देव श्रीमाली,Gwalior. भारतीय जनता पार्टी चम्बल की सियासत में बड़ा उलटफेर करने जा रही है । इस उलटफेर में केंद्रीय कृषि मंत्री central agriculture minister और बीजेपी के कद्दावर नेता नरेंद्र सिंह तोमर Narendra Singh Tomar को तगड़ा झटका लग सकता है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो भिण्ड सीट से रिकॉर्ड मतों से जीते संजीव सिंह कुशवाह Sanjeev Singh Kushwah (संजू) मंगलवार को बीजेपी में शामिल हो जाएंगे। यदि ऐसा हुआ तो अंचल की राजनीति में बड़ा परिवर्तन आएगा क्योंकि संजू के परिवार और नरेंद्र तोमर के बीच शुरू से ही छत्तीस का आंकड़ा रहा है।
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दिल्ली में हुई बातचीत
यह तो सर्व विदित है कि भिण्ड में केंद्रीय मंत्री तोमर की पसंद नरेंद्र सिंह कुशवाह है और इसी बात को लेकर भिण्ड की बीजेपी में झंझट चलता रहता था । संजू के नजदीकी सूत्र बताते हैं कि इसीलिए इस बार सारी बातचीत दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और अन्य प्रमुख नेताओ की मौजूदगी में और विन्दुवार हुई है जिसमे नगर पालिका,जनपद से लेकर विधानसभा चुनावों तक पर बातचीत हुई है।
कौन है संजीव सिंह?
संजीव सिंह कुशवाह भिण्ड विधानसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी के विधायक है । उन्होंने 2018 का विधानसभा चुनाव रिकॉर्ड 55 हजार मतों के भारी अंतर से जीता था। इससे पिछला चुनाव वे महज कुछ हजार वोट से हार गए थे।
पिता ने संसद में जीत का रिकॉर्ड बनाया
संजू के पिता डॉ राम लखन सिंह Dr Ram lakhan Singh ने भिण्ड लोकसभा सीट से रिकॉर्ड चार बार लगातार जीत का रिकार्ड बनाया था । वे तब तक जीतते रहे जब भिण्ड-दतिया संसदीय सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नही हो गई । राम लखन सिंह जमीन से जुड़े नेता रहे है। उन्होंने अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत समाजवादी पृष्ठभूमि से की और सबसे पहले भिण्ड जनपद के अध्यक्ष चुने गए। वे 1990 में समाजवादी दल से भिण्ड सीट से मैदान में उतरे लेकिन महज कुछ सैकड़ा वोट से हार गए। लेकिन राम जन्मभूमि आंदोलन के चलते मप्र की सरकार 1993 में ही गिर गई । मध्यावधि चुनाव हुए तो बीजेपी ने डॉ राम लखन सिंह को प्रत्याशी बना दिया। उन्होंने शानदार जीत हासिल की और विधायक बन गए। लेकिन वे महज ढाई साल ही एमएलए रह पाए। बीजेपी ने उन्हें लोकसभा के चुनाव में उतार दिया और फिर वे लगातार चार बार लोकसभा का चुनाव जीते । लेकिन लोकसभा सीट आरक्षित हो जाने से पार्टी ने उन्हें एक बार फिर भिण्ड विधानसभा सीट पर उतारा लेकिन भाजपा के तत्कालीन विधायक और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर के खास नरेंद्र सिंह कुशवाह बागी होकर समाजवादी पार्टी में चले गए। नतीजतन राम लखन और नरेंद्र सिंह दोनो चुनाव हार गए और कांग्रेस के राकेश चौधरी जीते।
फिर चुना अलग रास्ता
तब तक नरेंद्र तोमर बीजेपी में एक मजबूत क्षत्रप बन चुके थे और भिण्ड की सियासत में उनका वरद हस्त नरेंद्र कुशवाह के साथ था । ऐसी परिस्थितियों में राम लखन सिंह को बीजेपी की परिस्थितियां अनुकूल नही लगी तो उन्होंने अपने पुत्र को बीएसपी में शामिल कराया और फिर खुद भी उसी में चले गए। संजीव सिंह 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में बीएसपी से प्रत्याशी बने । हालांकि वे चुनाव हार गए लेकिन उन्होंने पचास हजार से ज्यादा वोट पाए । इसके बाद वे दुगने उत्साह से जुट गए और 2018 के चुनाव में उन्होंने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की ।
पहले भी लगीं थी दल बदलने की अटकलें
मध्य प्रदेश में 2018 में कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में उभरी तो संजू ने कमलनाथ सरकार को समर्थन दिया लेकिन 2020 में जब उनकी सरकार डांवांडोल हुई और बड़ी संख्या में दलबदल हुए तब भी संजू के बीजेपी में शामिल होने की चर्चाएं उड़ीं थी । लेकिन वे गए नही लेकिन शिवराज सरकार को समर्थन की घोषणा कर दी थी । अब जब उन्होंने बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व से ठोक बजाकर बात कर ली तो वे बीजेपी में शामिल होने को लेकर रजामंदी दे दी।
बीजेपी चाहती थी जल्द हों शामिल
सूत्रों की माने तो संजू घोषणा को लेकर थोड़ा समय चाहते थे लेकिन बीजेपी नेता चाहते थे कि नगर पालिका और पंचायत चुनाव के पहले यह घोषणा करके इसमें इनका लाभ उठाया जाए लिहाजा आज ही तय हुआ कि मंगलवार की सुबह उन्हें बीजेपी की सदस्यता दिलाई जाए । आखिरकार आज यह तय हो गया । अब वे मंगलवार को अपने प्रमुख सहयोगियों के साथ सुबह बीजेपी मुख्यालय पहुंचेंगे और वहां बीजेपी की सदस्यता लेंगे इसके बाद सड़क मार्ग से सीधे भिण्ड के लिए रवाना होंगे जहां शाम को बीजेपी की नगर पालिका चुनावो की टिकिट वितरण संबंधी बैठक में भाग लेंगे।
विधायकी पर कोई ख़तरा नहीं
संजीव सिंह के इस दलबदल से इनकी विधायकी पर कोई खतरा नही होगा क्योंकि विधानसभा में बीएसपी के केवल दो ही विधायक है। एक एमएलए के दल बदल का मतलब पचास फीसदी का दल बदल हुआ सो वे दल बदल कानून के दायरे से मुक्त हो जाते हैं।
बदलेंगे समीकरण
संजीव सिंह के बीजेपी में जाने से न केवल भिण्ड बल्कि पूरे चम्बल की सियासत में बड़े बदलाव नजर आएंगे। केंद्रीय मंत्री तोमर के खास पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह और संजीव सिंह का एक साथ एक पार्टी में रह पाना मुश्किल ही नही असंभव है सो आगे कुछ और सियासी बदलाव आगे देखने को मिल सकते है।