मप्र सरकार ने तय किया था कि आदिवासी गांवों में सामुदायिक वन प्रबंधन समितियों के गठन, भंग करने और पुर्नगठन की जिम्मेदारी ग्राम सभा को दी जाए। भोपाल में इसके लिए वन समितियों के सम्मेलन का आयोजन किया गया.. जिसें गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल हुए थे। इस सम्मेलन में मौजूद मुख्यमंत्री और गृहमंत्री दोनों ने इसे ऐतिहासिक फैसला कहा.. सरकार की तारीफों के जमकर पुल बांधे गए.... लेकिन द सूत्र खुलासा कर रहा है कि सरकार ने इस प्रस्ताव को वापस ले लिया है... जितना शोर शराबा ग्रामसभा को अधिकार देने का किया गया.. उतनी ही खामोशी से प्रस्ताव निरस्त कर दिया। आखिरकार ऐसा क्यों किया और सरकार को किस बात का डर था.. अब सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या केवल आदिवासी वोटबैंक को बरगलाने के लिए इस सम्मेलन का आयोजन हुआ था।