भोपाल: चंदनपुरा इलाके में गूंजी टाइगर की दहाड़, यहीं बन रहा है सिटी फॉरेस्ट

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भोपाल: चंदनपुरा इलाके में गूंजी टाइगर की दहाड़, यहीं बन रहा है सिटी फॉरेस्ट

द सूत्र, भोपाल।चंदनपुरा इलाके (Chandanpura locality) में टाइगर की दहाड़ (roar) गूंजी है। मामला 5 जनवरी की रात का बताया जा रहा है। यह वही जगह है, जहां वन विभाग ( forest department) सिटी फॉरेस्ट (city forest) बना रहा है। सिटी फॉरेस्ट बनाने का उद्देष्य हरियाली (greenery) को बढ़ावा देने के साथ ही लोगों को पर्यावरण के करीब ले जाकर उसके संरक्षण (conservation) को बढ़ावा देना है। जिसके चलते सिटी फॉरेस्ट में जॉगिंग ट्रेक (jogging trek), लोगों के बैठने के लिए बेंच जैसी तमाम सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी। पर चंदनपुरा के जिस इलाके में सिटी फॉरेस्ट बनाया जा रहा है, यहां पहले से ही जंगल है और सबसे बड़ी बात यह कि टाइगर्स के मूवमेंट (movement of tigers) का इलाका है। ऐसे में इस इलाके में सिटी फॉरेस्ट के बनने से टाइगर्स और लोगों दोनों को हमेशा एक दूसरे से खतरा रहेगा। द सूत्र ने 24 अक्टूबर 2021 को इसी मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। लेकिन उस समय डीएफओ आलोक पाठक (DFO Alok Pathak) ने तर्क दिया था कि जहां सिटी फॉरेस्ट बन रहा है, वह बाघ मूवमेंट एरिया नहीं है, बल्कि उसके दूसरी ओर बाघ मूवमेंट एरिया है। जबकि 5 जनवरी 2022 को इसी इलाके में बाघ की दहाड़ सुनाई दी है। 



द सूत्र के पास पगमार्क के फोटो उपलब्ध : चंदनपुरा के जिस इलाके में बाघ आया था, उस इलाके में बाघ के पगमार्क (pugmark) दिखाई दिए हैं। द सूत्र के पास इसके प्रमाण व फोटो उपलब्ध है। सिटी फॉरेस्ट निर्माण में काम कर रहे मजदूरों (laborers) ने भी स्वीकार किया कि 5 जनवरी की रात उन्हें बाघ की दहाड़ सुनाई दी थी। द सूत्र के पास पगमार्क की जो फोटो उपलब्ध है, उसे वाइल्ड लाइफर राशिद खान ने कंफर्म किया है कि यह पगमार्क बाघ के हैं।  



संरक्षित वन क्षेत्र में ही सिटी फॉरेस्ट बनाने की जिद क्यों : 6 फरवरी 2020 को एनजीटी (NGT) के दिए गए आदेश के मुताबिक चंदनपुर का यह इलाका संरक्षित वन क्षेत्र है। ऐसे में सवाल यही उठता है कि टाइगर मूवमेंट इलाके और संरक्षित वन क्षेत्र में सिटी फॉरेस्ट बनाने की जिद क्यों हैं। दरअसल सिटी फारेस्ट को बनाने में 3 करोड़ 73 लाख रुपए खर्च होने वाले हैं। वन अमले पर आरोप है कि केंद्र सरकार (central government) के ग्रीन इंडिया प्रोजेक्ट (Green India Project) के करोड़ों रुपए डकारने के लिए ये कारनामा किया गया है। 



50 हेक्टेयर की परमीशन, हकीकत में सिर्फ 28 हेक्टेयर : भोपाल के शहरी इलाके से लगे चंदनपुरा, मेंडोरा जैसे वन क्षेत्रों में बाघों का पिछले करीब 40 सालों से मूवमेंट रहा है। रातापानी अभ्यारण (Ratapani Sanctuary) का बाघों का कॉरीडोर (corridor) करीब 881 एकड़ के इस वन क्षेत्र से सीधा जुड़ता है। बावजूद इसके वन विभाग ने चंदनपुरा के 50 हेक्टेयर इलाके में सिटी फॉरेस्ट बनाने का प्रपोजल तैयार कर लिया। द सूत्र के पास उपलब्ध दस्तावेजों में खुलासा ये भी हुआ है कि वन विभाग ने 50 हेक्टेयर जमीन पर सिटी फारेस्ट डेवलप करने की परमिशन (permission) ली है, लेकिन हकीकत में ये 28 हेक्टेयर ही है। 



एनटीसीए को की शिकायत : टाइगर मूवमेंट एरिए में सिटी फॉरेस्ट के लिए हो रहे निर्माण के विरोध में वाइल्ड लाइफर राशिद खान ने एनटीसीए यानि नेशनल टाइगर कंजर्वेषन अथॉरिटी (National Tiger Conservation Authority) के मेंबर सेकेटरी को इस पूरे मामले की शिकायत की है। इसके साथ ही वन बल प्रमुख को भी मामले में ईमेल किया है। बता दें कि इससे पहले स्वर्ण जयंती पार्क (Swarna Jayanti Park) में तेंदुआ दस्तक दे चुका है।


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