MP: BJP में लागू होगा संघ का पैटर्न, भारी पड़ी संगठन मंत्रियों की निगम में ताजपोशी, निकाय चुनावों में सामने आई कमजोर होती पकड़

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MP: BJP में लागू होगा संघ का पैटर्न, भारी पड़ी संगठन मंत्रियों की निगम में ताजपोशी, निकाय  चुनावों में सामने आई कमजोर होती पकड़

BHOPAL. नगर निगम चुनावों (municipal elections) मे मिली हार से बीजेपी (BJP) से लेकर संघ (sangh) तक में चिंता से लेकर चिंतन तक का दौर शुरु हो गया है। हाल ही में हुए संघ में बदलाव को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। इसके पीछे का बड़ा कारण पार्टी की जमीन पर कमजोर होती पकड़ माना जा रहा है। संघ ने पिछले साल संभागीय संगठन मंत्रियों की व्यवस्था खत्म कर उनकी ताजपोशी निगम-मंडलों में कर दी। इस बदलाव के बाद बीजेपी की जमीनी पकड़ कमजोर होती गई जिसका उदाहरण नगर निगम चुनाव हैं जिनमें बीजेपी (bjp) की सीट 16 से घटकर 9 पर आ गईं। हाल ही में वरिष्ठ संघ नेता अजय जामवाल (ajay jamwal) को क्षेत्रीय संगठन महामंत्री बनाया गया है,उनको मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ (Madhya Pradesh, Chhattisgarh) की जिम्मेदारी दी गई है। इस बदलाव के बाद अब प्रदेश संगठन महामंत्री के साथ दो सह संगठन मंत्रियों को जोड़ा जा रहा है। 









अगस्त 2021 तक यह थी व्यवस्था





बीजेपी में एक साल पहले छह संगठन मंत्री हुआ करते थे जो अलग-अलग संभागों में तैनात होकर बीजेपी और संघ का जमीनी स्तर पर काम और आपसी तालमेल का जिम्मा संभालते थे। शैलेंद्र बरुआ के पास जबलपुर और नर्मदापुरम की जिम्मेदारी थी। जितेंद्र लिटोरिया उज्जैन संभाग की जिम्मेदारी संभालते थे। आशुतोष तिवारी के पास के ग्वालियर और भोपाल संभाग का जिम्मा था। श्याम महाजन के पास रीवा-शहडोल की जिम्मेदारी थी। इसके अलावे जयपाल सिंह चावड़ा के पास इंदौर की जिम्मेदारी थी। साथ ही केशव सिंह भदौरिया के पास सागर और चंबल की जिम्मेदारी थी। ऐसा पहली बार हुआ है जब संभागीय संगठन मंत्रियों को हटाकर यह पद व्यवस्था ही खत्म की गई है। 





इनकी हुई ताजपोशी 







  • जीतेंद्र लटोरिया को खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया गया। 



  • शैलेंद्र बरुआ- अध्यक्ष, पाठ्य पुस्तक निगम बनाए गए। 


  • आशुतोष तिवारी- को हाउसिंग बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया गया। 


  • इनके अलावा श्याम महाजन, जयपाल सिंह चावड़ा और केशव सिंह भदौरिया को कार्यसमिति सदस्य बनाकर बीजेपी में शामिल कर लिया गया। 






  • बीजेपी में लागू होगा संघ का पैटर्न 





    बीजेपी ने संभागीय संगठन मंत्री की व्यवस्था को ही खत्म कर दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक बदली व्यवस्था के तहत संघ के पैटर्न पर प्रदेश को तीन भागों में बांटने की तैयारी है। इसके तहत मालवा, मध्य और महाकौशल प्रांत के स्तर पर नई नियुक्ति की जाएंगी। इसमें संघ के प्रचारकों को बड़ी भूमिका दी जा सकती है। बताया जा रहा है कि प्रदेश में संगठन महामंत्री के साथ 2 और सह संगठन मंत्रियों को संघ भेजेगा। संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा के साथ जल्द ही 2 सह संगठन मंत्रियों को एक-एक प्रांत की जिम्मेदारी दी जाएगी। एक सह संगठन मंत्री का मुख्यालय इंदौर रहेगा जो मालवा प्रांत संभालेंगे। दूसरे सह संगठन मंत्री का केंद्र जबलपुर होगा जो महाकौशल को देखेंगे। हितानंद शर्मा मध्य और ग्वालियर चंबल के साथ तीनों प्रांतों का समन्वय भी संभालेंगे। 





