Jabalpur. अब तक देश की नेवी एसआरजीएम गन में प्रयुक्त होने वाले अत्यधिक मारक गोलों को आयात कर मंगाती थी। लेकिन अब हाई एक्सप्लोसिव बम का निर्माण नेवी की सहायता से जबलपुर ऑर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया ने किया है। यह बम 16 किलोमीटर की दूरी से जंगी जहाज, एयरक्राफ्ट और थलसेना को आसानी से निशाना बना सकता है। 72/62 एसआरजीएम हेडा नाम के अपग्रेड एमुनेशन की खासियत है कि यह किसी टारगेट से टकराता है, तो उससे निकलने वाले दो हजार टुकड़े गोली की रफ्तार से शरीर में धंसते हैं। जिनसे बचना आसान नहीं होता है। अभी तक इसे आयात किया जाता था। लेकिन अब इसका उत्पादन देश में ही शुरू हो चुका है।
इस एमुनेशन का उपयोग एसआरजीएम गन से किया जाता है। यह वारशिप में लगी रहती है। अभी तक ऑर्डिनेंस फैक्ट्री खमरिया इस एमुनेशन के प्रैक्टिस वर्जन का उत्पादन करती थी। हाई एक्सप्लोसिव एमुनेशन का आयात किया जाता था। इससे नौसेना को बड़ा खर्चा उठाना पड़ता था। नौसेना ने इसे ओएफके के साथ डेवलप करने की योजना बनाई थी। दूसरे देशों से आने वाले एमुनेशन पर रिसर्च किया गया जिसके बाद फैक्ट्री के विशेषज्ञों ने इसे तैयार करने में कामयाबी हासिल की है। नौसेना के डायरेक्टर जनरल नेवल आर्मामेंट इंस्पेक्शन (डीजीएनएआई) और ओएफके ने मिलकर इस पर लगातार काम किया था।
यह एमुनेशन प्रैक्टिस के तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले टीपी और टीपीटी वर्जन से कई गुना उन्नत था। इसका कई स्तरों पर ट्रायल किया गया। जिसमें कामयाबी मिलने के बाद फैक्ट्री में उत्पादन शुरू किया गया। इसके 9 सौ राउंड तैयार कर नौसेना को सप्लाई किए गए हैं।
देश में बनाई 90 फीसद सामग्री
आत्मरक्षा के लिए नौसेना इसका उपयोग करती है। यह ऐसा एमुनेशन है जिसकी 90 फीसद सामग्री देश में ही तैयार की गई है। हाई एक्सप्लोसिव डायरेक्ट एक्शन (हेडा) कई तरह से उपयोगी है। यह विध्वंसकारी होता है इसलिए दुश्मन के शिप के अलावा बड़ी अधोसंरचना भी इसके आगे नेस्तोनाबूद हो जाती है। म्युनिशंस इंडिया लिमिटेड की इकाई ओएफके ने हाल में डिफेंस एक्सपो में इसका प्रदर्शन किया था। एमआईएल के महाप्रबंधक एंड बीडीयू शैलेष वगरवाल और ओएफके के महाप्रबंधक अशोक कुमार ने इस एमुनेशन की खासियत रक्षा विशेषज्ञों के सामने रखी थी।
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