अरुण तिवारी, BHOPAL. यदि आपका घर किसी मंदिर के पास है तो हो सकता है आने वाले समय में आपको सुबह-शाम मंदिर की आरती में जाना पड़े और यही नहीं आपको तय समय पर प्रसाद भी लेने जाना पड़ेगा। मध्यप्रदेश सरकार ने लोगों को अपने आसपास के मंदिरों, विशेषकर युवाओं को जोड़ने के लिए एक बड़े अभियान की योजना बनाई है। इस अभियान का जिम्मा धर्मस्व विभाग को सौंपा गया है। धर्मस्व विभाग मंदिर के पुजारियों के जरिए इस पूरी मुहिम का मेगा प्लान तैयार कर रहा है।
ये है पूरी योजना
सरकार ने इसके लिए पूरी योजना बनाई है। इस योजना के तहत शुरू में सरकार राज्य के हर प्रमुख मंदिर के आसपास रहने वाले 62 परिवारों की सूची तैयार करेगी। इस सूची में परिवार के सभी सदस्यों का नाम होगा। मंदिर में होने वाली सुबह और शाम की आरती में हर परिवार से एक सदस्य को शामिल करवाया जाएगा। यही नहीं एक निश्चित समय पर हर परिवार के घर से मंदिर के लिए प्रसाद भी आएगा। सरकार लोगों को आरती में शामिल करके और प्रसाद लाकर मंदिरों से जोड़ने का अभियान शुरू करेगी।
पहले चरण में 21 हजार मंदिर शामिल
इस अभियान के तहत पहले चरण में 21 हजार मंदिरों को शामिल किया जा रहा है। कोशिश ये है कि प्रदेश की हर पंचायत से एक मंदिर लिया जा सके। इन मंदिरों के पुजारियों को बाकायदा प्रशिक्षण देकर पूरी पूजा पद्धति और कर्मकांड सिखाया जाएगा ताकि वे गांव के हर धार्मिक आयोजन को संपन्न करवा सकें। इतना ही नहीं पूजा के समय उनको किस तरह की पोशाक पहननी है ये भी बताया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया के तहत मंदिर लोगों के अनुष्ठानों का केंद्र बन सकेंगे और उनको धर्म के महीन धागे में पिरोया जा सकेगा। राज्य में 21 हजार सरकारी मंदिर हैं। पुजारियों के प्रशिक्षण के मॉड्यूल को डिजाइन करने और प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए क्षेत्र के विशेषज्ञों को काम पर रखा जाएगा। इसमें पुजारियों के लिए और दैनिक पूजा करने के लिए एक बुनियादी समय सारिणी भी शामिल होगी।
मंदिरों को बनाया जाएगा समाज हित का केंद्र
संस्कृति, पर्यटन और धर्मस्व मंत्री उषा ठाकुर कहती हैं कि हम पुजारियों को प्रशिक्षण देंगे और प्रत्येक पुजारी से मंदिर के आसपास के 62 घरों की सूची बनाने का अनुरोध करेंगे। पुजारी बच्चों को प्रार्थना सिखाएंगे। मंदिरों को सामाजिक हित का केंद्र बनाने के लिए सभी को आरती में भाग लेना चाहिए। अपने आसपास के घरों से मंदिरों में प्रसाद प्राप्त करने का भी निर्णय लिया गया है। प्रतिदिन एक घर से प्रसाद लाना चाहिए। इसमें घर पर कुछ भी पकाया जा सकता है। दाल-रोटी भी हो तो एक छोटी प्लेट में मंदिर में लाओ, भगवान को चढ़ाओ और वापस ले जाओ।
मंत्री उषा ठाकुर कहती हैं कि मंदिर के प्रति समाज को अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। निवासियों को प्रेरित किया जाएगा ताकि प्रति परिवार कम से कम एक व्यक्ति दैनिक आरती में शामिल हो और मंदिर के लिए प्रसाद बना सके। अभियान को और अधिक सार्थक बनाने के लिए वरिष्ठ नागरिकों और जानकार लोगों को शामिल किया जाएगा। ये स्वैच्छिक होगा और किसी को भी किसी चीज के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोगों में मंदिर के प्रति जिम्मेदारी की भावना पर ध्यान दिया जाएगा।
ऑनलाइन पूजा का भी विकल्प
अधिकारियों के मुताबिक इस योजना पर काम चल रहा है और जल्द ही इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा। सरकार की योजना दूरी, उम्र या अन्य कारणों से आने में असमर्थ श्रद्धालुओं के लिए राज्य के चुनिंदा मंदिरों में ऑनलाइन पूजा का विकल्प देने की भी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कह चुके हैं कि मंदिर संस्कृति का केंद्र बनें, मंदिरों को उद्देश्यपूर्ण धार्मिक कार्यों से जोड़ा जाना चाहिए। पुजारियों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए और समाज को प्रेरणा देने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि वैदिक जीवन शैली पर शोध को आगे बढ़ाने के लिए विशेषज्ञों की राय लेकर रोडमैप तैयार किया जाए। धर्मशालाओं का रखरखाव और उपयोग बेहतर होना चाहिए। उन्हें सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।
सत्ता के लिए सरकार का एजेंडा
जानकार मानते हैं कि प्रदेश में पांचवीं बार सरकार बनाने के लिए ये सरकार का एजेंडा है। धर्म बीजेपी का कोर मुद्दा रहा है और बीजेपी की राजनीति का बड़ा आधार धर्म ही है। यही कारण है कि लोगों की आस्था की नब्ज पर हाथ रखकर बीजेपी इस धर्मपथ को आजमा रही है। बीजेपी की मात्र संस्था आरएसएस का भी ये एजेंडा रहा है कि धार्मिक स्थलों के जरिए सामाजिक समरसता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।