भोपाल. एम्स अस्पताल (AIIMS Hospital) में अव्यवस्थाओं का आरोप लगाते हुए पूर्व सांसद आलोक संजर (Former MP Alok Sanjar) 5 घंटे तक धरने (Strike) पर बैठे रहे। लेकिन एम्स प्रशासन (AIIMS Administration) का कोई अधिकारी उनसे मिलने तक नहीं पहुंचा । संजर का कहना है कि कैंसर पीड़ित मरीज की मदद के लिए उन्होंने फोन पर एम्स के अधिकारियों से गुहार लगाई थी। इलाज करने की वजह कर्मचारियों ने मरीज और उनके परिजन को धक्के मारकर बाहर निकाल दिया। घटना से अपमानित महसूस कर रहे संजर खुद एम्स हॉस्पिटल पहुंच गए और धरने पर बैठ गए। घंटों बाद एम्स के डिप्टी डायरेक्टर एडमिन श्रमदीप सिन्हा (Shramdeep Sinha) ने संजर से फोन पर बात की। जिसके बाद मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने संजर को मनाया, तब जाकर उन्होंने धरना खत्म किया।
ट्वीट किया, लेकिन मिलने नहीं पहुंचीं डायरेक्टर
द सूत्र ने अस्पताल अधीक्षक मनीषा श्रीवास्तव से बात करनी चाही, तो उन्होंने ट्वीट की लिंक शेयर कर दी। जिसमें लिखा था कि गर्वमेंट हॉस्पिटल को सपोर्ट करने का नेताओं का क्या यहीं रवैया है। नेता लोग एम्स भोपाल की इमरजेंसी सेवाओं में इस तरह से बाधा पहुंचा रहे है। यानी पूर्व सांसद के धरने को लेकर अधीक्षक ने ट्वीट किए लेकिन वें उनसे मिलने नहीं पहुंची। धरना खत्म कराने के बाद पुलिस अधिकारी आलोक संजर को अधीक्षक से मिलवाने ले गए। इस दौरान संजर ने अधीक्षक को प्रोटोकॉल का पाठ पढ़ा दिया। द सूत्र को संजर ने बताया कि वो माफी मंगवाने के लिए धरने पर नहीं बैठे थे। व्यवस्था सुधरवाने के लिए अनशन कर रहे थे।
जानिए पूरा मामला
ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित रीवा के रहने वाले बालेंद्र मिश्रा (Balendra Mishra) के परिजन ने बताया कि वो इलाज के लिए दो दिन से परेशान हो रहे थे। लेकिन एम्स प्रशासन बेड खाली न होने की बात रह रहा था। परेशान होकर उन्होंने पूर्व सांसद संजर से मदद मांगी थी। संजर ने फोन पर अधिकारियों से बात करनी चाही तो उन्होंने इनकार कर दिया था। जिसके बाद शाम करीब 5 बजे संजर खुद ही अस्पताल पहुंच गए। धरना शुरु होने के बाद बालेंद्र मिश्रा को भर्ती कर लिया गया है।
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