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मप्र में नगरीय निकाय चुनाव चल रहे हैं... राजनीतिक दल जनता से बड़े बड़े वादे कर रहे हैं... ऐसा कर देंगे वैसा कर देंगे.. तस्वीर बदल देंगे... सूरत बदल देंगे... जो भी राजनीतिक दल निगम पर काबिज होगा उसे सबसे पहले नगर निगम के सड़ चुके सिस्टम को बदलना चाहिए... सिस्टम ऐसा सड़ा है कि अब आम लोगों को इससे ज्यादा उम्मीद नहीं है... आपको लग रहा होगा कि मैं बेहद नाराज हूं... ये मेरी नाराजगी नहीं है ये उस आम आदमी की नाराजगी है जो बड़ी उम्मीदों से सिस्टम के पास जाता है लेकिन उसकी उम्मीदों को झटका लगता है जब सरकारी ढर्रे पर सिस्टम चलता है... कल आइए... परसों आइए... अब तो काम ऐसा होगा.. वैसा होगा... कान पक जाते हैं.. मगर काम नहीं होता... ऐसी ही पीड़ा राजधानी भोपाल के विनोद वर्मा की है