Jabalpur. प्रदेश में 1 जुलाई से सिंगल यूज्ड प्लास्टिक के उपयोग पर एक बार फिर बैन लगाए जाने की कवायद चल रही है। यह बैन कितना असरकारक होगा यह तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन हां इस बार मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कम से कम कार्ययोजना तो पुख्ता नजर आ रही है। बोर्ड ने जबलपुर में सिंगल यूज्ड पाॅलीथिन तैयार करने वाली 5 औद्योगिक इकाईयों के उत्पादन पर रोक लगा दी है। इतना ही नहीं यदि इन इकाईयों में अमानक पाॅलीथिन का उत्पादन जारी रहा तो उन पर रोजाना 5 हजार रुपए के हिसाब से अर्थदण्ड लगाया जाएगा।
कारगर साबित हो सकती है कवायद
दरअसल इससे पहले जब भी सिंगल यूज्ड प्लास्टिक के बैन की बातें प्रशासन द्वारा की जाती थीं तो आम व्यापारी इनकी मैन्यूफैक्चरिंग को ही बंद कर देने की दुहाई देता था। व्यापारियों का कहना था कि प्रशासन ऐसे पाॅलीथिन का बनना ही बंद करा दे जिससे वे भी चाहे जब जुर्माने की कार्रवाई से बच जाऐंगे।
औद्योगिक इकाइयां भी चुन रहीं विकल्प
दरअसल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की इस कवायद के चलते औद्योगिक इकाईयां भी अब कंपोस्टेबल प्लास्टिक के उत्पादन की तैयारी में जुट गई हैं। यदि ऐसा संभव हो पाया और पांचों इकाईयों ने यह नवाचार कर लिया तो काफी हद तक पाॅलीथिन से फैलने वाले प्रदूषण पर लगाम लग सकती है।
क्या है सिंगल यूज्ड प्लास्टिक?
विशेषज्ञों के मुताबिक 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाला प्लास्टिक इसमें शामिल होता है, ज्यादा मोटाई वाले प्लास्टिक को तो रिसाइकिल कर उपयोग में लाया जा सकता है लेकिन सिंगल यूज्ड प्लास्टिक न तो रिसाइकिल हो पाता है और न ही प्रकृति में कभी नष्ट हो पाता है।