भोपाल. मध्यप्रदेश में व्यापमं के नाम पर हुए घोटाले की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई कि एक और घोटाला मुंह बाय खड़ा है। ये घोटाला है फर्जी खेल प्रमाण पत्र के जरिए सरकारी नौकरियां हासिल करने का। फर्जी खेल प्रमाण पत्र दिखाकर सरकारी नौकरियां हड़पने का दौर कई सालों से जारी है। द सूत्र के पास ऐसे एक नहीं कई प्रमाण पत्र से जुड़े दस्तावेज मौजूद हैं, जिन्हें देखकर ये पता चलता है कि झूठे प्रमाण पत्र देखकर भी जिम्मेदार नौकरी देने से नहीं चूके और जिस एजेंसी को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई, वो भी खामोश बने हुए हैं। क्योंकि मामला करोड़ों के खेल से जुड़ा है।
युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाला ये एक और मामला है। जिसे दबाने में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही। मध्यप्रदेश में पहले ये मामला सीआईडी के हवाले था। तब एक साल तक सीआईडी ने इसे दबाकर रखा। मामले की गंभीरता को समझा खेल संचालक ने। जिन्होंने इसकी जानकारी उस वक्त प्रदेश के डीजीपी रहे विवेक जौहरी तक पहुंचाई। खेल संचालक ने पत्र के जरिए जो जानकारी दी, वो चौंकाने वाली थी। वो किसी बड़े घोटाले की तरफ इशारा था, जिसमें दांव पर चढ़ा था प्रदेश का भविष्य। खासतौर से वो युवा जो ताउम्र मैदान में पसीना बहाकर मेडल और सर्टिफिकेट जमा करते रहे। इस आस में कि उन्हें सरकारी नौकरी हासिल करने में मदद मिलेगी। ऐसे युवाओं के सारे सपने, पूरी मेहनत इस घोटाले की भेंट चढ़ रहे थे। कई युवाओं का पसीना तो पानी हो रहा था।
खेल संचालक के पत्र के मुताबिक
- उत्कृष्ट खिलाड़ियों को प्रमाण पत्र और नौकरी देने के नाम पर संगठित गिरोह सक्रिय
इस पूरे गिरोह में ये नाम संदेह के घेरे में आए
- प्रीतपाल सिंह सलूजा, सचिव, मप्र हैंडबॉल एसोसिएशन, इंदौर
एसटीएफ इस मामले को लेकर बैठा हुआ है। अब तक न किसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई हैं। न कार्रवाई आगे बढ़ी है।
अगर सरकार और जांच एजेंसियां इसी तरह खामोश रहीं तो राष्ट्रीय अंतराष्ट्रीय स्तर के कई खिलाड़ियों को बड़ा नुकसान होगा। दरअसल मप्र सरकार ने हर साल 10 अंतराष्ट्रीय खिलाड़ियों को सब इंस्पेक्टर और 50 राष्ट्रीय खिलाड़ियों को सीधे आरक्षक बनाने का फैसला किया है। यदि सरकार ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया तो असली उत्कृष्ट खिलाड़ियों की जगह फर्जी प्रमाण पत्र वालों को भी नौकरी मिलने की संभावना बढ़ जाएगी। ये नौकरियां अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय खिलाड़ियों को बिना शारीरिक और लिखित परीक्षा दिए मिलने वाली हैं।
ये कोई अंधाधुंध किया गया घोटाला नहीं है। हजारों युवाओं के हिस्से की सरकारी नौकरी पर डाका डालने के लिए बकायदा पूरी तैयारी की गई है। बेहद ऑर्गेनाइज्ड मेनर में ये गिरोह काम कर रहा है। एक नजर में इस गिरोह के काम करने के तरीके को समझने की कोशिश कीजिए। तब ही आप जान सकेंगे कि सरकारी दफ्तरों में बैठे बहुत पढ़े-लिखे माने-जाने अफसर भी कैसे इस गिरोह की चालबाजियों का आसानी से शिकार हो जाते हैं। फर्जी दस्तावेजों को पकड़ नहीं पाते। बड़ी चालाकी से ये गिरोह काम करते हैं।
- ऐसे कई खेल संघ हैं, जिन्हें इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन से मान्यता नहीं मिली।
गिरोह के काम करने का सिर्फ यही तरीका नहीं है। भोले-भाले बेरोजगार युवाओं को फंसाने का एक तरीका है। ऐसे संस्थान जो रजिस्टर्ड नहीं हैं, वो भी खेल प्रतियोगिताओं के नाम पर मोटी फीस वसूलते हैं और खिलाड़ियों को थोक में सर्टिफिकेट और मेडल इश्यू करते हैं। उनकी तो जमकर कमाई हो जाती है। ठगे जाते हैं तो वो युवा जिन्हें नौकरी भी नहीं मिलती और झूठे सर्टिफिकेट पर खर्चा भी हो जाता है। ये मामला जिस तेजी से मध्यप्रदेश में नजर आया है, हरियाणा, राजस्थान के कई जिलों में भी उतनी ही तेजी से दिखाई देना शुरू हुआ।
