भोपाल. माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय और विवाद एक-दूसरे के पर्याय हो चुके हैं। कभी विचारधारा के नाम पर तो कभी शिक्षकों के व्यवहार पर यूनिवर्सिटी चर्चा में बनी रहती है। इस बार विश्वविद्यालय के जनसंचार (मास कम्युनिकेशन) विभाग में विवाद की आग लगी है। HOD आशीष जोशी का एक वीडियो चर्चा में बना हुआ है। दरअसल जोशी ने 30 जुलाई को वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी की एक हिंदू-मुस्लिम वाली पोस्ट को छात्रों के एक ग्रुप में साझा किया तो उनके खिलाफ छात्रों ने ही मोर्चा खोल दिया। आरोप है कि जोशी मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने वाली विचारधारा को समर्थन दे रहे हैं। हालांकि, जोशी ने पत्रकारिता में हर विचारधारा का अध्ययन करने का हवाला देकर विवाद को शांत करने की कोशिश की है।
क्या है पूरा मामला?
आशीष जोशी ने छात्रों को वॉट्सऐप ग्रुप में एक वीडियो शेयर किया था। इसे indix online नाम के यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया है। वीडियो में यह दर्शाने की कोशिश की गई है कि कैसे देश के लिए सेक्युलरिज्म एक खतरा है। पूरे वीडियो में यह बताया गया है कि अगर भविष्य में ओलंपिक पदक विजेता मीराबाई चानू पर कोई फिल्म बनी तो कैसे कंटेंट में तथ्यों को मुसलमानों से जोड़ दिया जाएगा और चानू की जीत का सारा श्रेय मुसलमानों को दे दिया जाएगा।
वीडियो के आधार पर सवाल
जोशी के वीडियो का आधार क्या है? इस बारे में कोई तथ्य प्रमाणित नहीं हैं। सारी जानकारी वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी में आए दिन फैलने वाले हिंदू-मुस्लिम नफरत के संदेशों वाली ही है।
छात्रों के निशाने पर जोशी
जैसे ही जोशी ने यह वीडियो शेयर किया, छात्रों ने उनको ग्रुप में ही घेर लिया। छात्रों ने जोशी को नैतिकता, धर्मनिरपेक्षता और पत्रकारिता का पाठ पढ़ाना शुरू कर दिया। एक छात्र ने वीडियो को लेकर कहा कि समाज को तोड़ने वाली इसी विचारधारा के कारण हमारा देश तरक्की नहीं कर पा रहा। सभी छात्र शिक्षक द्वारा ग्रुप में भेजे गए वीडियो के खिलाफ एक सुर में बोलने लगे और जोशी से स्पष्टीकरण मांगने लगे। वीडियो को डिलीट करने की मांग भी उठी।
जोशी की सफाई
आखिरकार जोशी ने छात्रों के सामने पत्रकारिता का हवाला देते हुए सफाई दी। उन्होंने कहा कि ये एक विचारधारा का प्रतिनिधित्व करता हुआ वीडियो है, पत्रकारिता का छात्र होने के नाते हमें हर पक्ष को जानना चाहिए। मैंने आप लोगों पर कोई विचार थोपा नहीं है, आप अपनी राय बनाने के लिए स्वतंत्र हैं। हालांकि, सफाई के बाद भी मामला शांत नहीं हुआ है।
पढ़ाई कम, राजनीति पूरी
अपनी स्थापना के समय से ही माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि विवादों में है। कभी कैंपस के नाम पर तो कभी नियुक्तियों में फर्जीवाड़े के नाम पर...। यूनिवर्सिटी संघ और कांग्रेस विचारधारा का तो जैसे अड्डा ही बन चुकी है। दरअसल, प्रदेश सरकारें अपनी मर्जी से विश्वविद्यालय को चलाती रही हैं। कुलपति से लेकर कर्मचारी तक ज्यादातर सत्ता समीकरणों के हिसाब से यहां नियुक्ति पाते रहे हैं।