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देव श्रीमाली, GWALIOR. ग्वालियर को राजनीतिक रूप से मध्यप्रदेश का सबसे शक्तिशाली शहर माना जा सकता है। इस शहर में रहने वाले दो नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल का हिस्सा हैं। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर से ही हैं और शिवराज सरकार के ऊर्जामंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर भी ग्वालियर से ही है लेकिन इस शहर की स्वास्थ्य सेवाएं बदतर है। स्वयं ऊर्जामंत्री के विधानसभा क्षेत्र में स्थित शासकीय प्रसूति गृह और जिला चिकित्सालय बदहाली के दौर से गुजर रहा है। एक तरफ शहर इस समय बीमारियों की चपेट में है लेकिन अस्पताल में लोगों को इलाज ही नहीं मिल पा रहा है। मरीज और अटेंडर दवाइयों और जांचों के लिए भटक रहे हैं।
प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के विधानसभा क्षेत्र में ही स्वास्थ्य सेवाओं का इन दिनों बुरा हाल है। ग्वालियर विधानसभा में बने बिरलानगर प्रसूति गृह में डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में समय से उन्हें इलाज भी नहीं मिल पा रहा है और अल्ट्रासाउंड जैसी जरूरी जांचों के लिए पंद्रह - पंद्रह दिन तक का इंतजार करना पड़ रहा है। बिरला नगर प्रसूति गृह में इलाज कराने पहुंचे नारायण विहार कॉलोनी निवासी प्रकाश चंद्र का कहना है कि वह सुबह साढ़े आठ बजे से पर्चा बनवाने के लिए लाइन में लगे हैं लेकिन ग्यारह बजे तक भी उनका नंबर नहीं आ सका और जब नंबर आया तो अल्ट्रासाउंड की डेट 30 तारीख को दे दी वे पूर्व में भी बिरलानगर प्रसूति गृह में अव्यवस्थाओं की शिकायत कर चुकी हैं जिसके लिए डॉक्टरों द्वारा उन पर शिकायत वापस लेने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।
वही गदाईपुरा से पहुंची खुशबू शर्मा का कहना है कि उनके पेट में दर्द की शिकायत है लेकिन बिरला नगर प्रसूति गृह में तैनात महिला डॉक्टरों द्वारा प्राइवेट क्लीनिक पर दिखाने का दबाव बनाया जा रहा है उन्होंने अल्ट्रासाउंड भी प्राइवेट कराया और अब महिला चिकित्सक प्राइवेट दिखाने का दवा बना रही। बिरलानगर प्रसूति गृह पर अव्यवस्थाओं का हाल यह है कि यहां मरीजों को डॉक्टर और दवा के पर्चे बनाने के लिए कई कई घंटों का इंतजार करना पड़ रहा है ऐसे में मरीजों और उनके अटेंडरों में आक्रोश भी देखने को मिल रहा है इस संबंध में जब बिरलानगर प्रसूति गृह के डॉक्टरों से चर्चा करना चाहिए तो उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया तो वही मरीज परेशान होते नजर आए।
यही हाल जिला चिकित्सालय का है। वहां मरीजों की लम्बी -लम्बी कतारें लगीं है लेकिन लोगों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। इस समय शहर में कोरोना का नया वेरिएंट लगातार पैर पसार रहा है। इसके अलावा डेंगू भी डेंजर जोन में पहुँच गया है और घर -घर वायरल पहुंच चुका है ऐसे में मरीजों की भीड़ है और इनकी जांच नहीं हो पा रही है और इसके बगैर इलाज शुरू नहीं हो पा रहा है।
गर्भवती महिलाये परेशान
जांच में होने वाली देरी से सबसे ज्यादा परेशानी प्रसव के लिए बाट जोह रही गर्भवती महिलाओं की है। उन्हें तत्काल अल्ट्रासाउंड और एक्सरे की जरूरत रहती है जबकि अस्पताल में उन्हें एक सप्ताह से लेकर दो सप्ताह आगे का समय दिया जा रहा है। ऐसे में गरीब लोगों को भी ज्यादा पैसे देकर बाहर जांच करानी पड़ने को मजबूर रहना पड़ रहा है। उनका कहना है कि यह अव्यवस्था डॉक्टर्स और ाप्ताल के कर्मचारियों की मिलीभगत का परिणाम है क्योंकि वहां से वे मोटा कमीशन बसूलते है।
डॉक्टर्स ने साधी चुप्पी
इस मामले में कोई भी कैमरे के सामने अपनी जुवान खोले को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि अभी बीमारी ज्यादा फैलने से थोड़ी दिक्कत है। वे मानते हैं कि एक्सरे और अल्ट्रासाउंड में जरूर वाइटिंगहै क्योंकि मशीन की क्षमता से ज्यादा नहीं हो सकते है। अधिक क्षमता की अत्याधुनिक मशीने मंगवाने की कार्यवाही चल रही है जो जल्द आ जायेगी।