भोपाल. भारतीय ‘अफसरशाही’ को नए भारत के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने और अच्छा एवं प्रभावी शासन सुनिश्चित करने के लिए नियत समय पर ‘सर्जिकल स्ट्राइक' के माध्यम से आवश्यक परिवर्तन करने की सख्त जरूरत है। दिल्ली-स्थित वरिष्ठ पत्रकार अश्विनी श्रीवास्तव अपनी नई किताब में इस बात पर जोर देते हैं। साथ ही यह पुस्तक भारतीय अफसरशाही के बारे में लोगों के दिमाग में एक मजबूत अवधारणा कि यह स्वभाव से भ्रष्ट है, दंभपूर्ण और टालमटोल करने वाली है, को निर्दिष्ट करती है एवं इससे जुड़े संभावित विकारों को संक्रामक बताते हुए उन्हें 'मिशन-मोड' में संबोधित करने की आवश्यकता बतलाती है।
लेखक ने ये सुझाए दिए: अश्विनी श्रीवास्तव द्वारा हाल ही में जारी इस पुस्तक "डिकोडिंग इंडियन बाबूडोम" में शासन और अफसरशाही से संबंधित कई बातों और संभावित समाधानों पर प्रकाश डाला गया है, जो कि अपनी तरह की पहली पहल है। मध्यप्रदेश के भोपाल में जन्मे लेखक ने आम आदमी के दृष्टिकोण से देश की प्रशासनिक व्यवस्था की समस्याओं का उल्लेख अपनी पुस्तक में रुचिपूर्ण तरीके से किया है और देश में अच्छे और प्रभावी शासन को प्राप्त करने के लिए "15 सूत्र" भी सुझाए हैं, जो देश के प्रशासन में व्यापारियों के विश्वास को बढ़ाकर निवेश लाने में उपयोगी हो सकते हैं।
लोगों की आकांक्षाओं से मेल खाने वाली व्यवस्था: सुशासन सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयास किए जाने चाहिए। लोगों की जरूरतों का मूल्यांकन और पुनर्मूल्यांकन समय-समय पर किया जाना चाहिए, ताकि सेवाओं की त्वरित डिलीवरी और लोगों की आकांक्षाओं से मेल खाने वाली व्यवस्था देश में सुनिश्चित की जा सके। श्रीवास्तव अपनी पुस्तक में कहते हैं। यह पुस्तक उन लोगों के लिए उपयोगी हो सकती है, जो सिविल सेवा में जाना चाहते हैं या देश की प्रशासनिक व्यवस्था में रुचि रखते हैं, लेखक कहते हैं। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को विश्व स्तर के शासन का अनुभव करने का पूरा अधिकार है। यह कुछ ऐसा है जो हमारे ‘अफसरशाह’ देने में सक्षम हैं, लेखक, जो प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई), दिल्ली में वर्तमान में पदस्थ हैं, एक आशावादी नोट पर अपने निष्कर्ष में कहते हैं।