भोपाल. खरगौन, सिवनी और अब बुरहानपुर की घटना को कांग्रेस ने बीजेपी की साजिश बताया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी प्रदेश में सांप्रदायिक दंगे भड़काना चाहती है। साजिश के तहत प्रदेश का माहौल खराब किया जा रहा है। यादव ने कहा कि 2 मई को बुरहानपुर में हुई घटना ने भाजपाई चरित्र को तार-तार कर दिया है। यदि सीसीटीवी फुटेज के आधार पर भाजपा नेता का रिश्तेदार आरोपी नहीं पकड़ा जाता तो अक्षय तृतिया और ईद के त्यौहार का दिन भयंकर दंगों में तब्दील हो सकता था। बुरहानपुर के मालीवाड़ा में भगवान की मूर्तियों को क्षति पहुंचाई गई थी। पुलिस ने सीसीटीवी फुटैज के आधार पर आरोपी सतीश पिता दिवाकर को गिरफ्तार किया है। सतीश, भाजपा नेता का रिश्तेदार है।
सिवनी की घटना पर प्रियंका गांधी का बयान
सिवनी में मंगलवार को हुई मॉब लिंचिंग की घटना में पुलिस अबतक 14 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। लेकिन अब ये मामला पूरी तरह से सियासी रंग में रंगता जा रहा है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस मामले में ट्वीट किया लिखा कि सिवनी में बजरंग दल (आरएसएस) के लोगों ने दो आदिवासियों की पीट-पीटकर हत्या कर दी। आरएसएस-भाजपा का संविधान और दलित-आदिवासियों से नफरत का एजेंडा, आदिवासियों के प्रति हिंसा को बढ़ावा दे रहा है। हमें एकजुट होकर नफरत से भरे इस एजेंडे को रोकना होगा। वहीं इस घटना पर सरकार भी सक्रिय हुई है और सांसद और केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने मृतक के परिजन को आठ लाख रु. देने का ऐलान किया साथ ही कहा कि आरोपियों का किसी संगठन से कोई ताल्लुक नहीं है।
नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह जाएंगे सिवनी
कांग्रेस ने इस घटना की जांच के लिए एक प्रतिनिधि मंडल का गठन किया है नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह गुरुवार को यहां पहुंचेंगे और मृतक के परिजन से मुलाकात करेंगे। सिवनी जिला आदिवासी बाहुल्य है यहां 4 विधानसभा सीटें हैं। जिसमें से दो आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं, इस पर कांग्रेस का कब्जा है और बाकी दो सीटों पर बीजेपी का घटना आदिवासी ब्लॉक में हुई है इसलिए यहां सियासी खेल शुरू हो गया है और अब ये मामला और तूल पकड़ेगा।
राज्यपाल के पास आदिवासी समाज के लिए समय नहीं – कांतिलाल भूरिया
सिवनी की घटना पर राज्यसभा सांसद राजमणि पटैल और विधायक कांतिलाल भूरिया राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने गए थे। कांतिलाल भूरिया ने बताया कि राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने उन्हें समय नहीं दिया। ज्ञापन लेने के लिए ओएसडी को भेज दिया। भूरिया का कहना हैं कि राज्यपाल भी आदिवासी समाज से हैं, लिहाजा उन्हें आदिवासियों की मॉब लिंचिंग की घटना पर संवेदनशीलता दिखानी चाहिए थी। लेकिन उनके पास मिलने का भी समय नहीं था।