कटआफ 80%, 75% वाले को एडमीशन, 85% वाला ताकता रह जाएगा!

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Rahul Sharma
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कटआफ 80%, 75% वाले को एडमीशन, 85% वाला ताकता रह जाएगा!

Bhopal.





सत्र 2022—23 के लिए प्रदेश के 1 हजार से अधिक सरकारी और निजी कॉलेजों में स्नातक यानि अंडर ग्रेजुएट कोर्स की 5 लाख 8 हजार 179 सीट पर प्रवेश की प्रक्रिया 17 मई से शुरू हो गई है जो 10 जुलाई तक चलेगी, पर हायर एजुकेशन से संबद्ध इन कॉलेजों में एडमीशन के लिए सीबीएसई के स्टूडेंट को इस बार खासी परेशानी का सामना करना होगा। कारण... सीबीएसई के नए एग्जाम पेटर्न से इस बार कॉलेजों में एडमीशन के लिए बनाई गई पॉलिसी है। इस पॉलिसी से होने यह वाला है कि यदि किसी कॉलेज में प्रवेश का कटआफ 80 प्रतिशत है तो इसकी पूरी संभावना है कि सीबीएसई बोर्ड से 12वीं कक्षा 75% से पास करने वाले स्टूडेंट को कटआफ से कम प्रतिशत होने पर भी प्रवेश मिल जाए और सीबीएसई बोर्ड से ही 12वीं कक्षा में 85% यानी कटआफ ये ज्यादा प्रतिशत लाने पर भी स्टूडेंट प्रवेश के लिए सिर्फ ताकता रह जाए। स्टूडेंट के भविष्य के साथ आखिर यह मजाक कैसे होने वाला है और कैसे उच्च शिक्षा विभाग और सीबीएसई की पालिसी के कारण शिक्षा का पूरा बुनियादी ढांचा ही खत्म होने की स्थिति में है, द सूत्र की पड़ताल में हम इसका पूरा खुलासा करेंगे।





पहले समझिए सीबीएसई एग्जाम पेटर्न में क्या हुआ बदलाव





सीबीएसई बोर्ड ने पहली बार टर्म 1 और टर्म 2 के आधार पर एग्जाम लिए। जानकार बताते हैं कि नई शिक्षा नीति के तहत पायलेट प्रोजेक्ट में केवल एक साल के लिए बोर्ड ने यह कदम उठाया। मतलब इस साल स्टूडेंट ने साल में दो बार परीक्षा दी। आधे सिलेबस कम्पलीट होने पर जो परीक्षा दिसंबर 2021 में हुई वह टर्म 1 कहलाई और शेष बचे हुए आधे सिलेबस की अब जो परीक्षा हो रही है, वह टर्म 2 एग्जाम है। टर्म 2 का रिजल्ट आने के बाद दोनो टर्म के रिजल्ट को मिलाकर जो रिजल्ट आएगा, वही उस स्टूडेंट का फाइनल रिजल्ट होगा। यह व्यवस्था इसलिए लागू की गई ताकि स्टूडेंट को पूरे सिलेबस का एग्जाम एक साथ न देना पड़े जिससे उस पर पढ़ाई का बोझ न आए।







परीक्षा पेटर्न और एडमीशन डेडलाइन में फसा पेंच





हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों में एडमीशन की पूरी प्रक्रिया 8 जुलाई को समाप्त हो जाएगी, जबकि सीबीएसई 12वी कक्षा के टर्म 2 की परीक्षा ही 15 जून तक होगी और रिजल्ट जुलाई के प्रथम सप्ताह से पहले आने की कोई संभावना नहीं है। मतलब कॉलेज में एडमीशन की पूरी प्रक्रिया खत्म होने जाने के बाद सीबीएसई की 12वी कक्षा का फाइनल रिजल्ट आएगा।





