Bhopal. सात साल के इंतजार के बाद हुए नगरीय निकायों Civic bodies के चुनावों में बीजेपी ने एकतरफा प्रदर्शन unilateral performance दिखाया है। पहले चरण के मतदान first phase pollingमें शामिल नगर निगमों में तो बीजेपी BJP को नुकसान उठाना पड़ा है। इस राउंड वाले 11 नगर निगमों में से चार बीजेपी के हाथ से निकल गईं। हालांकि जिन चार नगर निगमों में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है, उनमें से भी तीन में बीजेपी की ही सरकार बनेगी। केवल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ (Congress state president Kamal Nath) के इलाके में ही बीजेपी को विपक्ष की भूमिका (Role of opposition) में बैठना होगा। हालांकि चार नगर निगम की भरपाई बीजेपी नगर पालिका और नगर परिषदों (Municipalities and Municipal Councils) से करती दिखी है। कुल 122 नगर पालिकाओं व नगर परिषदों में से 96 निकायों में बीजेपी अपना परचम लहराने में सफल रही है। इनमें कांग्रेस को खासा नुकसान उठाना पड़ा है और केवल 14 नगर पालिका और नगर परिषद ही उसके हाथ लग सकी है।
मतदान के पहले चरण में शामिल 11 नगर निगमों के साथ ही 122 नगर पालिका व नगर परिषदों के रिजल्ट रविवार 17 जुलाई की देर रात तक आते रहे। नगर निगमों में महापौर के लिए भी प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव होने से अब पूरा फोकस अध्यक्ष पद पर हो गया है। इन 122 नगर पालिका और परिषदों में से 96 में बीजेपी सफल रही है। इन निकायों में संख्या बल के आधार पर बीजेपी का अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है। कांग्रेस को पिछले चुनावों के मुकाबले काफी नुकसान उठाना पड़ा है। कांग्रेस को महज 4 नगर पालिकाओं और 10 नगर परिषदों में ही पैर जमाने का मौका मिल सका है। इन निकायों में कांग्रेस अपना अध्यक्ष बना सकती है। जबकि निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी अपनी ताकत दिखाते हुए दो दर्जन से ज्यादा निकायों को उलझन में डाल दिया है। इन निकायों में निर्दलीयों (independents) के दम पर ही परिषद का गठन हो सकेगा। ऐसे में बीजेपी अपना अध्यक्ष बनाने के लिए निर्दलीयों को साध सकती है।
यहां अध्यक्ष के लिए होगा जोड़-तोड
नगर निगम चुनावों में बीजेपी को पिछले चुनाव के मुकाबले ग्वालियर, जबलपुर, छिंदवाड़ा और सिंगरौली में मेयर पद पर नुकसान उठाना पड़ा है। ग्वालियर, जबलपुर और छिंदवाड़ा में कांग्रेस ने पटकनी देते हुए अपनी ताकत दिखाई है तो सिंगरौली में आम आदमी पार्टी ने यह यह पद छीन लिया। मगर खास बात यह है कि इन चार में से तीन सीटों पर हारने के बाद भी शहर सरकार बीजेपी ही बनाएगी। इसकी वजह है बड़ी संख्या में आए पार्षद। पार्षदों की संख्या बल के चलते ग्वालियर, जबलपुर और सिंगरौली में हार के बाद भी अध्यक्ष बीजेपी का ही बनना तय है तो पूर्व सीएम व पीसीसी चीफ कमलनाथ का गढ़ बीजेपी के लिए इस चुनाव में भी अभेद्य साबित हुआ है। छिंदवाड़ा में मेयर के साथ ही पार्षद भी कांग्रेस के ही जीते हैं। प्रदेश मे अपनी सरकार होने के बाद भी छिंदवाड़ा में बीजेपी विपक्ष में ही बैठेगी।
इंदौर में सबसे ज्यादा पार्षद और सबसे बड़ी जीत
प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर एक बार फिर बीजेपी का गढ़ साबित हुई है। यहां मेयर पद पर बीजेपी के पुष्यमित्र भार्गव ने कांग्रेस के विधायक संजय शुक्ला को तगड़ी पटकनी दी है। 1 लाख 34 हजार वोटों से हराकर भार्गव महापौर बने हैं। वहीं सबसे अधिक पार्षद भी इंदौर में ही बीजेपी के जीते हैं। यहां 85 में से 64 पार्षद बीजेपी के जीतकर आए हैं। इंदौर के बाद भोपाल मेंं भी बीजेपी ने विपरीत माहोल में अच्छा प्रदर्शन किया है। पिछले चुनावों के मुकाबले बीजेपी को 10 वार्डों का फायदा हुआ है। मेयर के चुनाव में जीत का आंकड़ा बढ़ाने के साथ ही पिछली परिषद की तुलना में इस बार पार्षदों की संख्या भी बीजेपी की बढ़ गई है।
