भोपाल. लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल विश्व ग्लूकोमा सप्ताह (world glaucoma week) मनाया जाता है। लोगों के बीच ग्लूकोमा की रोकथाम, नियंत्रण व जागरूकता पैदा करने के लिए विश्व ग्लूकोमा दिवस भी मनाया जाता है। ग्लूकोमा अंधेपन का उभरता हुआ एक कारण है। इससे बचने के लिए लोगों को नियमित रूप से आप्टिक तंत्रिका की जांच व आंखो की जांच करवाने की सलाह दी जाती है, जिससे समय रहते ग्लूकोमा रोग को पहचाना जा सके। इसका उपचार किया जा सके। इस साल भी 6 मार्च से 12 मार्च तक विश्व ग्लूकोमा सप्ताह मनाया जाएगा। इस मौके पर भोपाल डिवीजन ऑप्थेल्मिक सोसाइटी द्वारा जागरूकता के लिए कैंडल रैली निकाली जा रही है। लोगों को ग्लूकोमा के दुष्प्रभावों के बारे में भी बताया जाएगा। रैली की शुरुआत नवनिर्मित सुभाष नगर ब्रिज पर शाम 6 बजे से की जाएगी।
क्या है ग्लूकोमा: ग्लूकोमा नेत्र रोगों के एक समूह के लिए नाम दिया गया है, जिसमें आंख के पीछे आप्टिक तंत्रिका धीरे-धीरे नष्ट हो जाती है। ज्यादातर लोगों में यह क्षति जलीय द्रव या इसके निकासी मार्ग में रूकावट के कारण आंख के अंदर दबाव में वृद्धि के कारण होती है। अन्य रोगियों में यह क्षति आप्टिक तंत्रिका तंतुओं को रक्त की आपूर्ति की वजह से तंत्रिका की संरचना में कमजोरी या तंतुओं के स्वास्थ्य में किसी समस्या के कारण हो सकती है।
इससे है खतरा: ग्लूकोमा किसी को भी हो सकता है लेकिन मधुमेह, माईग्रेन, निकट दृष्टिदोष, दूर दृष्टिदोष, आंख में चोट, रक्तचाप वाले लोगों को इससे अधिक खतरा रहता है।
लक्षण: दृष्टि का धुंधला होना, हल्का सिरदर्द, आंखों में दर्द, आंखों मे लाली, दृष्टि में लगातार कमी, दृष्टि में इन्द्रधनुष या प्रभामंडल जैसा दिखना, लगातार सिरदर्द के साथ उल्टी होना। यदि ऐसे लक्षण हों तो नेत्र चिकित्सक से परामर्श लें। उपचार-चिकित्सक की सलाह और नियमित नेत्र परीक्षण आवश्यक है। कुछ मामलों में नेत्र चिकित्सक औषधियों के उपयोग या नेत्र सर्जरी के लिए भी सलाह दे सकते हैं। जिले की सभी शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में निशुल्क जांच और उपचार उपलब्ध है।