Gwalior. मध्य प्रदेश में बीजेपी ने समर्पण निधि अभियान के तहत करोड़ों रुपए की राशि इकट्टा करने का लक्ष्य रखा गया था। जिसमें कई जिले समर्पण निधि इकट्ठा करने में फिसड्डी सबित हो गए थे लेकिन निकाय चुनाव ने उन्हें समर्पण निधि इकट्ठा करने का एक मौका दे दिया है। ग्वालियर में निकाय चुनाव के दावेदारों को अपने बायोडाटा के साथ अनिवार्य रूप से 10 हजार रूपए की रसीद कटाना है। तभी उनका बायोडाटा दावेदारों की लिस्ट में शामिल होगा। जिसको लेकर कांग्रेस चुटकी ले रही है और बीजेपी को घेर रही है।
समर्पण निधि अभियान रसीद अनिवार्य
ग्वालियर के बीजेपी ऑफिस मुखर्जी भवन में दावेदारों की भीड़ लगी हुई है। दावेदार अपना बायोडाटा के साथ-साथ हाथों में नगद राशि लेकर पहुंच रहे हैं। यह नगद राशि उन्हें समर्पण निधि राशि के बतौर पार्टी के फंड में जमा करानी है। बकायदा जिलाध्यक्ष रसीद कट्टा लिए हुए बैठे हुए हैं। ऐसे में दावेदार पहले अपने कामों की लिस्ट पार्टी के जिलाध्यक्ष को फोटो के जरिए बता रहे हैं, तो वहीं पार्टी की तरफ से उन्हें समर्पण राशि की रसीद मांगी जा रही है। अगर किसी के पास नहीं है तो तुंरत काटी जा रही है। जिसके बाद उसका बायोडाटा लिया जा रहा है।
10 हजार से लाखों रुपए तक की रसीद कटा रहे दावेदार
ये सभी लोग पार्टी के जिला अध्यक्ष कमल मखीजानी को अपना बायोडाटा सौंप रहे हैं। अभी तक पार्टी जिलाध्यक्ष को 500 से 600 बायोडाटा पार्षद पद के लिए और आधा दर्जन बायोडाटा महापौर पद के लिए मिल चुके हैं। पार्टी जिलाध्यक्ष का कहना है कि ये सभी बायोडाटा जिला कमेटी को भेजे जाएंगे। वहां से फिल्टर होकर संभागीय समिति में जाएंगे। वहां उनका टिकट फाइनल होगा। यदि किसी को किसी के टिकट पर आपत्ति होगी प्रदेश स्तरीय समिति में उसका निराकरण किया जाएगा। वहीं समर्पण निधि को लेकर जिलाध्यक्ष का कहना है ये अभियान पहले से चल रहा है, जो लोग छूट गए उनसे अभी ले रहे हैं। इसमें लोग 10 हजार से लेकर लाखों रुपए की रसीद कटवा रहे हैं। वहीं बीजेपी के इस समर्पण निधि अभियान पर कांग्रेस चुटकी ले रही है।
टिकट चुनने के लिए दोनों पार्टियां कर रहीं मशक्कत
बहरहाल ग्वालियर के 66 वार्डों में कांग्रेस और बीजेपी के उम्मीदवारों की संख्या कई गुना है। सबसे खास बात ये है इस बार, दोनों ही पार्टियों को टिकट सलेक्शन के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। हालांकि कांग्रेस का दावा है कि एक-दो दिन में टिकट फाइनल हो जाएंगे लेकिन बीजेपी के लिए मुश्किल ये है, जो नाम आ रहे हैं उन पर संगठन की सहमति के साथ-साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर की सहमति जरूरी है। इसलिए बीजेपी के टिकटों के फैसलें में वक्त लगेगा।