किसी जमाने में राजनीतिक दलों में पर्चे की सियासत होती थी.. यानी किसी पर आरोप लगाना है तो उसके खिलाफ पर्चे छपवा दिए.. पर्चे में आरोप लगाए जाते थे...पर्चे किसने छपवाए ये पता लगाना मुश्किल होता था केवल कयास लगाए जाते थे.. ये पॉलिटिक्स पार्टी के भीतर और विरोधी पक्ष दोनों के लिए आजमाई जाती थी लेकिन अब पर्चा पॉलिटिक्स पीछे छूट चुकी है अब तो फोटू पॉलिटिक्स सामने आ गई है.. इस समय गुना हत्याकांड को लेकर एमपी की सियासत फोटू वाली हो गई है... दो दिन से चल रही इस फोटू पॉलिटिक्स में मंगलवार को एक छोटू ने एंट्री मार दी.. जिससे नेताओं को सांप सूंघ गया.