भोपाल. कोलार इलाके स्थित बैरागढ़ चीचली में करीब 11 साल पहले यूनिहोम्स प्रोजेक्ट (Unihomes Project) लॉन्च हुआ था। यहां पर एसवीएस बिल्डकॉन (SVS Buildcon) के संचालकों ने सैकड़ों लोगों के साथ धोखाधड़ी करके अधूरा काम छोड़ दिया और भोपाल (Bhopal) से भाग गए। आरोपियाों ने करीब 100 करोड़ से ज्यादा की ठगी की है। इस मामले में धोखाधड़ी के शिकार हुए बायर्स (खरीददारों) ने कोलार थाने में 3 साल पहले शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस लंबे समय से आरोपी कॉलोनाइजर संचालक (Colonizer Operator) की तलाश कर रही थी। इस मामले में तीन लोग मुख्य आरोपी थे। जिनमें से एक सुमित खनेजा को भोपाल की कोलार पुलिस ने दिल्ली से गिरफ्तार किया है। जो बीते चार साल से लापता था। आरोपी बिल्डर ने बैरागढ़ चीचली में फ्लैट, दुकान देने का झांसा देकर करीब एक हजार लोगों से रुपए लिए थे।
ये है पूरा मामला : एसवीएस बिल्डकॉन के संचालक सुमित खनेजा, अमित खनेजा और सीईओ एसके अरोरा ने 2009 में बैरागढ़ चीचली में एक आवासीय कॉलोनी और जीआईपी के नाम से एक व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स का निर्माण शुरू किया था। इस निर्माण को लेकर लोगों ने करीब 300 करोड़ रुपए संचालकों के झांसे में आकर यहां निवेश किए। इसके बाद ये तीनों कॉलोनाइजर आवासीय कॉलोनी और व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स (Commercial Complex) का निर्माण अधूरा छोड़कर भोपाल से भाग गए। इसके विरोध में लोगों ने 2018 और 15 जनवरी, 2021 को कोलार थाने में शिकायत दर्ज कराई गई। तीनों आरोपी फरार हैं और उनकी गिरफ्तारी करने को लेकर 10000 रुपए का इनाम भी घोषित किया गया है। फिर भी 3 साल बाद सभी आरोपी फरार हैं।
ये आरोपी अब भी फरार : यहां पर करीब 1032 फ्लैट और ढाई सौ से अधिक दुकानों के निवेश में लोगों से करोड़ों रुपए लिए गए, लेकिन 11 साल बाद भी उनके साथ धोखाधड़ी कर अधूरा निर्माण छोड़ा गया है। इनकी गिरफ्तारी की मांग लंबे समय से चल रही थी। वह करीब 4 साल से फरार था। रविवार को पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश किया। इस प्रोजेक्ट के तहत 6 मंजिला के 8 टॉवर बनाए जाने थे। यूनिटेक ने राजधानी में करीब 500 फ्लैट्स के लिए एडवांस पैसा लेकर बुकिंग की थी। 2-बीएचके के लिए 26 लाख 31 हजार और 3-बीएचके के लिए 35 लाख 89 हजार रुपए के हिसाब से बुकिंग का अनुबंध किया था। कार पार्किंग के 1.25 लाख और फ्लोर के हिसाब से 35 हजार से 1.10 लाख रुपए एक्स्ट्रा चार्ज लिया गया। मामले में अमित खनेजा और एसके अरोरा फरार हैं। एग्रीमेंट के मुताबिक 2012 में फ्लैट का पजेशन मिलना था। मामले में सीबीआई (CBI) भी जांच कर रही है।