पुरानी पेंशन के मुद्दे पर 13 Mar को बड़ा आंदोलन, पूरे प्रदेश के कर्मचारी जुटेंगे

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Aashish Vishwakarma
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पुरानी पेंशन के मुद्दे पर 13 Mar को बड़ा आंदोलन, पूरे प्रदेश के कर्मचारी जुटेंगे

भोपाल. मध्यप्रदेश में पुरानी पेंशन (old pension scheme) की बहाली का मु्द्दा सरकार के लिए टेंशन बनता जा रहा है। 13 फरवरी को मध्यप्रदेश के कर्मचारी संगठन पेंशन की बहाली को लेकर बड़ा आंदोलन करेंगे। इस आंदोलन में पूरे प्रदेश के कर्मचारी शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं, कांग्रेस भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की प्लानिंग कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी राजस्थान के तर्ज पर एमपी में भी यह व्यवस्था लागू करने की मांग की है।   



राजधानी में जुटेंगे कर्मचारी: मध्यप्रदेश के कर्मचारी लंबे समय से इसकी बहाली की मांग कर रहे हैं। पिछले दिनों कर्मचारी संगठन सीएम शिवराज (cm shivraj) के नाम ज्ञापन सौंप चुके हैं। अब 13 फरवरी को राजधानी के कलियासोत में कर्मचारी जुटेंगे। पुरानी पेंशन बहाली संघ के प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह चौहान ने बताया कि 1 जनवरी 2005 या उसके बाद नियुक्त हजारों कर्मचारी कलियासोत ग्राउंड पर जुटेंगे। यहां प्रदर्शन करके पुरानी पेंशन बहाली की मांग की जाएगी। इस दौरान सीएम शिवराज के नाम ज्ञापन भी सौपेंगे। 



संगठन के ये तर्क: चौहान ने बताया कि सरकार ने 1 जनवरी 2005 से प्रदेश में नियुक्त होने वाले कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था बंद कर दी थी। इसकी जगह नई पेंशन योजना (New pension scheme) लागू की गई है। इसके तहत कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर हर महीने केवल 800 से 1 हजार रुपए तक ही पेंशन मिलती है। इससे बुढ़ापे में कर्मचारियों को आजीविका चलाना मुश्किल हो गया है। वहीं, पटवारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष उपेंद्र सिंह बघेल ने बताया कि नई पेंशन स्कीम में कर्मचारियों के कुल वेतन का 10 फीसदी हिस्सा काटा जाता है। इसमें सरकार भी 12 प्रतिशत का हिस्सा मिलाती है। इसके बाद इस राशि को शेयर मार्केट में लगाया जाता है। इसकी वजह से कर्मचारियों की पेंशन स्कीम अस्थिरता से भरी हुई है।



MP में ये है गणित: कर्मचारी संघ के मुताबिक, मध्यप्रदेश में 3.35 लाख सरकारी कर्मचारी और अधिकारी 1 जनवरी 2005 के बाद नौकरी में आए हैं। इसमें सबसे ज्यादा टीचर की संख्या 2.87 लाख हैं। इसके अलावा 48 हजार बाकी कर्मचारी है। ये नई पेंशन स्कीम के दायरे में आते हैं। इसलिए सरकार हर महीने इनके मूल वेतन की 14 फीसदी अंशदान राशि जमा करती है। ये सालाना करीब 344 करोड़ रुपए हैं। अगर शिवराज सरकार पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल करती है। ऐसे स्थिति में सरकार को इन 344 करोड़ रुपए की सालाना बचत होगी। सरकार पर 14 साल बाद यानी 2035-36 से वित्तीय बोझ आना शुरू होगा। अगर सरकार इसे लागू करती है तो उसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वायपेयी की योजना बदलनी होगा। 



पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) के अहम बिंदू




  • इस स्कीम में रिटायरमेंट के समय कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है।


  • पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारी के वेतन से कोई पैसा नहीं कटता है।

  • पुरानी पेंशन स्कीम में भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है।

  • इस स्कीम में 20 लाख रुपए तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है।

  • रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पेंशन की राशि मिलती है।

  • पुरानी स्कीम में जनरल प्रोविडेंट फंड यानी GPF का प्रावधान है।

  • इसमें छह महीने बाद मिलने वाले DA का प्रावधान है।



  • नई पेंशन स्कीम की खास बातें 




    • नई पेंशन स्कीम (NPS) में कर्मचारी की बेसिक सैलरी+ डीए का 10 फीसद हिस्सा कटता है।


  • एनपीएस शेयर बाजार पर आधारित है। इसलिए यह पूरी तरह सुरक्षित नहीं है।

  • इसमें छह महीने बाद मिलने वाले DA का प्रावधान नहीं है।

  • यहां रिटायरमेंट के बाद निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं होती।

  • एनपीएस शेयर बाजार पर आधारित है, इसलिए यहां टैक्स का भी प्रावधान है।

  • इस स्कीम में रिटायरमेंट पर पेंशन पाने के लिए एनपीएस फंड का 40% निवेश करना होता है।


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