यह पॉलिसी शिक्षा नीति का बना रही मजाक





इस बार यूजी में प्रवेश की 5 लाख सीट है। हर साल 20 प्रतिशत सीट पर सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के स्टूडेंट प्रवेश लेते है और 80 फीसदी सीट पर एमपी बोर्ड और ओपन बोर्ड के स्टूडेंट प्रवेश लेते हैं। कॉलेज एडमीशन की पूरी पालिसी इन्हीं 80 फीसदी एमपी बोर्ड और ओपन बोर्ड के स्टूडेंट को लेकर बनाई गई। एमपी बोर्ड और ओपन बोर्ड के 12वी कक्षा का रिजल्ट पहले ही आ गया है, इसलिए हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट ने एडमीशन शुरू कर दिए। डिपार्टमेंट का तर्क रहा कि वह समय पर एडमीशन कर समय पर ही सत्र शुरू करेगा, लेकिन सीबीएसई की 12वी क्लास का रिजल्ट तो आया नहीं है फिर कैसे प्रवेश होगा। इसके बारे में उच्च शिक्षा विभाग के एडमीशन सेल के प्रभारी धीरेंद्र शुक्ला बताते हैं कि उन्होंने इस संबंध में सीबीएसई बोर्ड के सेकेटरी से बात की। जिसके बाद यह तय हुआ कि केवल टर्म 1 के आधार पर मेरिट बनाकर एडमीशन दिए जाएंगे। टर्म 2 के रिजल्ट का वेट नहीं करेंगे। फाइनल रिजल्ट में जो स्टूडेंट पास हो जाएगा और टर्म 1 के प्रतिशत के आधार पर मेरिट में शामिल होगा, उसे एडमीशन दे दिया जाएगा, जो फेल होगा उसका प्रवेश निरस्त कर दिया जाएगा।







ऐसे समझे...कैसे इंटेलीजेंट स्टूडेंट को नहीं मिलेगा कॉलेज में प्रवेश





मान लीजिए कोई अच्छा कॉलेज है जिसमें बीकॉम में प्रवेश का कटआफ 80 प्रतिशत है। यानी यहां सिर्फ 80 प्रतिशत और उससे ज्यादा अंक लाने वाले को ही एडमीशन मिलेगा। अब इसे ऐसे समझिए कि अंजली के 12वी कक्षा के टर्म 1 में 82 प्रतिशत रहे, जिस आधार पर अंजली को कॉलेज में एडमीशन मिल गया। वहीं रूचि के टर्म 1 में 78 प्रतिशत अंक मिले और कटआफ से सिर्फ 2 प्रतिशत कम होने से उसे प्रवेश नहीं मिला। अब अंजली को चूंकि टर्म 1 में कम अंक मिले थे तो अंजली ने टर्म 2 एग्जाम के लिए काफी मेहनत की और 92 प्रतिशत लेकर आ गई। वहीं अंजली का टर्म 2 का रिजल्ट 68 प्रतिशत रहा। वैसे तो अभी सीबीएसई बोर्ड ने ही तय नहीं किया है कि टर्म 1 और टर्म 2 के रिजल्ट का फाइनल रिजल्ट में प्रतिशत का रेशो क्या रहेगा, लेकिन हम इसे 50—50फीसदी मान ले तो इसका मतलब यह हुआ कि अंजली का फाइनल रिजल्ट 75 प्रतिशत और रूचि का फाइनल रिजल्ट 85 प्रतिशत रहा, लेकिन एडमीशन सिर्फ टर्म 1 के परीक्षा परिणामों के आधार पर ही मिलेंगे, इसलिए रूचि भले ही अंजली से 10 प्रतिशत अधिक अंक लाई हो पर उसे कॉलेज में एडमीशन नहीं मिलेगा।







द सूत्र के सवाल...