नगर पालिका चुनाव में ये रही तस्वीर
पहले चरण मेें शामिल कुल 36 नगर पालिकाओं में से 29 बीजेपी ने अपनी ताकत दिखाई है। इन पर स्पष्ट बहुमत के साथ बीजेपी का अध्यक्ष बनना तय है। वहीं चार पर कांग्रेस की नगर सरकार चलेगी। जबकि तीन बैतूल जिले कीआमला, दमोह और पन्ना जिले की ककरहटी नगर पालिका में बीजेपी व कांग्रेस के बराबर बराबर पार्षद जीतकर आए हैं। ऐसे मेें अब यहां निर्दलीय पार्षद हीरो बन गए हैं, जो इनको साध लेगा वही अपना अध्यक्ष बनाने में कामयाब होगा। जबकि दमोह में पूर्व मंत्री जयंत मलैया के पुत्र सिद्धार्थ ने बीजेपी के लिए उलझन की स्थिति बना दी है। उपचुनाव के बाद बीजेपी ने सिद्धार्थ को निलंबित कर दिया था। अब सिद्धार्थ ने अपनी पैनल खड़ी कर बीजेपी को ही टक्कर दे दी। अब पांच पार्षद सिद्धार्थ के जीत गए है। ऐसे में अब बीजेपी को अध्यक्ष बनाने के लिए सिद्धार्थ की शरण में जाना पड़ेगा। यहां बीजेपी के 17 और कांग्रेस के 13 पार्षद प्रत्याशी जीते हैं। बहुमत के लिए जादुई आंकड़ा 19 है। अब 9 निर्दलीय पार्षद तय करेंगे कि किसका अध्यक्ष और बोर्ड बनवाया जाए।
मंत्रियों ने दिखाई ताकत
प्रदेश सरकार के मंत्री नरोत्तम मिश्र, पीब्डल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव, नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अपनी ताकत दिखाई है। भार्गव के विधानसभा क्षेत्र की रेहली नगर पालिका में बीजेपी का कब्जा बरकरार है। जबकि भूपेंद्र सिंह के क्षेत्र की नगर पालिका मकरोनिया और तीन नगर परिषदों में भी बीजेपी का अध्यक्ष बनना तय है। दूसरी ओर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के संसदीय क्षेत्र खजुराहो की नगर परिषद पर अपना कब्जा बरकरार रखने में कांग्रेस सफल रही है।
सीएम के सीहोर में भी केवल बीजेपी
सीहोर नगर पालिका एक बार फिर बीजेपी के कब्जे में रही है। सीहोर जिला सीएम शिवराज सिंह चौहान का गृह जिला है। यहां सीहोर की नगर पालिका पर उलटफेर करने में कांग्रेस नाकाम रही है तो पूर्व सीएम दिग्विजय के राजगढ़ जिले में कांग्रेस खाता भी नहीं खोल सकी। राजगढ़, ब्यावरा, खिलचीपुर में बीजेपी का अध्यक्ष और परिषद बनना तय है। वहीं पूर्व सीएम कमलनाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा में भले ही कांग्रेस ने नगर निगम चुनाव में बीजेपी को पटकनी देने में सफलता प्राप्त की हो, लेकिन नगर पालिका और नगर परिषदों में बीजेपी का ही कब्जा बरकरार रहा है।
क्रास वोटिंग बिगाड़ सकती है तस्वीर
इंदौर जिले की 8 में से 4 नगर परिषदों में बीजेपी के पार्षद जीतकर आए हैं। महूगांव, मानपुर, राऊ और सांवेर में अध्यक्ष और परिषद बीजेपी का ही बनेगा। वहीं हालोद, बेटमा और देपालपुर में पार्षदों का आंकडा बहुमत से दूर रह गया। अब यहां क्रास वोटिंग दोनों ही दलों की उलझन बढ़ा सकती है।
लहार में नेता प्रतिपक्ष की ताकत
भिंड की लहार नगर पालिका में बीजेपी अपना खाता तक नहीं खोल सकी। यहां पर बीजेपी को करारी हार मिली है। लहार नगर पालिका के 15 वार्ड में से 13 वार्ड पर कांग्रेस के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है। जबकि, 2 वार्ड में निर्दलीय प्रत्याशी विजयी हुए हैं। बीजेपी यहां खाता भी नहीं खोल सकी है। इसकी भरपाई बीजेपी ने मुरैना जिले के अंबाह और पोरसा नगर पालिका से कर दी है। अंबाह नगर पालिका में 18 में से 9 वार्ड में बीजेपी के पार्षद जीते हैं तो कांग्रेस के 5 पार्षद ही जीत सके हैं। यहां 4 वार्डों में निर्दलीय प्रत्याशी भी जीतकर आए हैं।