MP बीजेपी से अब ज्योतिरादित्य सिंधिया की खुमारी उतरने लगी है. या यूं कहें कि, पार्टी का उल्लू सीधा हो चुका है...अब आने वाले चुनाव में क्या शिवराज, क्या महाराज सब बराबर होंगे... महापौर के प्रत्याशी फाइनल करते करते बीजेपी ने बड़े-बड़े नेताओं को भी अपना मैसेज क्लीयर कर दिया है.... मध्यप्रदेश में ऐसे जितने क्षेत्र हैं जहां के बड़े नेता खुद को क्षत्रप कहते हैं.... उन सब की सत्ता अब संकट में है.... फिर वो चाहें ग्वालियर चंबल के महाराज हों या मालवा के भाई हों... या फिर खुद सूबे के सरताज शिवराज सिंह चौहान ही क्यों न हो..... सब इस बात को समझ ही गए होंगे कि हर जगह सत्ता के दो पावर सेंटर हैं....अब उनकी अकेले की कहीं नहीं चलेगी...