REWA. पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में समूचे विंध्य में लहराने वाला भगवा ध्वज अबकि चुनावी आंधी में उड़ गया। महज 4 साल के अंदर जनता ने ऐसी पलटी मारी की त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बीजेपी के दिग्गजों को धूल चटाकर उनकी हैसियत भी बता दी। हालात इस कदर बद्तर रहे कि विधायकों के सगे संबंधियों और उनके निज सचिवों को सरपंची जीतने के भी लाले पड़ गए । जिला पंचायत चुनाव के नतीजों ने भाजपा की नींव हिलाने में कोई कसर नही छोड़ी लिहाजा,ग्रामीण क्षेत्रों में केसरिया पलटन की जमीन खिसक गई।
राहुल गौतम हारे,जयवीर का बढ़ा कद
विधानसभा स्पीकर गिरीश गौतम के पुत्र राहुल गौतम जो मौजूदा समय में भाजपा के जिला उपाध्यक्ष भी हैं, पार्टी के समर्थन से वार्ड 27 से वे चुनाव मैदान में थे जहां उनका मुकाबला उनके चचेरे भाई पद्मेश गौतम से था । पद्मेश को कांग्रेस का समर्थन हासिल था इस चुनाव में गिरीश गौतम की प्रतिष्ठा दांव पर थी उन्होंने ताबड़तोड़ प्रचार भी किया लेकिन राहुल को चुनावी किला फतह कराने में नाकामयाब रहे । कांग्रेस नेता जयवीर सिंह ने पद्मेश के समर्थन में युद्धस्तर पर प्रचार किया और विजय दिलाकर ही दम लिया। मतगणना के बाद जयवीर सिंह ने कहा कि यहां लड़ाई उनके और स्पीकर के बीच थी जिसमें उनकी जीत हुइ। ऐसे में अब स्पीकर को इस्तीफा दे देना चाहिए । जिला पंचायत के वार्ड क्रमांक-14 से भी स्पीकर गिरीश गौतम की प्रतिष्ठा लगी हुई थी भाजपा समर्थित प्रत्याशी सपना सिंह को जिताने के लिए श्री गौतम ने ऐड़ी चोटी का पूरा जोर लगा दिया लेकिन यहां भी स्पीकर की किस्मत दगा दे गई कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार मालती मिश्रा ने सपना सिंह को दिन में तारे दिखाते हुए करारी शिकस्त दी।
जिला पंचायत अध्यक्ष की दावेदार भी निपटी
मऊगंज विधानसभा क्षेत्र से भाजपा समर्थित उम्मीदवार उर्मिला सिंह गोड की टक्कर कांग्रेस समर्थित बूटी बाई कोल से थी.उर्मिला जिला पंचायत अध्यक्ष की दावेदार भी थीं मगर जनता ने उन्हें नकार दिया और बूटी बाई को ताज पहनाया .उर्मिला को जिताने के लिए विधायक प्रदीप पटेल पूरा दम खम लगाए थे लेकिन पूर्व विधायक सुखेन्द्र सिंह बन्ना की बिछाई चुनावी बिसात में चकरघिन्नी की तरह फंस कर रह गए । इसी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा समर्थित अशोक साकेत को भी पराजय का स्वाद चखना पड़ा। दो विधानसभा क्षेत्रों से 4 सीट गंवाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम और विधायक प्रदीप पटेल की जहां क्षेत्र में छीछालेदर हो रही है वहीं पार्टी की नजर में भी इनकी साख को धक्का लगा है। मऊगंज क्षेत्र से ही महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष एवं भाजपा की जिला उपाध्यक्ष संतोष सिंह सिसोदिया जनपद सदस्य के लिए प्रत्याशी थीं लेकिन उन्हें भी विधायक चुनाव नही जीता सके।
पूर्व जिला पंचायत उपाध्यक्ष विभा पटेल का सूपड़ा साफ
