GWALIOR. देश में इस समय राजपथ को लेकर घमासान मचा हुआ है। प्रधानमंत्री ने दिल्ली के ऐतिहासिक राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया। उनके समर्थक इसे गुलामी के प्रतीक को मिटाने वाला गौरवशाली काम बता रहे हैं वही मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर के अफसरों ने शहर की एक सड़क का नाम राजपथ रखकर यहां एक नए विवाद को जन्म दे दिया। कांग्रेस इसे ज्योतिरादित्य सिंधिया को खुश करने के लिए सरकार द्वारा सामन्तशाही की वापसी का तोहफा करार दे रही है। वहीं बीजेपी के सांसद जो मेयर भी रहे हैं इस नामकरण से नाखुश नाराज नजर आ रहे हैं।
क्यों मचा है बवाल
राजधानी दिल्ली में ब्रिटिश कालीन राजपथ मार्ग का नाम बदले जाने को लेकर मचे विवाद और उसके बाद अब ग्वालियर की राजपथ रोड चर्चाओं और विवादों में आ गई है। यह स्मार्ट सिटी द्वारा बनाई गई एक सड़क है जो सिंधिया के पैलेस के पीछे के गेट से बनाई गई है और अफसरों ने गुपचुप तरीके से इसका नामकरण भी कर दिया और नाम भी रखा राजपथ। दिल्ली में राजपथ का नाम बदलने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि वह नाम गुलामी का अहसास दिलाता था लेकिन अब कांग्रेस सवाल पूछ रही है कि महल के दरवाजे से निकली सड़क का नाम आजादी के अमृत महोत्सव वाले वर्ष में राजपथ रखने से कौनसी स्वतंत्रता का अहसास हो रहा है। शहर ग्वालियर में 'राजपथ रोड' को लेकर बवाल मचा हुआ है। इसका भी नाम बदले जाने को लेकर आवाज उठने लगी है। इस मांग को लेकर अब शहर के कई समाजसेवी और कांग्रेस भी सोशल मीडिया पर आवाज उठाने लगी है। इनकी मांग है कि ग्वालियर की राजपथ रोड का भी नाम जल्द से जल्द बदलना चाहिए, अगर ऐसा नहीं हुआ तो इसको लेकर आंदोलन शुरू किया जाएगा।
स्मार्ट सिटी ने करोड़ों की लागत से बनाई है यह सड़क
ग्वालियर में झांसी रोड से जयविलास पैलेस के पीछे से निकलने वाली रोड को स्मार्ट सिटी ने अपने पहले चरण में स्मार्ट रोड बनाने का फैसला लिया था। हालांकि कुछ वर्ष पहले ही करोड़ों रुपए खर्च करके इसे थीम रोड बनाया गया था ताकि इसके जरिए आने वाले लोगों को ग्वालियर की विरासत की झलक मिल सके लेकिन अब फिर उसकी तोड़कर इस पर स्मार्ट सड़क बनाना शुरू हो गया। माना जा रहा है कि यह ज्योतिरादित्य सिंधिया को खुश करने के लिए ही किया जा रहा है। इसे खोदकर दोबारा बनाया जा रहा है और फिलहाल इस पर लगभग तीन करोड़ से ज्यादा पैसा खर्च किया जा चुका है। कुछ महीनों पहले इस थीम रोड का बोर्ड उखाड़कर उस पर राजपथ के बोर्ड लगा दिए गए। हालांकि हिन्दू महासभा और कांग्रेस ने तब भी आपत्ति की थी लेकिन तब मामला ठंडा पड़ गया था लेकिन जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ किया और इसकी वजह राजपथ को गुलामी का प्रतीक बताया तो ग्वालियर के राजपथ मुद्दे में एक बार फिर उबाल आ गया।
सिंधिया को महाराज अहसास दिलाने दिया यह तोहफा
कांग्रेस का आरोप है कि ग्वालियर के महाराज कहे जाने वाले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को खुश करने के लिए नगर निगम के अधिकारियों ने इस सड़क का नाम राजपथ रख दिया है ताकि वे लोकतंत्र में राजतंत्र का अहसास पा सकें। कांग्रेस की मांग है कि अगर दिल्ली के राजपथ का नाम बदला जा सकता है, तो ग्वालियर स्थित राजपथ रोड का नाम भी बदला जाना चाहिए। कांग्रेस ने यह भी कहा है कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो शहर में बड़ा जन आंदोलन किया जाएगा। कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि इससे बीजेपी और उनकी सरकार का दोहरा चरित्र एक बार फिर सामने आ गया है। दिल्ली में राजपथ को इसलिए हटाया गया क्योंकि वह गुलामी का प्रतीक था लेकिन ग्वालियर में 75 साल पहले कांग्रेस द्वारा हटाए गए राजपथ को इसलिए भव्यता के साथ बनाया जा रहा है ताकि भूतपूर्व राजा को सामंती अहसास कराया जा सके। यह सरकार गिराने का इनाम दिया जा रहा है लेकिन जनता इसे बर्दाश्त नहीं करेगी।
