राहुल शर्मा, भोपाल। शहर के बड़े बिल्डरों में शुमार आकृति ग्रुप ने भी पूरे सिस्टम का मजाक उड़ाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) का आदेश था कि कलियासोत के ग्रीन बेल्ट (Green Belt) पर पौधरोपण (Plantation) हो। वजह थी- नदी को बारिश में रिचार्ज करना, साथ ही इससे मिट्टी का कटाव (soil erosion) रुकता। यह कहीं न कहीं नदी किनारे बसी कॉलोनियों के ही फायदे में होता। पर आकृति जैसे कुछ बिल्डर्स ने अपना हित साधने के लिए इस आदेश के मायने ही बदल दिए। ग्रीन बेल्ट पर पौधरोपण की जगह कारपेट ग्रास (Carpet Grass) लगा दी और पार्क (Park) डेवलप कर दिया। यदि यहां पौधरोपण होता तो पेड़ों की जड़ों के फैलाव से मिट्टी का कटाव रुकता। अब घास की जड़ें कितनी मजबूती से मिट्टी को पकड़ पा रही होंगी, इसे समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है।
ये हैं सोसाइटी के अंदर के हाल
सलैया के पास आकृति इको सिटी के प्रोजेक्ट हाईराइज में जब द सूत्र की टीम पहुंची तो पहले तो गार्ड ने जाने ही नहीं दिया, लेकिन जब उन्होने पूरा मामला समझाया तो उन्होंने सोसाइटी की सेक्रेटरी से बात करवाई। जब अंदर जाकर देखा तो पूरा पार्क ही नदी के किनारे बना हुआ मिला। यहां कलियासोत के लेफ्ट साइड के जो पिलर थे, वे भी किनारे से कुछ दूरी पर ही लगे थे।
जब सब कुछ सही तो इतना डर क्यों?
सोसाइटी सेक्रेटरी से बात होने के बाद एक गार्ड के साथ जाकर जब द सूत्र ने पूरा वीडियो शूट किया तो सेक्रेटरी ने आपत्ति जताई। सोसाइटी अध्यक्ष ने तो यहां तक कहा कि आपको इससे क्या दिक्कत? सवाल यह है कि यदि सब कुछ सही है तो इतना डर क्यों?
अल्टीमेट कैंपस ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी
आकृति हाईराईज मल्टी के पीछे जो पार्क बनाए, ये नदी (Kaliyasot) का ग्रीन बेल्ट है। इन्हीं के नक्शेकदम पर चलकर भूमिका और शिर्डीपुरम से लगी हुए अल्टीमेट कैंपस का पार्क भी नदी से लगाकर बना दिया गया। अल्टीमेट मल्टी के अंत में नदी पर एक 15 से 20 फीट चौड़ी दीवार बनाई गई है। यदि नदी के फुल टैंक लेवल से 33 मीटर नापें तो मल्टी का एक कॉर्नर भी ग्रीन बेल्ट में होगा।