जिला पंचायत की पूर्व उपाध्यक्ष विभा पटेल को एक ऐसी सामान्य महिला ने पटखनी दी की वह चारों खाने चित्त हो गईं.भाजपा के समर्थन से वार्ड क्रमांक 17 से प्रत्याशी रहीं विभा पटेल का सामना गेन्दउवा रामराज केवट से था। गरीब परिवार की गेन्दउवा का प्रचार साइकिल से किया गया इनकी कोई सियासी पकड़ नहीं थी। विभा की हार से भाजपा को जोर का झटका धीरे से लगा। बताया गया है कि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष स्व. श्रीनिवास तिवारी के परिवार की सुनंदिनी तिवारी भी अच्छे मतों से विजयी हुईं इसी तरह कांग्रेस समर्थित अश्वनी मिश्रा उर्फ मुन्ना खेरा भी जीत का स्वाद चखने में कामयाब रहे ।
नागेंद्र सिंह ने बचाई नाक
जिला पंचायत चुनाव में जहां विधायकों एवं विधानसभा स्पीकर के दिन रात प्रचार करने के बावजूद भाजपा समर्थित प्रत्याशियों को करारी हार का सामना करना पड़ा वहीं गुढ़ विधायक नागेंद्र सिंह अपने भतीजे प्रणव प्रताप सिंह को जीत दिलाकर अपनी प्रतिष्ठा बचाने में सफल रहे।
पंचूलाल का बजा बाजा
मनगवां विधायक पंचूलाल प्रजापति की पत्नी पूर्व विधायक पन्ना बाई प्रजापति को भी भाजपा ने समर्थन देकर चुनावी अखाड़े में उतारा था। तमाम कोशिशों के बावजूद भी विधायक पंचूलाल अपनी पत्नी को जिला पंचायत की दहलीज तक पहुंचने में कामयाब नहीं हो सके।
सरपंची के पड़े लाले
इस चुनाव में ऐसे भी दिलचस्प नतीजे सामने आएंगे इसकी कल्पना किसी ने नही की थी। मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल के निज सचिव सुभाष पटेल ने हनुमना जनपद की पिडरिया ग्राम पंचायत जो सामान्य सीट थी वहां से अपनी माता श्रीमती राजकली पटेल को चुनाव लड़ाया जिसकी बजह से जहां विधायक की प्रतिष्ठा दांव पर लग गई और वह चुनाव भी हार गईं । राजकली को मतदाताओं ने तीसरे पायदान पर धकेल दिया यहां जीत का सेहरा कांग्रेस समर्पित राधेश्याम पांडेय के सिर पर बंधा। इसी तरह सेमरिया विधायक केपी त्रिपाठी के साले अजय मिश्रा ने भी सरपंची में दांव लगाया लेकिन मतदाताओं ने उन्हें भी पराजय के मुंह में धकेल दिया। सरपंच पद के लिए ऐतिहासिक जंग गंगेव जनपद के सूरा ग्राम पंचायत में हुई जहां विधानसभा स्पीकर के निज सचिव अवधेश तिवारी की पत्नी का मुकाबला मोले द्विवेदी की पत्नी से था । मतगणना के दौरान अवधेश की पत्नी 20 मतों से पीछे थीं लेकिन अधिकारियों पर दबाब बनाकर अवधेश तिवारी ने तब तक पुनर्मतगणना कराई जब तक उनकी पत्नी 2 वोटों से आगे नही हो गई। मोले द्विवेदी का आरोप है की उन्हें नाजायज तरीके से हराया गया इस घटना के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने निज सचिव का इस्तीफा ले लिया हलांकि स्पीकर का कहना है कि उन्होंने पहले ही स्तीफा ले लिया था ।इस चुनाव में सबसे ज्यादा फजीहत स्पीकर की ही हुई एक तरफ जहां उनके पुत्र राहुल चुनाव हार गए वहीं अवधेश तिवारी ने नए विवाद को जन्म देकर उनकी भोपाल तक किरकिरी करा दी।
भाजपा की नींद हराम
अब तक हुए 2 चरणों के मतदान के बाद हुई मतगणना से जो नतीजे सामने आए हैं उससे साफ जाहिर हो गया है कि ग्रामीण क्षेत्र के मतदाता बीजेपी सरकार के झूठे वादों से तंग आ चुके हैं । ग्रामीण जनता की न तो विधायक सुनते हैं और ना ही उनके प्रतिनिधि। इस चुनाव में जनता को भी भाजपा को सबक सिखाने का मौका मिला और अर्श से फर्श पर पटक दिया।