SIDHI. केंद्रीय मंत्री रहते स्व.अर्जुन सिंह ने जिस नवलदास को खुद के पावर से सीधी नगर पालिका का अध्यक्ष बनाया था वही आज कांग्रेस के लिए मुसीबत बन गए हैं। बेटे को टिकट न मिलने से नाराज नवलदास भाजपा का प्रचार करने लगे हैं। भाजपा की पट्टी गले में डाले स्थानीय नेताओं के साथ खुलेआम वोट मांग रहे हैं. पूर्व अध्यक्ष के इस क्रियाकलाप को देख कांग्रेस चुप्पी साधे हुए है।
वर्ष 1998 में नवलदास आहूजा सीधी नगर पालिका के उस समय अध्यक्ष बनाये गए थे जब नगर पालिका पिछड़ावर्ग के लिए आरक्षित थी। सामान्य वर्ग से होने के बाद भी स्व.अर्जुन सिंह ने पिछड़ा का प्रमाणपत्र जुगाड़ कर न की पार्टी का उम्मीदवार बनाया बल्कि खुद के प्रभाव से चुनाव जिताया भी था। कोर्ट के झमेले के समय भी मदद की थी. बताया जाता है की नवलदास टिकट बंटवारे के पहले अपने बेटे के लिए टिकट मांगने अजय सिंह राहुल के पास गए थे, राहुल ने आश्वस्त भी किया था, किन्तु जब टिकट की घोषणा हुई तो उनके बेटे की जगह सनी मोटवानी को पार्षद पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। बाद में सनी का पर्चा निरस्त हो गया किन्तु नवल दास की नाराजगी कम नहीं हुई। इधर, चिन्ह आवंटन के बाद प्रचार शुरू हुआ तो नवलदास कांग्रेस का प्रचार करने के बजाय भाजपा का पट्टा डाल घूमना शुरू कर दिया है। विधायक केदारनाथ शुक्ला के बेटे गुरुदत्त के साथ वार्ड भ्रमण की
फोटो खूब वायरल भी हो रही है। ऐसा नहीं की नवलदास छिप-छिपाकर प्रचार में जुटे हैं वे तो खुलेआम निकल पड़े हैं पर इसके बाद भी अभी तक कांग्रेस का कोई रिएक्शन नहीं आया है।
ऊपर से इशारा मिलने का इंतजार
नाराज नवलदास कांग्रेस को कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं पार्टी नेता अभी आकलन करने में जुटे हुए हैं। उनका भाजपा के साथ चलना नगरीय क्षेत्र में प्रभाव डालेगा या एक दो वार्ड में ही असर रहेगा के आकलन बाद ही पार्टी नेता कुछ लेने की स्थिति में होंगे। वैसे भी वर्तमान जिलाध्यक्ष नवलदास से काफी जूनियर हैं जिस कारण खुद कोई निर्णय लेंगे लगता नहीं है। कोई कार्यवाही करने के पहले पार्टी अभी नवल दास को मनाने का काम करेगी, पार्टी नेताओं को उम्मीद है कि वे मान भी जायेंगे।
भितरघात का दोनों तरफ खतरा
निकाय चुनाव में कांग्रेस - भाजपा दोनों को भितरघात का खतरा सता रहा है। वार्ड से चुनाव जीतने के बाद कहीं अध्यक्ष न बन जाये इसलिए दोनों दलों में टांग खिंचाई की सम्भावना बनी हुई है। उन्हें टिकट नहीं मिली वे तो अपने ही पार्टी के प्रत्याशी को हराने में जी जान लगा देंगे। हालांकि डैमेज कंट्रोल के प्रयास भी शुरू हैं पर कौन कहाँ घात कर देगा कहा नहीं जा सकता। नवलदास जैसे लोगों से तो पार्टी निपट भी लेगी पर भितरघातियों से निपटना दोनों दलों के लिए मुश्किल लग रहा है।