— सीबीएसई के सकुर्लर क्रमांक सीई/2021/19/03/2022 के बिंदु क्रमांक 6 में यह स्पष्ट लिखा है कि स्टूडेंट को टर्म 1 की मार्कशीट नहीं दी जाएगी। स्कूलों ने मौखिक रूप से ही स्टूडेंट को रिजल्ट बताया है, तो इस मौखिक रिजल्ट के आधार पर कैसे मेरिट बनाकर प्रवेश दिया जा सकता है और यदि किसी स्टूडेंट के सुनने में कुछ गलती हो गई और फाइनल रिजल्ट पर प्रतिशत कम ज्यादा हो गया तो क्या फिर से मेरिट बनाकर पूरी प्रवेश प्रक्रिया दोबारा की जाएगी।



— इसी सकुर्लर के बिंदु क्रमांक 8 में यह लिखा है कि फाइनल रिजल्ट टर्म 2 के रिजल्ट के बाद ही दिया जाएगा। यानी टर्म 1 के रिजल्ट की प्रमाणिकता नहीं है, तो ऐसे में कैसे अप्रमाणिक रिजल्ट के आधार पर प्रवेश दिया जा सकता है।



— टर्म 1 के आधार पर ही एडमीशन दिया जाना है, यानी स्टूडेंट की योग्यता का निर्धारण तो सिर्फ टर्म 1 के रिजल्ट के आधार पर ही तय होगा, ऐसे में टर्म 2 के एग्जाम को स्टूडेंट सीरियली क्यों ले, उसका काम सिर्फ पासिंग मार्कस लाकर भी हो जाएगा।



— ऐसे स्टूडेंट जिनका फाइनल रिजल्ट अच्छा होगा, पर टर्म 1 में कम प्रतिशत के कारण प्रवेश नहीं ले सके, क्या यह उनके साथ अन्याय नहीं है।







स्टूडेंट ने कहा— परीक्षा दे या प्रवेश प्रक्रिया में उलझे रहे





सीबीएसई बोर्ड में 12वीं क्लास के टर्म 2 का एग्जाम दे रही शुभि ने कहा कि अभी टर्म टू के एग्जाम चल रहे हैं, हम पढ़ाई में व्यस्त हैं और इधर कॉलेज में प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी गई। ऐसे में हम परीक्षा की तैयारी करें या प्रवेश प्रक्रिया में उलझे। शुभि ने कहा कि एडमीशन सिर्फ टर्म 1 के रिजल्ट के आधार पर लेना गलत है। हमने अपने रिजल्ट को सुधारने टर्म 2 एग्जाम के लिए काफी मेहनत की, उसका क्या होगा। वहीं पेरेंट्स प्रबोध पांडे ने कहा कि नई व्यवस्था से 12वीं का फाइनल रिजल्ट आने के बाद मेरिट डिस्टर्ब होगी। इससे इंटेलीजेंट स्टूडेंट को नुकसान होगा। उन्होंने इस संबंध में राज्यपाल, उच्च शिक्षा मंत्री और आयुक्त उच्च शिक्षा को शिकायत भी की है।





प्राइवेट यूनिवर्सिटी को बैकडोर फायदा पहुंचाने की कोशिश





एडमीशन को लेकर नई व्यवस्था पर उच्च शिक्षा के रिटायर्ड अतिरिक्त संचालक राधावल्लभ शर्मा ने कहा कि यह प्राइवेट यूनिवर्सिटीज को बैकडोर से फायदा पहुंचाने की कोशिश है। कोविडकाल में इन यूनिवर्सिटी में एडमीशन कम हुए और गर्वमेंट में एडमीशन की संख्या बढ़ी। अब फाइनल रिजल्ट आने वाले ऐसे स्टूडेंट जिनका रिजल्ट कटआफ ये ज्यादा है और उन्हें फिर भी प्रवेश नहीं मिल रहा है तो वह एडमीशन के लिए इन प्राइवेट यूनिवर्सिटी की ओर रूख करेंगे।



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