BHOPAL : दिलीप बिल्डकॉन ने लग्जरी कार खड़ी करने कटवाए पेड़, पूर्व मंत्री पीसी शर्मा भी नहीं पीछे

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Rahul Sharma
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BHOPAL : दिलीप बिल्डकॉन ने लग्जरी कार खड़ी करने कटवाए पेड़, पूर्व मंत्री पीसी शर्मा भी नहीं पीछे

BHOPAL. राजधानी भोपाल (Rajdhani Bhopal) में सरकार की नाक के नीचे ही ग्रीनरी खत्म (greenery finish) हो रही है और किसी के कान में जूं तक नहीं रेंग रही। अकेले राजधानी परियोजना प्रशासन (Rajdhani Project Administration) यानी सीपीए (CPA) द्वारा 15 साल में जो 28 लाख पेड़ लगाए गए उनमे से ही 692 जगह इन हरेभरे पेड़ों को काटकर अतिक्रमण हो चुका है। द सूत्र के पास इन 692 अतिक्रमणकारियों (Encroachment) की पूरी सूची उपलब्ध है। आज हम बात करेंगे अरेरा कालोनी के उन रसूखदारों की जो यहां की ग्रीनरी खा गए और किसी में इतनी हिम्मत नहीं कि वे इन पर कार्रवाई कर दे, पर द सूत्र इन सफेदपोश रसूखदारों का खुलासा करेगा। इनमें सबसे पहला नाम आता है अरेरा कॉलोनी के ई-सेक्टर में दिलीप बिल्डकॉन के दिलीप सूर्यवंशी (Dilip Suryavanshi) के आलीशान बंगले का। बंगले के सामने सीपीए ने जिस जगह पर पेड़ लगाए थे, वहां अब लग्जरी कारे खड़ी है। यही नहीं इन लग्जरी कारों की रखवाली के लिए 24 घंटे गार्ड तैनात रहता है। दूसरे नंबर पर है ई-सेक्टर में ही रह पूर्व मंत्री पीसी शर्मा (Former Minister PC Sharma) । कांग्रेस विधायक पीसी शर्मा के बंगले के सामने भी जहां पेड़ होने चाहिए, वहां शेड बनाकर गाड़ियां पार्क की जा रही हैं।   





सीपीए के अतिक्रमणकारियों की सूची में कांग्रेस के नेता नहीं





आपको भी यह जानकर हैरानी हुई होगी कि शिवराज सरकार (Shivraj Sarkar) के बेहद करीबी होने के बाद भी दिलीप बिल्डकॉन के डायरेक्टर दिलीप सूर्यवंशी का नाम आखिर अतिक्रमणकारियों की लिस्ट में 31 नंबर पर कैसे आ गया। दरअसल सीपीए ने अतिक्रमणकारियों की लिस्ट के साथ पहला पत्र भोपाल संभाग कमीश्नर को 17 मार्च 2020 को भेजा था, मतलब अतिक्रमणकारियों को चिन्हित कर उनकी सूची इससे पहले बनाई गई। इस दौरान प्रदेश में सत्ता में कांग्रेस सरकार थी। यही कारण है कि भाजपा के इतने करीब होने के कारण दिलीप सूर्यवंशी का अतिक्रमणकारियों की लिस्ट में नाम आ गया, वहीं ठीक रोड के दूसरी ओर पीसी शर्मा के अतिक्रमण को सूची में शामिल नहीं किया गया, क्योंकि उस दौरान पीसी शर्मा कैबिनेट मिनिस्टर थे। कुल मिलाकर सीपीए ने निष्पक्षता से सूची तैयार नहीं की और कांग्रेस के कई नेताओं के अतिक्रमण को इसमें शामिल नहीं किया गया। बड़ी बात नहीं कि यदि आज सूची तैयार हो तो दिलीप सूर्यवंशी का नाम उसमें से हटकर पीसी शर्मा का नाम जुड़ जाए, जबकि हकीकत में हरियाली के तो दोनो ही दुश्मन हैं। 





ऑक्सीजन देने की जगह छीनने का काम कर रहे नामी हॉस्पिटल





कोरोना की सेकेंड वेव में हम सभी ने ऑक्सीजन की कीमत को समझा, पर जिन हॉस्पिटल का काम ऑक्सीजन देना होता है, पेड़ों को काटकर वही ऑक्सीजन छीनने का काम कर रहे हैं। जी हां... अरेरा कॉलोनी में पेड़ों को काटकर अतिक्रमण करने वालों की लिस्ट में भोपाल के नामी हॉस्पिटल भी पीछे नहीं है। 11 नंबर से 1100 क्वाटर के बीच फैक्चर हॉस्पिटल, गेस्ट्रोकेयर हॉस्पिटल, विजय आरोग्यम, डॉ. मयूर अग्रवाल क्लीनिक है। इन सभी के सामने पूरी ग्रीनरी ही खत्म कर पेबल ब्लॉक लगा दिए गए हैं। यहां अब मरीजों के परिजन बैठकर आराम करते हैं, कुछ जगह गाड़ियां पार्क हो रही है। इस पूरे इलाके में ग्रीनरी का नामों निशान नहीं है। खास बात यह है कि गेस्ट्रोकेयर हॉस्पिटल के सामने जिस जगह शासकीय भूमि होने और उस पर अतिक्रमण करने पर कार्रवाई करने की चेतावनी का बोर्ड लगा है, वहीं और उसके आसपास ही 100 फीसदी अतिक्रमण कर लिया गया है। इसके अलावा रोडमास्टर साइकिल शोरूम के सामने भी गाड़ी खड़ी करने के लिए पेड़ों को काटकर जगह समतल कर दी गई है। अरेरा कॉलोनी में ऐसे कई अतिक्रमण मौजूद है। 





निगम के खुद के अतिक्रमण तो कार्रवाई कैसे करें!





11 नंबर से 1100 क्वाटर के बीच ही दो जगह नगर निगम के अतिक्रमण हैं तो पूरे भोपाल का अंदाजा तो लगाया ही जा सकता है। पर्यावरणविद डॉ. सुभाष सी. पांडेय का तो सीधा आरोप है कि भोपाल की ग्रीनरी को जितना नुकसान खुद नगर निगम ने पहुंचाया, उतना किसी व्यक्ति या संस्था ने नहीं पहुंचाया। रोड मास्टर बाइक शोरूम के पास निगम लोगों के बैठने के लिए जिस जगह चेयर लगाने वाला है, वहां पहले कभी पेड़ हुआ करते थे। वहीं साढ़े 10 नंबर चौराहे पर स्थित दुर्गादास राठौर की प्रतिमा को निगम ने चौराहे से हटाकर साइड में उसी जगह स्थापित किया जहां ग्रीनरी होना थी। प्रतिमा के पास लोगों के बैठने के लिए बेंच लगाई गई, जिससे एक बड़ा हिस्सा ग्रीनरी का चला गया।





केमिकल डालकर सुखा देते हैं पेड़





पर्यावरणविद राशिद नूर खान का कहना है कि शासन-प्रशासन खुद इन पेड़ों को हटाकर अतिक्रमण करने में लगा है, ऐसे में प्राइवेट अतिक्रमण की बात ही क्या करें। राशिद नूर खान के मुताबिक लोग केमिकल डालकर पहले पेड़ों को सुखाते हैं, फिर उन्हें काटकर जगह को समतल कर अपने उपयोग में ले लेते हैं। जिस तेजी से ग्रीनरी खत्म कर अतिक्रमण हो रहे हैं यदि ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब भोपाल से ग्रीनरी गायब हो जाएगी।



 



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