Satna. कांग्रेस नीत दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री रहे सईद अहमद ने हाथ का साथ छोड़ दिया। वह महापौर के टिकट वितरण से नाराज चल रहे थे। कांग्रेस छोडऩे के साथ ही उन्होने हाथी की सवारी कर ली है। बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के बीस मिनट बाद ही सतना नगर निगम के महापौर के प्रत्याशी भी घोषित कर दिए गए।
1993 में पहली बार लड़ा चुनाव
सईद इन दिनों प्रदेश कांग्रेस कमेटी में प्रदेश उपाध्यक्ष थे। उनके राजनैतिक कॅरियर की बात करें तो यह विरासत पिता मरहूम बैरिस्टर गुलशेर अहमद से मिली थी। बैरिस्टर गुलशेर मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष और 1993 में ही हिमाचल प्रदेश के नौवें राज्पाल बने। इसी साल सईद को सतना विधानसभा क्षेत्र के विधायक का टिकट दिया गया। तब भारतीय जनता पार्टी के बृजेन्द्र नाथ पाठक मैदान में थे। सईद ने फाइट की और दूसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस प्रत्याशी सईद को 23271 वोट मिले थे जबकि भाजपा प्रत्याशी पाठक को 24 806 वोट मिले थे।
1998 एमएलए बने, मंत्री भी
पहला चुनाव हार जाने के बाद सईद चुप नहीं बैठे। वह संपर्क में रहे और 1998 में एक बार फिर कांग्रेस की टिकट पाने में सफल रहे। तब वह एमएलए चुन लिए गए। सईद को तब 33408 वोट मिले थे। तब दिग्गी सरकार में फाइनेंस एवं टैक्स विभाग के मंत्री रहे। भाजपा ने मांगेराम गुप्ता को टिकट दी थी। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में शंकर लाल तिवारी ने भी चुनाव लड़ा था और दूसरे नंबर पर रहे। मौजूदा सांसद गणेश सिंह भी 98 के विधानसभा चुनाव में जनता दल की टिकट पर भाग्य आजमाया था और चौथे स्थान पर रहे। 2003 और 2008 में भी कांग्रेस ने सईद को ही टिकट दी लेकिन दोनो बार रनरअप रहे।
ओबीसी प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष भी बसपा में
नगरीय निकाय चुनाव की तैयारियों के बीच कांग्रेस को झटके पर झटके लग रहे हैं। गुटों में बटी कांग्रेस का प्रत्याशी सिद्धार्थ कुशवाहा को बनाने के साथ ही पतझड़ शुरू हो गया। बुधवार को कांग्रेस को पांच बड़े झटके लगे। पार्टी के शीर्ष नेताओं की बेरुखी से नाराज पूर्व मंत्री सईद अहमद सहित पूर्व पार्षद जगदीश तिवारी, इकबाल मायडियर, कुदरत उल्ला बेग और पूर्व जनपद अध्यक्ष गेंदलाल पटेल ने बसपा का दामन थाम लिया। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव श्रीकांत की मौजूदगी में सईद अहमद के आवास पर सभी ने बसपा की सदस्यता प्राप्त की। देर रात बसपा के राष्ट्रीय महासचिव ने पार्टी का प्रत्याशी भी घोषित कर दिया। उन्होंने पत्रकारों से चर्चा करते हुए सईद अहमद के नाम की घोषणा की। ज्ञात हो कि सईद अहमद का परिवार 70 साल से कांग्रेस पार्टी से जुड़ा हुआ था। फिलहाल उन्होंने कांग्रेस छोड़कर बसपा ज्वाइन कर ली। ज्वाइनिंग के मात्र 20 मिनट बाद पार्टी ने उन्हें अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया।
फर्जी सर्वे के आधार पर कांग्रेस ने दी टिकट: सईद
पूर्व मंत्री एवं बसपा नेता सईद अहमद ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि उनका परिवार पिछले 70 साल से कांग्रेस पार्टी की सेवा करता रहा है। पिछले काफी समय से पार्टी के द्वारा उनकी उपेक्षा की जाती रही है। राजस्थान में आयोजित चिंतन शिविर में जब यह तय किया गया कि एक व्यक्ति एक पद दिया जाएगा। उसके बाद उम्मीद थी कि पुराने कांग्रेसियों को भी मौका मिलेगा, लेकिन दुर्भाग्य की पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने इसका उल्लंघन कर फर्जी सर्वे के आधार पर टिकट घोषित कर दी। सर्वे में उन्हीं लोगों के नाम रखे गए जो उनके अपने चहेते थे। पार्टी में जिनका कोई अस्त्तिव नहीं था उन्हें सर्वे में स्थान देकर यह दिखाने की कोशिश हुई कि कोई एकतरफा निर्णय नहीं हैं। इसी से दुखी होकर अपने समर्थकों के साथ बसपा ज्वाइन कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कई और पार्षद तथा पूर्व पार्षद उनके संपर्क में हैं, ऐसे में कांग्रेस को और भी झटके लगेंगे। इसके अलावा दावा किया है कि भाजपा के भी कुछ कार्यकर्ता उनके संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि वे चुनाव जीतकर शहर का विकास करना चाहते हैं। वह किसी को हराने के लिए नहीं बल्कि खुद चुनाव जीतने के लिए पूरी क्षमता के साथ चुनाव लड़ रहे हैं।