यह है राजपथ की पूरी योजना
दिल्ली के राजपथ जिसका नाम अब कर्तव्य पथ कर दिया गया है की तर्ज पर ही सिंधिया के गृह नगर ग्वालियर में भी राजपथ रोड का निर्माण किया गया है। यह कथित राजपथ रोड कुल 15 किलोमीटर में बनना है। इसे बनाने में 300 करोड़ रुपए खर्च होने हैं। अभी इसका सिर्फ एक हिस्सा महल के आसपास ही बन रहा है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बनाई जा रही इस रोड को लेकर दावा है कि यह देश की सबसे बेहतरीन रोड में गिनी जाएगी।ग्वालियर में बन रही इस राजपथ रोड को अत्याधुनिक तरीके से तैयार किया जा रहा है। इस रोड के दोनों तरफ गार्डन, वॉटरफॉल, लोगों के बैठने के लिए स्मार्ट कुर्सी के साथ-साथ अन्य अनेक सुविधाएं मिलेंगी। इस राजपथ रोड के निर्माण में गुलाबी पत्थर का उपयोग किया जा रहा है। यह रोड सिंधिया महल जयविलास पैलेस पीछे के गेट के सामने से होकर गुजरती है। इसी राजपथ रोड पर सिंधिया का महल, उनकी कुलदेवी का मंदिर और सिंधिया परिवार के दिवंगत महाराजाओं और परिजनों की छतरियां भी मौजूद हैं। कहा जाता है कि रियासत कालीन समय में सिंधिया राजपरिवार के लोग जयविलास पैलेस से निकलकर इसी रोड से अपनी कुलदेवी मांढरे की माता मंदिर पर पूजा करने जाते थे। इस वजह से इस रोड का नाम राजपथ कर दिया गया है।
बीजेपी सांसद बोले नामकरण हुआ हुआ ही नहीं
इस रोड के नाम को लेकर की शुरुआत से ही काफी राजनीति हो रही है। बीजेपी के सांसद और दो बार ग्वालियर नगर निगम के मेयर रह चुके विवेक नारायण शेजवलकर भी इसके नाम को लेकर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने पहले भी कहा था कि स्मार्ट सिटी के तहत इस सड़क का नाम कैसे रख दिया समझ से परे है। उनका कहना है कि ऐसा कोई प्रस्ताव कभी नगर निगम में विचार के लिए भी नहीं आया। इसका नामकरण थीम रोड के रूप में जरूर हुआ था। कांग्रेस का आरोप है कि स्मार्ट सिटी और नगर निगम के अधिकारियों ने तथाकथित महाराज को खुश करने के लिए इस सड़क का नाम राजपथ रखा है।
अब नाम बदलने को लेकर बढ़ रहा है दबाव
इस मामले को लेकर शहर की समाजसेवी सुधीर सप्रा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की है। जिसमें उन्होंने लिखा है कि अगर दिल्ली के राजपथ रोड का नाम बदल दिया है तो ग्वालियर में स्थित राजपथ और रोड का नाम भी बदलना चाहिए। उन्होंने ग्वालियर महापौर से निवेदन किया है कि इस मामले को लेकर तुरंत निगम का विशेष सत्र बुलाकर गुलामी के इस प्रतीक को बदलना चाहिए क्योंकि यह राजपथ नाम गुलामी की छाप छोड़ता है। कांग्रेस भी एक बार फिर से इस मामले में कूद पड़ी है। कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में स्थित राजपथ मार्ग का नाम बदलते हैं तो वहीं दूसरी ओर उनके ही मंत्री ग्वालियर में अपने महल के सामने वाली सड़क का नाम राजपथ रखवा रहे हैं। प्रधानमंत्री को इस मामले को संज्ञान में लेना चाहिए।उन्होंने कहा कि कांग्रेस ग्वालियर स्थित राजपथ का नाम बदले जाने को लेकर शहर में आंदोलन खड़ा करेगी।