को टालते रहे। लेकिन शिकायत से जुड़े दस्तावेज दिखाने के बाद उन्होंने कहा कि अभी जांच चल रही है। कार्रवाई के बारे में बात करने के लिए वे अधिकृत नहीं है। उन्होंने कहा कि जांच सरकारी प्रक्रिया से चलती है। अभी हम किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं। उनके बाद द सूत्र ने प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई से भी संपर्क किया लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
ईई ने बात करने से किया इनकार
द सूत्र ने इस मामले में ईएंडएम डिवीजन-1 के कार्यपालन यंत्री राजेश दुबे का पक्ष जानने के लिए उनसे संपर्क किया। पहले तो दुबे शिकायत और सभी आरोपों से नकारते रहे। लेकिन जब उन्हें बताया गया कि शिकायत और आरोपों से संबंधित सभी दस्तावेज द सूत्र के पास मौजूद हैं तो दुबे ने कहा कि वे मामले में कोई बात नहीं करना चाहते।