BHOPAL. स्वामी पुरुषोत्तमानन्द महाराज 3 दिनों (72 घंटे) की भूमिगत समाधि में रहने के बाद 3 अक्टूबर को 11 बजे बाहर आ गए। उन्होंने कहा कि जनकल्याण के लिए ऐसा किया। भोपाल टीटी नगर माता मंदिर के पीछे आध्यात्मिक संस्था के संस्थापक बाबा पुरुषोत्तमानंद महाराज 30 सितंबर को भूमिगत समाधि चले गए थे। उन्हें विधि-विधान से पूजा-अर्चना करके साधु-संतों ने बाहर निकाला। इसके लिए उन्होंने 10 दिन से अन्न छोड़ा था।
बाबा बोले- भगवती ने ही समाधि के लिए प्रेरणा दी
दरबार परिसर में पांच फीट चौड़ा, छह फीट लंबा और सात फीट गहरा गड्ढा समाधि स्थल के रूप में तैयार किया गया। इसमें पुरुषोत्तमानन्द महाराज ने ध्यानमुद्रा बनाकर आसन लगाया। इसके बाद गड्ढे को लकड़ी के पट्टियों से ढंक दिया गया। उस पर कपड़ा बिछाकर मिट्टी बिछा दी गई। बाबा ने भूमिगत समाधि साधना का उद्देश्य लोक कल्याण की कामना बताया। वो बचपन से ही मां भगवती की आराधना कर रहे हैं। इस नवरात्रि में बाबा ने भूमिगत समाधि का फैसला लिया। बाबा के मुताबिक, उन्हें मां भगवती ने ही इसके लिए प्रेरित किया है।
एक दावा ऐसा भी
पुरुषोत्तमानंद महाराज इससे पहले 1985 में अग्नि स्नान भी कर चुके हैं। उन्होंने भोपाल के सोमवारा चौक पर अपने शरीर पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली थी। उनका दावा है कि तब वे करीब 80 फीसदी जले थे, लेकिन उनके शरीर पर आज जलने का एक भी निशान नहीं है। अब प्रशासन और उनके भक्तों की नजरें इस बात पर लगी हैं कि बाबा समाधि से बाहर कैसे आते हैं। उनका दावा है कि इससे पहले वह जल समाधि ले चुके हैं। इस दौरान वो 12 घंटे तक पानी में रहे थे।