हरियाणा के खेल विभाग के जांच में अनेकों खिलाड़ियों के ग्रेडेशन प्रमाण पत्र फर्जी मिले। जल्द ही फर्जी खेल संघों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर हरियाणा सरकार ने सख्त रुख अपनाना शुरू कर दिया है। राज्य के खेल राज्य मंत्री संदीप सिंह खुद इस मामले को गंभीरता से देख रहे हैं।
हम इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन को इस बारे में पत्र लिखाने वाले हैं, ताकि ऐसे खेल संघों की प्रतियोगिताओं पर अंकुश लगाया जा सके।
जिला खेल अधिकारी जेजी बनर्जी- महीने के प्रत्येक बुधवार को ग्रेडेशन बनाने का कार्य जिला स्तर पर किया जाता है। इसके लिए खिलाड़ियों की ओर से पहले फॉर्म भरकर आवेदन किया जाता है, जिसके बाद सभी खिलाड़ियों को बुलाकर उनके प्रमाण पत्रों की जांच की जाती है। इस दौरान कई प्रमाण पत्र फर्जी निकले हैं।
इसके बाद से हरियाणा में फर्जी खेल महासंघों की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। सभी जिले के खेल विभागों को ऐसे लोगों के खेल प्रमाण पत्र जांच के लिए भेजे गए हैं, जिन्होंने ग्रुप-डी की भर्ती के दौरान अपने प्रमाण पत्रों को संलग्न किया था। प्रदेश स्तर पर 600 ग्रुप-डी की भर्तियां की गईं थीं, जिसमें से 18 डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए गुड़गांव भेजे गए। इनमें से करीब 6 लोगों के प्रमाण पत्र फर्जी निकले हैं।
आप या आपके किसी परिचित ने खेल प्रमाण पत्र के जरिए सरकारी नौकरी हासिल करने का सपना देखा है तो वक्त संभल जाने का है। क्योंकि फर्जी प्रमाण पत्र का ये गोरखधंधा एमपी, हरियाणा के बाद राजस्थान में भी पैर पसार रहा है। प्रदेश में सरकारी नौकरियों में दो फीसदी कोटा तय होने के बाद जाली खेल प्रमाण पत्रों का खेल भी शुरू हो गया है। इस मामले में हमारी पड़ताल चौंकाने वाली है।
रीट, कम्प्यूटर और ग्रामसेवक सहित अन्य दस भर्तियों में कई बेरोजगार इस तरह के गिरोह की ठगी के शिकार हो चुके हैं। तीन हजार से लेकर 90 हजार रुपए तक में गिरोह के लोग अनाड़ी युवाओं को भी खेल प्रमाण पत्र बनाकर दे रहे हैं। जाली प्रमाण पत्रों का खेल शुरू होने से अब प्रदेश में खेल कोटे के पदों के मुकाबले कई गुना तक आवेदन आ रहे हैं। इसके बाद भी जिम्मेदारों की ओर से इस तरह के फर्जी प्रमाण पत्र बांटने वालों के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की जा रही है। ये चौंकाने वाली बात है। अब इस घोटाले की आग केंद्र सरकार तक भी पहुंच चुकी है।
भारतीय ओलम्पिक संघ ने पिछले दिनों फर्जी खेल संगठनों के बारे में युवा एवं खेल मामलों के मंत्री अनुराग ठाकुर को पत्र लिखा था। इसमें 21 संगठनों के नाम भी दिए गए। इसमें बताया कि इन संगठनों की ओर से अपने स्तर पर प्रतियोगिताओं का आयोजन कराया जा रहा है। इसकी लगातार शिकायत भी आ रही है।
इसके बाद खेल विभाग ने कार्रवाई में तेजी लाने की दिशा में कुछ कदम उठाए। शिक्षा विभाग सहित अन्य संस्थाओं को इस तरह के खेल संगठनों की गतिविधियों से दूर रहने का अलर्ट जारी किया हुआ है। खिलाड़ियों को भी इस तरह के भ्रमजाल में नहीं फंसने की ताकीद दी गई है।
जिन राज्यों में इस तरह के गिरोह के सक्रिय होने की आशंका है, वहां खेल विभाग इसी तरह लोगों को अलर्ट कर रहा है। राजस्थान में कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा में सौ से ज्यादा फर्जी प्रमाण पत्र लगाए गए। रीट की परीक्षा में भी यही हाल रहा। कुछ ऐसे मामले में भी सामने आए जब एक ही प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले पांच सौ के पांच सौ खिलाड़ियों को मेडल और प्रमाण पत्र सौंप दिए गए।
गिरोह के काम करने के तरीके और सरकारी नौकरी की खातिर किसी भी झांसे में आ जाने वाले युवाओं की स्थिति देखकर ये अंदाजा तो लगाया ही जा सकता है कि सिर्फ कार्रवाई से काम नहीं चलेगा। सरकार को सख्त कानून बनाने ही होंगे और युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वालों को कठोर सजा देनी ही होगी। उसके बाद ही ये संभव है कि व्यापमं या खेल प्रमाण पत्र जैसे घोटालों पर लगाम कसी जा सकती है।