संजय गुप्ता, INDORE. रंगवासा-राऊ में प्रस्तावित खिलौना (टाय) क्लस्टर की आधारशिला रखने शनिवार को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान इंदौर आ रहे हैं लेकिन अब यह क्लस्टर कानूनी विवाद में उलझ गया है। दरअसल इस मामले में आवंटन के तौर तरीकों से नाराज होकर एक आवेदक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है और इसमें कोर्ट ने सुनवाई करते हुए आदेश जारी कर दिया है कि भूखंडों का आवंटन अंतिम निर्णय के अधीन रहेगा। ऐसे में सीएम के दौरे पर कांग्रेस ने सलाह दी है कि सीएम को राजधर्म का पालन करते हुए इस उद्घाटन से बचना चाहिए, क्योंकि मामला कोर्ट में हैं।
भ्रष्टाचार के लग रहे हैं आरोप
कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेशसिंह यादव ने क्लस्टर की जमीन के आवंटन में नियम तोड़ने और भ्रष्टाचार का आरोप भी लगाया है। प्रदेश सचिव ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। यादव ने लिखा है कि क्लस्टर के नाम पर शासन को भी राजस्व का चूना लगाया जा रहा है। उद्योग विभाग के अधिकारी और सरकार में बैठे कुछ लोगों ने घोटाला कर क्लस्टर की नींव रखी है। असल उद्योगपतियों को प्लाट दिए नहीं गए। प्राथमिकता सूची को भी दरकिनार कर दिया और कुछ लोगों के लाभ के लिए विकसित जमीन को अविकसित के नाम पर आवंटित कर दिया गया है। इसमें सीधा लाभ जमीन लेने वालों का हो रहा है और शासन का नुकसान हो रहा है।
टेबल के नीचे से लिया गया रुपया
यादव ने लिखा कि कुछ लोगों ने एसपीवी के जरिए क्लस्टर में जमीन दिलवाने के नाम पर जमीन के सरकारी मूल्य से ज्यादा रूपया टेबल के नीचे से लिया है। यादव ने कहा कि क्योंकि मामला अब कोर्ट में पहुंच गया है। हाई कोर्ट ने आदेश दे दिया है कि कोर्ट के अंतिम निर्णय पर ही यहां पर भूमि आवंटन निर्भर करेगा। ऐसे में आगे यदि कोर्ट का निर्णय आवंटन प्रक्रिया के खिलाफ आता है तो क्लस्टर के निर्माणों को तोड़ने की नौबत आ जाएगा। बेहतर है ऐसे में मुख्यमंत्री को इस आयोजन में शामिल होने से दूर रहना चाहिए। क्लस्टर के आवंटन प्रक्रिया की जांच का आदेश भी जारी करना चाहिए।
यह लगी है कोर्ट में याचिका
नई औद्योगिक क्लस्टर नीति के तहत शहर में स्थापित हो रहे पहले औद्योगिक क्षेत्र खिलौना (टाय) क्लस्टर में 20 उद्योग लगाने के लिए जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र (डीआइसी) ने जमीन आवंटित कर रजिस्ट्री भी कर दी है। रंगवासा-राऊ में 3.65 हेक्टेयर भूमि पर खिलौना क्लस्टर बसाया जा रहा है। 29-30 जुलाई को क्लस्टर में 20 भूखंडों की रजिस्ट्री कर दी गई। आवंटन प्रक्रिया पूरी करते हुए 99 वर्ष की लीज पर खिलौना निर्माण करने वाले उद्योगों को जमीन आवंटित की गई है। इसी बीच खिलौना क्लस्टर में आवंटन को नियम विरुध बताते हुए मयूर इंटरप्राइजेस ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। कंपनी के संचालक कांतिलाल पटेल के वकील विनय पुराणिक के अनुसार आवंटन की प्रक्रिया पहले हो चुकी थी। शासन के नियमों के अनुसार जमीन का आवंटन टेंडर या वरीयता सूची के आधार पर होता है। नियमों और वरीयता सूची को दरकिनार कर मनमाने तरीके से जमीन दे दी गई। याचिकाकर्ता ने आवंटन प्रक्रिया में नियमों और शासन की नीति के उल्लंघन का आरोप लगाया है। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई शुरू करते हुए शासन से जवाब मांगा है।
कच्ची जमीन नहीं
रंगवासा के प्रस्तावित टाय क्लस्टर में करीब 165 रुपये वर्गफीट की दर पर 20 लोगों को जमीन आवंटित की गई है। जमीन मांग रहे खिलौना निर्माताओं ने स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसपीवी) यानी एक समिति बनाकर जमीन मांगी। जमीन का आवंटन एसपीवी द्वारा दी गई सूची के आधार पर कर दिया गया। जिला उद्योग एवं व्यापार केंद्र ने अब तक आवंटियों की सूची जारी नहीं की है। याचिकाकर्ता के वकील के अनुसार एसपीवी में जिस दर पर जमीन दी गई है वो कच्ची जमीन की दर है। जबकि असल में आवंटित जमीन पर बिजली, सड़क और अन्य सुविधाएं विकसित हो चुकी हैं। ऐसे में इसकी दर विकसित जमीन और बाजार मूल्य से होना थी।