इंदौर में 25 हजार रूपए की रिश्वत लेते पकड़े गए नगर निगम के जन कार्य विभाग के अधीक्षक विजय सक्सेना के लॉकर से मंगलवार, 03 अगस्त को करीब 30 लाख रुपए का सोना और 1.50 लाख रुपए की चांदी के जेवर मिले हैं। इसके अलावा उसकी पत्नी के खाते में 14 लाख रुपए मिले हैं। आय से ज्यादा संपत्ति के मामले में सक्सेना के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई में अभी उनेक दूसरे बैंक खातों की भी जांच बाकी है।
ऑफिस की आलमारी से मिले थे 10.68 लाख रुपये
सोमवार, 02 अगस्त को सक्सेना के ऑफिस की अलमारी से 10.68 लाख रुपए बरामद किए गए थे। इसके बाद कार्रवाई के लिए पुलिस उन्हें साथ लेकर उनके द्वारकापुरी स्थित मकान पर पहुंची। यहां पुलिस को मकान के अलावा फ्लैट, प्लॉट सहित 8 प्रॉपर्टी के दस्तावेज मिले।इसके अलावा उनके बैंक ऑफ बड़ोदरा, स्टेट बैंक ऑफ इंडियासहित अन्य बैंक खातों की जानकारी भी मिली है।
पत्नी के खाते में मिले 14 लाख रुपए
लोकायुक्त पुलिस के डीएसपी प्रवीण सिंह बघेल के मुताबिक मंगलवार दोपहर को टीम सक्सेना को साथ लेकर बैंक ऑफ बडोदरा पहुंची तो पता चला कि यहां उसका लॉकर भी है। उसे खोलने पर 750 ग्राम सोने के जेवर, करीब तीन किलो चांदी के जेवरात और 1.14 लाख रुपये कैश मिले। उनकी पत्नी गिरिजा के खाते में 14 लाख रुपये मिले। इसके अलावा उनका एक सैलरी अकाउंट SBI में होने की बात सामने आई है। पुलिस इस बैंक खाते के बारे में पड़ताल करेगी। कार्रवाई में अभी तक उनके पास करीब 70 लाख रुपये के जेवरात और नकदी मिली है। उनकी अभी तक सामने आई संपत्तियों का मूल्यांकन कराया जा रहा है।
सहयोगी महिला कर्मचारी के जरिए रिश्वत लेता था सक्सेना
बताया गया है कि विजय सक्सेना इंदौर नगर निगम में करीब 25 साल से पदस्थ है। इस अविध में वह निगम के अलग-अलग विभागों में पदस्थ रहा है। करीब 12 साल वह बिल्डिंग परमिशन शाखा में भी तैनात रहा। इस दौरान भी उसके खिलाफ भ्रष्टाचार की कई शिकायतें हुईं थीं। इसके बाद वह बिल सेक्शन में जनकार्य विभाग का अधीक्षक हो गया। रिश्वतखोरी के खेल में उसने सहयोगी महिला कर्मचारी हिमानी को भी शामिल कर लिया। वह उसी के माध्यम से रिश्वत लेता था। ताकि खुद पकड़ा न जा सके।
पार्क का बिल पास करने के लिए मांगा थी 3% कमीशन
बता दें कि सोमवार को विजय सक्सेना और सहयोगी महिला क्लर्क को 25 हजार रुपए रिश्वत लेते लोकायुक्त पुलिस की टीम ने गिरफ्तार किया था। दोनों ने बिजासन मंदिर परिसर में बन रहेपार्क का बिल पास कराने के लिए रिश्वत मांगी थी। इस मामले में शिकायतकर्ता कांट्रेक्टर का आरोप है कि 9.50 लाख रुपए का बिल पास करने के लिए दोनों ने 3% का कमीशन मांगा था।