देश में क्रिकेट के प्रति दीवानगी किसी से छिपी नहीं है। लेकिन क्या आपने कभी धोती-कुर्ते में क्रिकेट देखा है? भोपाल में इन दिनों स्पोर्ट्स वियर नहीं बल्कि धोती-कुर्ते में ही क्रिकेट खेला जा रहा है।यहां कोई पेशेवर खिलाड़ी नहीं बल्कि पंडितों ने बैट बॉल पर हाथ आजमाया। साथ ही मैच के दौरान कमेंट्री हिंदी-अंग्रेजी नहीं बल्कि संस्कृत भाषा में की जा रही है।
धोती-कुर्ता पहन क्रिकेट के मैदान में उतरे पंडित: इस अनोखे तीन दिवसीय टूर्नामेंट का आयोजन महर्षि वैदिक परिवार ने किया है। टूर्नामेंट में जहां हर मैच की शुरुआत वैदिक मंत्रों के उच्चारण से हो रही है, वहीं कर्मकांड करने वाले ब्राह्मण इन मैचों में खिलाड़ी के तौर पर हिस्सा ले रहे हैं। खिलाड़ियों के माथे पर त्रिपुंड था तो वहीं गले में रुद्राक्ष की माला। वहीं संस्कृत में हो रही कमेन्ट्री मैच में चार चांद लगा रही थी।
— ANI (@ANI) January 18, 2022
संस्कृत भाषा को बढ़ावा देना उद्देश्य: एक खिलाड़ी ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य संस्कृत भाषा को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इन मैचों के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि वैदिक कर्मकांड में शामिल ब्राह्मण भी खेलों से दूर नहीं हैं। आपको बता दें कि भोपाल में बीते साल भी इसी तरह के मैच का आयोजन किया गया था।
अनोखा क्रिकेट: धोती-कुर्ते में पंडितों ने लगाए चौके-छक्के, संस्कृत में कॉमेंट्री
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देश में क्रिकेट के प्रति दीवानगी किसी से छिपी नहीं है। लेकिन क्या आपने कभी धोती-कुर्ते में क्रिकेट देखा है? भोपाल में इन दिनों स्पोर्ट्स वियर नहीं बल्कि धोती-कुर्ते में ही क्रिकेट खेला जा रहा है।यहां कोई पेशेवर खिलाड़ी नहीं बल्कि पंडितों ने बैट बॉल पर हाथ आजमाया। साथ ही मैच के दौरान कमेंट्री हिंदी-अंग्रेजी नहीं बल्कि संस्कृत भाषा में की जा रही है।
धोती-कुर्ता पहन क्रिकेट के मैदान में उतरे पंडित: इस अनोखे तीन दिवसीय टूर्नामेंट का आयोजन महर्षि वैदिक परिवार ने किया है। टूर्नामेंट में जहां हर मैच की शुरुआत वैदिक मंत्रों के उच्चारण से हो रही है, वहीं कर्मकांड करने वाले ब्राह्मण इन मैचों में खिलाड़ी के तौर पर हिस्सा ले रहे हैं। खिलाड़ियों के माथे पर त्रिपुंड था तो वहीं गले में रुद्राक्ष की माला। वहीं संस्कृत में हो रही कमेन्ट्री मैच में चार चांद लगा रही थी।
— ANI (@ANI) January 18, 2022
संस्कृत भाषा को बढ़ावा देना उद्देश्य: एक खिलाड़ी ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य संस्कृत भाषा को बढ़ावा देना है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इन मैचों के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि वैदिक कर्मकांड में शामिल ब्राह्मण भी खेलों से दूर नहीं हैं। आपको बता दें कि भोपाल में बीते साल भी इसी तरह के मैच का आयोजन किया गया था।