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भोपाल. यहां से बीजेपी सांसद (BJP MP) प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Pragya Singh Thakur) का विवादास्पद बयानों से नाता टूट नहीं रहा। प्रज्ञा 20 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा के मौके पर भोपाल के टीला जमालपुरा इलाके में एक कार्यक्रम में शामिल होने गई थीं। यहां पर उन्होंने फिर विधायक पीसी शर्मा (PC Sharma) को रावण बता दिया। इससे पहले भी 15 अक्टूबर को दशहरे के मौके पर उन्होंने पीसी शर्मा के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया था।
बुढ़ापा आ गया, पर सच बोलना नहीं सीखा
प्रज्ञा ने कहा कि अपने शीशे (Mirror) तो साफ करवा लो, सुबह-सुबह देख लिया करो। यहां (भोपाल में) शर्मा (PC शर्मा) नाम का कोई विधायक है। अरे बुढ़ापा आ गया उसका, लेकिन सच बोलना अभी तक नहीं सीखा। मैं कहती हूं कि बुढ़ापे में तो आदमी सुधर जाए। यदि उसने ब्राह्मण कुल में जन्म ले लिया तो ब्राह्मण बने रहो, रावण ना बनो। रावण बनोगे तो क्या करेंगे प्रभु श्रीराम जी। महिला का अपमान करोगे, सीता मैया का अपमान करने वाले रावण का प्रभु श्रीराम को वध करना ही पड़ेगा।
तुम्हारे प्रपंच करने से कुछ होने वाला नहीं है। तुम प्रपंच करके थोड़ी देर की शानोशौकत दिखा लोगे। सच ये है कि जो जैसा होता है, उसे वैसा ही फल मिलता है। ये सुनिश्चित है। इसलिए कह रहे हैं, सुधर जाओ, सुधर जाओ, सुधर जाओ, नहीं तो नारीशक्ति का अपमान और बदनाम करने के लिए कुदरत ही दंड देगी।
औलाद बनकर जियो, नहीं तो जीने नहीं देंगे
प्रज्ञा ने आगे ये भी कहा कि साधु-संन्यासी तो कभी मरते नहीं है। साधु-संन्यासी तो अपने आप को मार देते हैं, जला भी देते हैं, पिंड दान भी कर देते हैं, तर्पण भी दे देते हैं। इस लोक में उनका कुछ भी नहीं रहता। नाते रिश्ते भी खत्म हो जाते हैं, छोड़ दिए जाते हैं। कुछ रहता है तो राष्ट्र का ऋण रहता है। इसको पूरा करने के लिए शरीर को सुरक्षित रखना पड़ता है। इसके लिए कोई हमें मार दे और खुश हो जाए तो ऐसा कल्पना नहीं करना। हम तो मरकर भी आएंगे तुम्हारी मैयत में, तुम्हें तो हम कब्र में भी महफूज ना रहने देंगे। जीना है तो यहां औलाद बनकर जियो, वरना यहां रहने भी नहीं देंगे।
मैं संन्यासी हूं या नहीं, ये कोई ना बताए
मैं एक ही बात कहूंगी कि हम नर्मदा मैया का कभी अपमान नहीं कर सकते। नर्मदा मैया की लहरों में स्नान करके हम बैरागी और संन्यासी होते हैं। गंगा मैया के किनारे तपस्या करके ज्ञान प्राप्त करते हैं। जो तपस्या करते हैं वो इस समाज में बांट दिया करते हैं। वो (तप) भी इसलिए अपने पास नहीं रखते, क्योंकि ज्ञान जितना बांटोगे, वो उतना बढ़ेगा। कुछ लोग इस बात से दुखी हैं कि हम संन्यासी क्यों हैं। तुम्हारे मानने से मैं संन्यासी ना रहूं, ये भी कोई बात नहीं। संन्यासी तो संन्यासी होता है। इदं राष्ट्र:, इदं नम:।
मैं संन्यासी हूं या नहीं, ये कुकर्मियों को बताने की जरूरत नहीं है। हमें कुकर्मियों को प्रताड़ित करने की भी जरूरत नहीं है। कोई हमारा पुतला क्या जलाएगा। किसी विधायक ने कहा था कि प्रज्ञा आएंगी तो उनका पुतला नहीं, उन्हें जिंदा जला देंगे। एक-दो महीने बीते होंगे, भगवान ने उन्हें अपने पास बुला लिया। ऐसे काम क्यों करते हो कि आपके लोग दुखी हो जाएं। मैं कोई शाप नहीं देती।