Jabalpur. जबलपुर नगर निगम चुनाव में कांग्रेस ने न सिर्फ बीजेपी का किला ढहा दिया है बल्कि 18 साल से चला आ रहा कांग्रेसी महापौर का सूखा भी खत्म कर लिया है। लेकिन दूसरी ओर नगर निगम सदन की तस्वीर देखी जाए तो वह इससे उलट है। यहां बीजेपी के पार्षदों का संख्या बल ज्यादा है। बीजेपी ने 44 वार्डों में जीत हासिल की है। वहीं कांग्रेस को 26 वार्डों में जीत हासिल हुई है तो 9 वार्डों में अन्य को जीत हासिल हुई। इनमें शिवसेना, बसपा, एआईएमआईएम और निर्दलीय प्रत्याशी शामिल हैं।
एआईएमआईएम ने भी खोल लिया खाता
संस्कारधानी जबलपुर में नगर निगम चुनाव के प्रचार में असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री भी खाली नहीं गई। पार्टी की ओर से चुनाव मैदान में खड़े 7 में से 2 प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई है। वार्ड नंबर 49 लाल बहादुर शास्त्री वार्ड से शमा परवीन तो वार्ड 51 रविंद्रनाथ टैगोर वार्ड से समरीन कुरैशी ने मजलिस का परचम लहराया है।
बीजेपी के पार्षदों को चुना महापौर प्रत्याशी को नकारा
चुनाव परिणामों पर नजर डाली जाए तो जनता ने 50 फीसद से ज्यादा वार्डों में बीजेपी प्रत्याशियों पर भरोसा तो जताया है लेकिन महापौर प्रत्याशी को काफी ज्यादा मतों से हार का मुंह दिखाकर पार्टियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
सीधे महापौर के चुनाव कराना रहा घाटे का सौदा
जबलपुर के परिपेक्ष्य में देखा जाए तो प्रदेश सरकार को महापौर के सीधे चुनाव करवाना हानिकारक साबित हुआ है। यदि पार्षदों द्वारा महापौर का चयन किया जाता तो वर्तमान स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि बीजेपी फायदे में रहती। इस फैसले को लेकर भी बीजेपी में कई तरह के पक्ष उभरकर सामने आए थे। अध्यादेश कई बार राजभवन गया वापिस भी लिया गया और फिर पुनः राज्यपाल के पास भेजकर महापौर के चुनाव सीधे जनता द्वारा कराने का निर्णय लिया गया था।
महापौर कांग्रेस तो निगम अध्यक्ष की कुर्सी रहेगी बीजेपी के पास
चुनाव परिणामों ने नगर निगम सदन की स्थिति काफी साफ कर दी है। कांग्रेस का पार्षद दल जहां नए महापौर के साथ सत्तापक्ष में बैठेगा तो बीजेपी पार्षद दल विपक्ष में। लेकिन संख्या बल के चलते निगम अध्यक्ष की कुर्सी बीजेपी के पास रहेगी। जिससे कांग्रेस को शहर विकास के हर प्रस्ताव को पास कराने में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।