RAIPUR. छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के आरक्षण पर फैसले के बाद सियासत तेज हो गई है। आज यानी 21 सितंबर को बीजेपी कार्यालय एकात्म परिसर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए बीजेपी ने इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा किया है। बीजेपी के आदिवासी नेताओं ने आरक्षण कम होने के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
सरकार ने अच्छा वकील नहीं लगाया: नंदकुमार
चर्चा के दौरान बीजेपी नेता नंदकुमार साय ने कहा कि हम बहुत दुखी हैं, 12 प्रतिशत आरक्षण कम होने के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है। सरकार ने अच्छा वकील नहीं लगाया है। यहां जनजातियों को देखकर अटल जी ने अलग राज्य दिया था। सरकार भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए महंगे वकील लगाती है।
पूर्व मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि आदिवासियों का अस्तित्व खतरे में है। बीजेपी नेता महेश गागड़ा ने कहा कि भूपेश सरकार आदिवासी विरोधी है। पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि ये सरकार आदिवासी विरोधी है। ये आदिवासियों को पंचर बनाते देखना चाहते हैं। ये सरकार आदिवासियों को कुचलना चाहती है।
बिना तैयारी के आरक्षण बढ़ाया भाजपा नेः भूपेश
आरक्षण मामले में बिलासपुर उच्च न्यायालय के फैसले पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि 12 साल पहले भाजपा ने बिना तैयारी किए आरक्षण बढ़ाया था। इसका औचित्य वे कोर्ट के सामने साबित नहीं कर पाए। इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि फैसले का अध्ययन करने के बाद हम सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे। बालोद दौरे से लौटे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर में कहा कि भाजपा की सरकार ने आरक्षण 58% किया। उसको बिना तैयारी के कर दिया।
ये दिया हाई कोर्ट ने फैसला
बता दें कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सोमवार को आरक्षण पर बड़ा फैसला देते हुए राज्य के लोक सेवा आरक्षण अधिनियम को रद्द कर दिया है। इसकी वजह से अनुसूचित जनजाति का आरक्षण 32 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत पर आ गया है। वहीं अनुसूचित जाति का आरक्षण 13 प्रतिशत से बढ़कर 16 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण 14 प्रतिशत हो गया है। इसके सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव की वजह से प्रदेश का राजनीतिक माहौल गर्म है।