Jabalpur. जबलपुर में आउटर रिंग रोड के लिए 6 तहसीलों के अंतर्गत आने वाले करीब एक सैकड़ा गांवों की जमीन की रजिस्ट्री और नामांतरण पर रोक लग गई है। जिसका असर रजिस्ट्री ऑफिस में देखने को मिल रहा है। इन गांवों से लगी कई वैध कॉलोनियां भी हैं और त्यौहारी सीजन जहां हर साल रजिस्ट्री कराने वालों का मजमा लगा रहता था वहीं इस आदेश के बाद रजिस्ट्र ऑफिस में सन्नाटा सा दिखाई देने लगा है। सरकारी खजाने पर पड़ रहे असर को देखते हुए अब जिला पंजीयक ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग को चिट्ठी लिखी है और पूरे गांव की बजाय उन चिन्हित खसरों की जानकारी तलब की है, जो परियोजना के लिए चिन्हित किए गए हैं। बता दें कि शहर के बाहर करीब 112 किलोमीटर लंबी रिंग रोड का निर्माण होना है। वहीं भूमाफिया इस इलाके में जमीनों की लंबे स्तर पर खरीद फरोख्त न शुरू कर दे इसके लिए पूरे के पूरे 100 गांवों की जमीनों की रजिस्ट्री पर रोक लगाई गई थी।
यह लिखा था आदेश में
बता दें कि 9 अक्टूबर को जारी आदेश में कहा गया था कि भारत सरकार से सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की भारतमाला परियोजना के अंतर्गत भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग जबलपुर आउटर रिंग रोड के लिए कार्रवाई अंतिम चरण में है। ऐसे में पनागर, जबलपुर, कुंडम, रांझी, पाटन और शहपुरा के प्रभावित गांवों की भूमि और संरचनाओं की खरीद, बिक्री, बटांकन और डायवर्सन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाती है। जिला कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी की ओर से एसडीएम और भू अर्जन अधिकारियों को यह पत्र लिखा गया था।
एनएचएआई को लिखे पत्र का मजमून
जिला पंजीयक रजनेश सोलंकी की तरफ से जारी पत्र में कहा गया है कि इस आदेश से चिन्हित करीब 100 गांवों के अलावा नगर निगम के बड़े एरिया में भी रजिस्ट्री का काम नहीं हो पा रहा है। इसलिए सभी गांवों की जगह आउटर रिंग रोड के चारलेन, चौड़ीकरण और उन्नयन वाले गांव के चिन्हित खसरों की जानकारी उपलब्ध करवा दी जाए। ताकि उन खसरों पर क्रय-विक्रय की रोक लगाकर शासन को अनावश्यक व्यय और शासकीय हानि के साथ शासन को प्राप्त मुद्रांक और पंजीयन शुल्क के रूप में प्राप्त होने वाले राजस्व के नुकसान को रोका जा सके।
अब देखना यह होगा कि ऐन दीपावली के मौके पर सरकारी खजाने में छाया यह ग्रहण इस पत्र से हट पता है या नहीं।