मप्र में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव का बिगुल अब बज चुका है... 2023 विधानसभा चुनाव से पहले इन चुनाव को लिटमट टेस्ट कहा जा रहा है... क्योंकि एक तरह से इन चुनावों में मप्र का ग्रामीण और शहरी इलाका कवर होगा... पंचायत चुनाव सिंबोल पर नहीं होते.. इसलिए इन चुनावों में आंकलन करना मुश्किल होता है कि आखिरकार किस पार्टी का पलड़ा भारी रहा है....लेकिन नगरीय क्षेत्र में इसका आंकलन बखूबी होता है क्योंकि ये चुनाव पार्टी सिंबोल पर होते हैं.... इसलिए राजनीतिक दल सक्रिय हो गए है... सरकार भी सक्रिय हुई है लेकिन कुछ अलग तरीके से.. मुख्यमंत्री की अधिकारियों के साथ मॉर्निंग मिटिंग्स हो या फिर नगरोदय अभियान.. ये सारी कवायदें इसी के इर्द गिर्द घूमती नजर आती है.. बहरहाल यदि विधानसभा चुनाव 2018 और लोकसभा चुनाव 2019 का वोटिंग पैटर्न या ट्रैंड देखें और इस पैटर्न पर नगर निगम चुनाव हुआ तो बीजेपी और कांग्रेस के बीच नगर निगम में कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है.. यानी ये भोपाल नगर निगम में मेयर का चुनाव यदि 18 के विधानसभा और 19 के लोकसभा पैटर्न पर हुआ तो किसे कितनी चुनौती मिल सकती है..