    सत्ता-संगठन के नए केंद्र बन गए थे संभाग कार्यालय





    पार्टी सूत्रों ने संगठन मंत्रियों को हटाए जाने की बड़ी वजह मानी है कि संभागीय कार्यालय सत्ता और संगठन के नए केंद्र के रूप में काम कर रहे थे। विधायकों से लेकर जिलों में काम करने वाले पदाधिकारियों का संगठन मंत्रियों के प्रभाव में आकर फैसले लेने का प्रचलन बढ़ता जा रहा था। इतना ही नहीं, प्रशासनिक कार्यप्रणाली भी इनके हस्तक्षेप से प्रभावित हो रही थी। यही वजह है कि अब नई व्यवस्था को लागू किया जा रहा है।





    संघ के कम हुए दखल से बीजेपी पर पड़ा असर





    संघ ने बीजेपी में अपना दखल कम किया तो पार्टी पर इसका बड़ा असर पड़ा। नगर निगम चुनावों ने दिखा दिया कि किस तरह पार्टी की पकड़ जमीनी स्तर पर कम होती जा रही है। यही कारण है कि अब संघ के पैटर्न पर बीजेपी में नया बदलाव किया जा रहा है। अब आरएसएस की निगरानी में नगर अध्यक्ष भी रहेंगे। संघ ने यह भी माना है कि निगम चुनाव में नगर इकाई नाकाम साबित हुई हैं। चुनाव जैसे बड़े काम अकेले नगर अध्यक्ष के बस की बात नहीं है। आने वाले समय में विधानसभा चुनाव हैं इसलिए इन कमियों को दुरुस्त करने का जिम्मा संघ ने फिर से उठाया है। नगर निगम चुनावों के बाद फिर संगठन मंत्री की कमी महसूस होने लगी है। अब फिर से संघ संगठन मंत्रियों के रुप में अपने नेताओं को बीजेपी में बैठाने जा रहा है। इंदौर हो या जबलपुर या फिर ग्वालियर। इन तीनों महानगरों में नगर अध्यक्ष का काम प्रभावी नहीं रहा। यहां पर संगठन बिखरा—बिखरा सा नजर आया। नगर इकाई में चल रही बड़े नेताओं की मनमानी भी नजर आई है। इंदौर में बीजेपी की लीड कम हो गई तो जबलपुर और ग्वालियर में हार का सामना करना पड़ा। संघ को ये बात भी रास नहीं आई कि संभागीय संगठन मंत्रियों की व्यवस्था खत्म कर उनको लाभ के पद पर बिठा दिया गया। संगठन मंत्रियों पर उठे सवालों पर भी संघ नाखुश है। अबइनए संगठन मंत्री की डोरी संघ के खूंटे से बंधी रहेगी और वे भाजपा की नगर इकाइयों के संदर्भ में आरएसएस को समय समय पर रिपोर्ट करेंगे। 





    संघ ने की नई नियुक्तियां





    बीजेपी में संघ की नई नियुक्तियों का दौर हाल ही में शुरु हुआ है।  अजय जामवाल को क्षेत्रीय संगठन महामंत्री, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश को मुंबई भेजा गया है। यानी शिवप्रकाश का केंद्र अब भोपाल की जगह मुंबई रहेगा। इससे पहले शिवप्रकाश ही समन्वय की भूमिका में थे। वे मध्यप्रदेश में सत्ता-संगठन के साथ ही दिल्ली और प्रदेश के बीच में सेतु का काम भी करते थे। प्रदेश के हर फैसले में शिवप्रकाश की सहमति शामिल होती थी।



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